कैसे तैयार होगी खिलाड़ियों की पौध, स्टेडियम की हालात खस्ता, पीने का पानी भी नहीं होता नसीब

कैसे तैयार होगी खिलाड़ियों की पौध, स्टेडियम की हालात खस्ता, पीने का पानी भी नहीं होता नसीब
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  • देखरेख के अभाव में स्टेडियम का भवन हो चुका बदहाल, शरारती तत्वों ने भवन के तोड़े शीशे
  • भवन के दरवाजे व खिड़कियों भी हो चुकी गायब, मैदान में खड़ी है बड़ी-बड़ी झाड़िया
  • कच्चे ट्रैक पर दौड़ने को मजबूर हैं खिलाड़ी, खेल मैदान में शौचालय तक का है अभाव

महेंद्रगढ़। सरकार की ओर से खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन महेंद्रगढ़ के खेल स्टेडियम में सरकार के सभी दावे फेल हो जाते हैं। यहां के खेल स्टेडियम खिलाड़ियों की सुविधा तो दूर की बात है यहां खिलाड़ियों पीने तक का पानी नसीब नहीं होता। अधिकारियों व सरकार के कई बार शिकायत पहुंचाने के बाद भी खिलाड़ियों की सुध नहीं जा रही है। ऐसे सवाल है कि महेंद्रगढ़ शहर में खिलाड़ियों की नई पौध कैसे तैयार होगी।

बता दें कि महेंद्रगढ़ जिला प्रदेश के सबसे पुराने जिले में से एक है। वहीं सरकार की अनदेखी के चलते जिला लगातार अन्य जिलों से पिछड़ा जा रहा है। यहां के खेल स्टेडियम केवल नाम का ही रह गया हैं। सुविधा के नाम पर खेल मैदान में कुछ भी नहीं हैं। इसके बावजूद भी सुबह-शाम भारी संख्या में खिलाड़ी खेल में भविष्य बनाने की मांग चाहत लेकर अभ्यास करने पहुंचते हैं। खिलाड़ियों का कहना है कि अगर उनको सुविधाएं मिले तो अंर्तराष्ट्रीय पर जिले का नाम रोशन कर सकते हैं।

स्टेडियम में है सुविधा न के बराबर

स्थानीय खेल मैदान के भवन में लगे शीशे शरारती तत्वों द्वारा तोड़ दिए गए हैं। टूटे हुए शीशे स्टेडियम के भवन में बिखरे हुए हैं। यह शीशे किसी को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा भवन के सभी दरवाजे व खिड़कियां गायब हो चुकी हैं। खेल मैदान में बड़ी-बड़ी झाड़ियां खड़ी हैं। इसके अलावा खिलाडि़यों के दौड़ने के लिए बनाया गया ट्रैक भी कच्चा है। यह भी साइड से पूरी तरह से टूट चुका है।

सीजन में 500 खिलाड़ी आते हैं अभ्यास के लिए

स्थानीय खेल स्टेडियम में सुबह-शाम भारी संख्या में खिलाड़ी अभ्यास करने के लिए आते हैं। सीजन के समय तो यहां अभ्यास करने वाले खिलाड़ियों की संख्या करीब 500 होती है, लेकिन यहां खिलाड़ियों के पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। खिलाड़ी अपने घर से पानी लेकर स्टेडियम में आते हैं। वहीं शौचालय चालू नहीं होने के कारण खिलाड़ियों को परेशानी उठानी पड़ती हैं। सबसे अधिक परेशानी लड़कियों को उठानी पड़ रही है।

स्टेडियम में है कोच का अभाव

स्थानीय खेल स्टेडियम में केवल दो कोच की तैनाती की गई है, जिसमें बॉक्सिंग कोच मोनिका तथा कोच जयवीर सिंह शामिल हैं। फिलहाल कोच जयवीर सिंह को भी प्रमोट करके दूसरी जगह भेज दिया है। अब केवल यहां एक कोच रह गया हैं। बिना कोच खिलाड़ियों को स्वयं ही तैयारियां करनी पड़ रहीं हैं। ऐसे में सवाल है कि बिना कोच के खिलाड़ी कैसे अपना भविष्य सवारेंगे।

जल्द कराई जांएगी स्टेडियम की मरम्मत

डीएसओ मदनपाल ने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने स्टेडियम का निरीक्षण किया था। यहां स्टेडियम की हालात काफी खराब हो चुकी हैं। जल्द की खेल स्टेडियम की सभी कमियों को दुरुस्त कराया जाएगा। खिलाड़ियों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं आने दी जाएगी।

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