भूखे पेट कैसे चुस्त-दुरुस्त होगी MDU की सुरक्षा व्यवस्था, तीन महीने से सिक्योरिटी गार्डों को वेतन नहीं मिला

भूखे पेट कैसे चुस्त-दुरुस्त होगी MDU की सुरक्षा व्यवस्था, तीन महीने से सिक्योरिटी गार्डों को वेतन नहीं मिला
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इस मसले को लेकर नव नियुक्त सुरक्षा इंचार्ज डॉ. ढुल कहते हैं कि मैं एक महीने के अंदर इस मामले का हल करवाने का प्रयास करूंगा।

हरिभूमि न्यूज: रोहतक

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुल सचिव प्रो. गुलशन तनेजा ने कुछ दिन पहले खेल निदेशक डॉ. देवेंद्र ढुल को यूनिवर्सिटी सुरक्षा इंचार्ज की अतिरिक्त जिम्मेदारी दी। इसके बाद अब क्या यूनिवर्सिटी की सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त होगी, इसको लेकर चर्चाएं हैं। डॉ. ढुल को कार्यभार मिलने के बाद फिलहाल यूनिवर्सिटी के मैन इंट्री गेट समेत दूसरे स्थानों पर सुरक्षा कर्मचारी मुस्तैद जरूर दिखाई देते हैं। लेकिन ये कब तक ऐसी मुस्तैदी दिखाएंगे, यह बड़ा प्रश्न है। क्योंकि ठेके के कर्मचारियों को तीन महीने से वेतन नहीं मिला है। इसके अलावा तीन-चार साल का एरियर भी ठेका कम्पनी की तरफ बकाया है। ऐसा नहीं है कि इसके बारे में विश्वविद्यालय प्रशासन अनभिज्ञ है। वर्ष 2018 और 2019 की दीवाली पर सिक्योरिटी गार्ड वेतन और एरियर भुगतान को लेकर हड़ताल पर रहे थे। दोनों बार सुरक्षाकर्मियों के धरने पर पहुंचे कुल सचिव प्रो. गुलशन तनेजा ने आश्वासन दिया कि एरियर का भुगतान करवा दिया जाएगा। लेकिन वह दिन आज तक नहीं आया है। इस मसले को लेकर नव नियुक्त सुरक्षा इंचार्ज डॉ. ढुल कहते हैं कि मैं एक महीने के अंदर इस मामले का हल करवाने का प्रयास करूंगा।

बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय ने सुरक्षा के लिए जिस कम्पनी से अनुबंध किया हुआ है, उसके अनुबंध मेें तकनीकी खामियां हैं। रिलिवर कर्मचारियों की व्यवस्था कम्पनी कैसे करेगी, इस बारे में अस्पष्ट है। कहा जा रहा है कि इसकी वजह से ही कर्मचारियों को वेतन देने में देरी होती है। क्योंकि कई बार विश्वविद्यालय ठेके कम्पनी के बिलों को रोक देता है,जिसकी वजह से कम्पनी को सेलरी में देने में देरी होती है। बताया तो यह भी जा रहा है कि शर्ताें के मुताबिक कार्य न करने पर यूनिवर्सिटी कम्पनी पर जुर्माना भी कर चुकी है। सूत्र बताते हैं कि कम्पनी को भी घाटा हो रहा है। लेकिन अनुबंध खत्म करती है तो यूनिवर्सिटी ब्लैकलिस्ट कर देगी। कम्पनी को काम करते हुए चार साल हो चुके हैं। हालांकि अनुबंध तीन साल के लिए किया गया था। लेकिन एक साल बढ़ाया जा चुका है।

ड्रेस पहनना अनिवार्य

सुरक्षा व्यवस्था में ठेके 157 और विश्वविद्यालय के 28 नियमित कर्मचारी तैनात हैं। इन सभी के लिए वर्दी पहनना अनिवार्य किया जा चुका है। यहां तक की अधिकारियों को भी अब ड्रेस में ही ड्यूटी देनी होगी। इस पर अमल शुरू भी हो चुका है। अब शायद ही कोई ऐसा कर्मचारी औेर अधिकारी हो, जो वर्दी पहनकर हाथ में छड़ी लेकर ड्यूटी न देता हो। विश्वविद्यालय में चर्चा है कि फ्लां व्यक्ति तो पहली बार ड्रेस में ड्यूटी दे रहा है।

यह भी जानें

नव नियुक्त सुरक्षा इंचार्ज डाॅ. ढुल जिस शैली से काम कर रहे हैं। उसके बाद अब कोई भी अप्रिय घटना होगी तो उसको लेकर ढुल की कार्यप्रणाली पर ही सवाल खड़े होंगे। गेट नम्बर पर दो और छह के सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिए जा चुके हैं कि कोई भी बाहरी तत्व परिसर में बिना काम के प्रवेश नहीं करेगा। हेल्मेट और मास्क जरूरी किया गया है। कर्मचारियों और छात्रों को पहचान साबित करने के बारे में कहा जा जा रहा है। बताया जा रहा है कि एक सप्ताह तक कर्मचारियों को वाहन स्टीकर जारी कर दिए जाएंगे। इसके बाद स्टीकर वाले वाहन की ही इंट्री करने के बारे में कहा जा रहा है।

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