कैसे मिलेगा बेसहारा पशुओं को सहारा, बैठकों से बाहर नहीं निकल रही योजना

नितेश कुमार : नारनौल
बेसहारा गोवंश को सहारा देने के लिए सरकार की ओर से गोशालाओं को बजट मुहैया करवाया जा रहा हैं। परंतु इसके बाद भी बेसहारा गौवंश को गोशालाओं में सहारा नहीं मिल रहा है। इसके पीछे मुख्य कारण गोवंश पर होने वाला खर्च हैं। क्योंकि सरकार की ओर से मिलने वाला बजट गोशालाओं के लिए ना के बराबर है।गोशाला संचालक की माने तो एक गोवंश पर प्रतिदिन चारे का कम से कम 50 रुपये खर्च होते हैं। इस हिसाब से साल में एक गोवंश पर चारे पर 18 हजार रुपये खर्च होते है, जबकि सरकार की ओर से साल में एक गोवंश के लिए कम से 100 व अधिक से अधिक 500 रुपये ही दे जा रहे हैं। ऐसे में अधिकतर गोशालाएं चन्दे पर ही निर्भर हैं। हालांकि अभी 21 गोशाला को 34 लाख की राशि उनके बैंक अकाउंट में भेजी है यह राशि धरातल पर खर्च हो रही राशि में दिन-रात का अंतर दर्शा रही है
बता दे कि बेसहारा गोवंश को लेकर 12 जनवरी को उपायुक्त अजय कुमार ने गोशाला प्रबंधकों व अधिकारियों की बैठक लिए थी। जिसमें सभी गोशालाओं के प्रबंधकों को अपने यहां 30 फीसदी अधिक गोवंश रोकने की जिम्मेदारी उठाने की निर्देश दिए थे। साथ ही गोशालाओं में ढांचागत सुविधाएं बढ़ाने के लिए प्रपोजल भी जल्द से जल्द देने को कहा था, ताकि गोसेवा आयोग को भेजकर बजट की मांग की जा सके। वहीं नगर परिषद व नगर पालिकाओं को शहर में घुम रहे गोवंश को योजना बनाकर गोशालाओं में भेजने के लिए कहा गया था, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह जिम्मेवारी पंचायत को दी थी। परंतु अभी तक नगर परिषद व नगर पालिकाओं की ओर से गोवंश को पकड़कर गोशालाओं में भेजने के लिए धरातल पर कोई ठोस योजना तैयारी नहीं की गई हैं और न ही पंचायत ने इस पर कोई कार्रवाई की हैं।
गोशालाओं को मिलते 100 से 500 रुपए प्रति गौंवश
बेसहारा पशुओं मुक्त अभियान के तहत पशुपालन एवं डेयरी विभाग की ओर से गोशालाओं को प्रति गोवंश के हिसाब से एक साल के चारे के पांच श्रेणियों में रुपये दिए जाते हैं। जिसमें 100 से 500 रुपये तक मिलते है। जिस गोशाला में कुल गोवंश में से 30 से 50 फीसदी नंदी, बछड़े या बीमार गोवंश रखे जाते है, उनको विभाग की ओर से प्रति गौवंश एक साल के चारे के लिए 100 रुपये दिए जाते है। इसी प्रकार 51 से 75 फीसदी वाली गोशाला को 200 रुपये, 76 से 99 फीसदी नंदी, बछड़े या बीमार गोवंश की संख्या पर 300 रुपये, 100 फीसदी पर 400 रुपए दिए जाते है। जबकि नंदीशाला को प्रति पशु 500 रुपये वार्षिक पशु चारा के लिए दिए जाते हैं।
21 गोशालाओं के बैंक खाते में भेजे 34 लाख रुपए
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की ओर से गुरुवार को जिला की 21 पंजीकृत गोशालाओं के खाते में 34 लाख रुपए भेजे गए है। इस बारे में विभाग के उप निदेशक डा. नसीब सिंह ने बताया कि विभाग की ओर गोशाला को हर तिमाही (खर्चे के लिए) में गोशाला के खाते में गोवंश की संख्या के हिसाब से रुपए दिए जाते है। इसी कड़ी में गुरुवार को तिमाही किस्त के रूप में 34 लाख रुपये गोशालाओं के खाते में सीधे डाले गए है। इसी प्रकार हर तिमाही पर रुपए गोशालाओं के बैंक खाते में आगे भी डाले जाएंगे।
इन गोशालाओं के खाते में डाले रुपए
पशुपालन द्वारा गोशालाओं को एक निश्चित मानदंड के अनुसार पंजीकृत किया जाता है। जिला में बाबा खेतानाथ गोशाला खेड़की, श्री 1008 बाबा हेमादास गोशाला समिति भोजावास, श्री कृष्ण गोशाला कनीना, नंद बृह्मचारी गौशाला समिति, श्री कृष्ण बाल गोपाल गोशाला बिहाली, बाबा मुकंद दास गोशाला नांगल चौधरी, श्री बाबा सरनाई नाथ गोशाला खेड़ी, श्री देव नारायण गोशाला मुसनोता, अनाथ गोशाला निजामपुर रोड नारनौल, संत आशाराम गोशाला दनचौली, श्री गोपाल गोशाला नारनौल, बाबा श्री गुदडि़या गोशाला माधोगढ़, धोलपोस आश्रम महेंद्रगढ़, श्री बांके बिहारी गोशाला समिति जड़वा, श्री कृष्ण सुदामा गोशाला भालखी, बाबा संतनाईनाथ गोशाला, श्री गौपाल गोशाला महेंद्रगढ़, श्री आदर्श गोशाला सतनाली, बाबा जयरामदास गोशाला खुढाना, नंदी गौशाला रघुनाथपुरा, स्वर्ग आश्रम सुधाराम गौमाता उपचार शाला नारनौल शामिल हैं।
दो सप्ताह कर लिया जाएगा कार्य पूरा
पशुपालन विभाग के उप निदेशक डा. नसीब सिंह ने बताया कि दो सप्ताह में बेसहारा गोवंश को गोशालाओं में विस्थापित कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिला में करीब 3200 बेसहारा पशु हैं। जिनमें से अभी तक 600 गोवंश को विभिन्न गोशालाओं पहुंचा दिया गया है। आज भी अटेली में 60 बेसहारा गोवंश को बिहाली गोशाला में भेजा गया हैं। शेष बचे बेसहारा गौवंश को भी जल्द ही गोशालाओं में विस्थापित कर दिया जाएगा।
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