पशुओं पर हीट स्ट्रोक का खतरा, बढ़ती गर्मी में ऐसे रखें अपने मवेशियोें का ध्यान, दूध उत्पादन नहीं होगा कम

पशुओं पर हीट स्ट्रोक का खतरा, बढ़ती गर्मी में ऐसे रखें अपने मवेशियोें का ध्यान, दूध उत्पादन नहीं होगा कम
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पशु चिकित्सकों के अनुसार गर्मी बढ़ने के साथ ही पशुओं में लीन पीरियड की शुरूआत हो जाती है। इस बार लीन पीरियड करीब एक माह पूर्व ही शुरू हो चुका है। तापमान बढ़ने का असर दुधारू पशुओं पर पड़ने लगा है।

नरेन्द्र वत्स. रेवाड़ी

बढ़ती हुई गर्मी लोगों को जमकर परेशान करती है। आम आदमी अपना दर्द बयां कर देता है, परंतु बेजुबान जानवर ऐसा नहीं कर पाते। गर्मी बढ़ने के साथ ही पशुओं पर भी हीट स्ट्रोक का खतरा मंडराने लगा है। अगर पशुपालक ऐसे में थोड़ा सावधानी बरतें, तो पशुओं को गर्मी के मौसम में होने वाली बीमारियों से बचाया जा सकता है।

पशु चिकित्सकों के अनुसार गर्मी बढ़ने के साथ ही पशुओं में लीन पीरियड की शुरूआत हो जाती है। इस बार लीन पीरियड करीब एक माह पूर्व ही शुरू हो चुका है। तापमान बढ़ने का असर दुधारू पशुओं पर पड़ने लगा है। पशुओं को नया पशु चारा खिलाने से भी दिक्कतें आने लगी हैं। गेहूं का नया तूड़ा डालने से पशुओं में डी-हाईड्रेशन और एसिडिटी की समस्या आने लगी है। इससे दुधारू पशुओं के दूध में कमी आ जाती है। किसान खेती के चक्कर में उलझे रहने के कारण अपने पशुओं की ओर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। इससे पशुओं के स्वास्थ्य पर विपरीत असर देखने को मिल रहा है। पशुओं के बीमार होने का पता भी उस समय चलता है, जब बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है।

पशुओं पर ध्यान देना जरूरी

सहारनवास एनिमल डिस्पेंसरी की पशु रोग विशेषज्ञ डा. विनिता के अनुसार इस समय पशुपालक अपने पशुओं को नया तूड़ा खिलाना शुरू कर देते हैं। नया तूड़ा पशुओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। इससे पशुओं की पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। उन्हें बदहजमी की शिकायत होने लगी है। पशुओं के शरीर में पानी की कमी आ जाती है, जिससे पशुओं के बीमार पड़ने का खतरा बना रहता है। उन्होंने बताया कि पशुपालकों को नया तूड़ा पुराने तूड़े के साथ मिलाकर खिलाना चाहिए। उन्होंने बताया कि पशुओं को लगातार निरंतर खनिज लवण देना चाहिए। मल्टी विटामिन की गोलियां खिलानी चाहिएं। पशुपालकों को अपने पशुओं को हर 6 माह के अंतराल में कीड़े मारने की दवा देनी चाहिए।

थनेला रोग से रहें सावधान

पशु रोग विशषज्ञ डा. सरिता ने बताया कि जल्द ही पशुओं में जनन क्रिया शुरू होने वाली है। पशुओं का ब्यांत शुरू होने के साथ ही उनमें थनेला रोग शुरू हो जाता है, जिससे पशुओं के थन खराब होने की आश्ंाका बनी रहती है। उन्होंने बताया कि थनेला रोग से थनों में मवाद बन जाती है। थनों पर सून आने के साथ उनके साइज में भी अंतर आ जाता है। पशुपालकों को ऐसी स्थिति में सबसे पहले लैब में पशुओं के दूध की जांच करानी चाहिए। सहारनावास लैब में यह सेवा मुफ्त मिलती है। दूध निकालने के कुछ समय बाद तक पशुओं को बैठने नहीं दें। थनों को धोकर उनकी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें।

यह रखें सावधानियां

पशुओं को सुबह जल्द और शाम को देर से नहलाएं।

अचानक पशुओं को नया चारा डालना शुरू नहीं करें।

पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए कूलर-पंखे यूज करें।

बीमारी की आशंका पर पंजीकृत डॉक्टर को ही दिखाएं।

किसी भी सूरत में पशुओं को अनावश्यक टीकें नहीं लगवाएं।

अपने पशुओं की साफ-सफाई का विशेष तौर पर ध्यान रखें।

डी-हाईड्रेशन न हो।

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