सरकार कैसे खरीदेगी सरसों : समर्थन मूल्य 5050 रुपये प्रति क्विंटल, मार्केट में 6500 में बेच रहे किसान

सरकार कैसे खरीदेगी सरसों : समर्थन मूल्य 5050 रुपये प्रति क्विंटल, मार्केट में 6500 में बेच रहे किसान
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करीब 10 फीसदी किसानों की ओर से सरसों का भंडारण कर लिया गया है। जिसे मंडी की बजाय किसान घर या खेत में ही करीब 6500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच रहे है। जबकि प्रदेश सरकार की ओर से सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 निर्धारित किया गया है।

हरिभूमि न्यूज : कनीना( नारनौल)

सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद 28 मार्च से शुरू करने की घोषणा की हुई है, लेकिन इस बार भी गत साल की तरह सरकार समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद नहीं कर पाएगी, क्योंकि सरकारी खरीद रेट कम व मार्केट रेट अधिक है। क्षेत्र में सरसों की कटाई व कढ़ाई शुरू हो चुकी है। करीब 10 फीसदी किसानों की ओर से सरसों का भंडारण कर लिया गया है। जिसे मंडी की बजाय किसान घर या खेत में ही करीब 6500 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच रहे है। जबकि प्रदेश सरकार की ओर से सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5050 निर्धारित किया गया है। सरकारी रेट के बजाय मार्केट रेट अधिक होने के कारण किसान सीधे खेतों से ही व्यवसायियों को सरसों बेच रहे हैं।

कनीना मंडी में सरसों की खरीद के लिए हैफेड व स्टेट वेयर हाउस एजेंसी को नियुक्त किया गया है। गेहूं की खरीद एक अप्रैल से शुरू होगी। जिसके लिए स्टेट वेयर हाउस को खरीद की कमान सौंपी गई है। गेहूं का सरकारी रेट 2015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है जबकि मार्केट रेट करीब 2300 रुपये प्रति क्विंटल है। ऐसे में गेहूं की खरीद भी इस सरकार नहीं कर पाएगी। किसान राकेश कुमार, विनोद कुमार, मोती कुमार, नरेंद्र सिंह, सुभाष चंद, जगबीर सिंह, सुखबीर सिंह ने कहा कि कृषि घाटे का सौदा बन चुकी है। धरती का सीना चीरकर अन्न पैदा करने वाले किसान को समय पर खाद-बीज तक उपलब्ध नहीं होता। वहीं कभी पाले, बारिश व ओलावृष्टि फसल खराब हो जाती है। उपमंडल कृषि अधिकारी अजय यादव ने बताया कि कनीना खंड में करीब 34 हजार हेक्टेयर कृषि उपज भूमि में से लगभग 20760 हेक्टेयर पर सरसों, 9480 हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई की गई है। जबकि पिछले वर्ष 19370 हेक्टेयर में सरसों, 10590 हेक्टेयर रक्बे में गेहूं की पैदावार की गई थी।

पैदावार पर पड़ा ओलावृष्टि का प्रभाव

सरसों व गेहूं की पैदावार पर बीते समय हुई ओलावृष्टि व अचानक गर्मी का प्रभाव पड़ा है। रबि फसल में लगभग 20-30 फीसदी की मार हुई है। जिन खेतों में पूर्व के समय 12-13 क्विंटल सरसों की पैदावार होती थी, उनमें इस बार मात्र 8-9 क्विंटल सरसों का उत्पादन हो रहा है। कृषि विभाग के अधिकारी भी प्राथमिक रूप से सरसों की अगेती फसल में 10-15 फीसदी व पछेती फसल में 20-30 फीसदी नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। इसकी मुख्य वजह ओलावृष्टि व समय से पूर्व गर्मी बढ़ना को माना जा रहा है। नतीजतन पैदावार घटकर आधी रह गई।

मंडी में गेहूं की फसल आने की उम्मीद

मार्केट कमेटी के सचिव संजय फोगाट ने बताया कि फसल खरीद के लिए मंडी में साफ-सफाई करवाईर् गई है। इसके अलावा किसानों के लिए बिजली-पानी सहित सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं। उनकी ओर से मंडी का निरीक्षण भी किया गया है। मंडी में गेहूं की फसल के आने की उम्मीद है।

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