दिल्ली-जयपुर के बीच दौड़ रही सैकड़ों अवैध बसें, खास लोगों की बसों पर अधिकारी भी मेहरबान

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
प्राइवेट बसों के अवैध संचालन से रोडवेज विभाग व प्रदेश सरकार को हर माह लग रहे करोड़ों रुपए के चूने को रोकने के लिए हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा भले ही कितने ही प्रयास करें, लेकिन हकीकत यह है कि भ्रष्टाचार की दलदल में धंस अफसरशाही इन बसों के संचालन को रोकने में ठोस कदम नहीं उठा पा रही है। अकेले दिल्ली- जयपुर नेशनल हाईवे पर करीब डेढ़ सौ बसों का अवैध परिचालन हो रहा है, लेकिन अधिकारी सरकार की सख्ती के बाद चंद बसों पर एक्शन लेने के बाद लंबी तानकर सो जाते हैं।
अवैध रूप से चलने वाली बसों के मालिक प्रभावशाली होने के कारण खास मार्का की बसों को चेकिंग के दौरान भी अधिकारी नजर फेरकर आसानी से छोड़ देते हैं। इन बसों में राजस्थान में कम दूरी पर चलने वाली परमिट की बसें भी शामिल हैं, जो सिटी में चलने की बजाय दिल्ली तक की दौड़ लगाती हैं।
बीते सप्ताह डीटीओ विभाग की ओर से अलग-अलग टीमें बनाकर दिल्ली जयपुर हाईवे पर अवैध रूप से चलने वाली बसों की जांच का काम शुरू किया गया था। जैसे ही विभाग की ओर से अवैध रूप से संचालित होने वाली बसों की जांच शुरू की गई तो देखते ही देखते बड़ी संख्या में ऐसी बसें लपेटे में आती चली गईं। विभाग की ओर से करीब दो दर्जन बसों पर प्रति बस 50 हजार के हिसाब से जुमार्ना किया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिस समय विभाग की ओर से चेकिंग की जा रही थी, ठीक उसी समय विशेष मार्का की अवैध रूप से संचालित बसों को रोकने की हिम्मत विभाग की टीमें नहीं दिखा पा रही थीं। इन बातों पर डीटीसी, दशमेश, राही चिल्लर, स्टारलाइन, शक्ति व गोल्डलाइन जैसे मार्का लगे हुए हैं।
सूत्रों के अनुसार विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारियों की इन बसों के मालिकों के साथ अच्छी सांठगांठ होने के कारण मार्का को देखकर ही इन खास बसों पर खास मेहरबानी की जाती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बसों के अवैध संचालन के साथ-साथ परमिट लेकर चल रही बसों से टैक्स की भी भारी चोरी की जा रही है। बड़ी संख्या में 39 सीट की पासिंग वाली बसों में सीटों की संख्या बढ़ाकर 52 तक कर दी जाती है। इनमें से अधिकांश बसें लंबे रूटों पर चलने वाली हैं। मोटर व्हीकल एक्ट के तहत इन बसों में सीटों की संख्या अधिक पाए जाने की स्थिति में एक लाख रुपये तक जुमार्ना करने का प्रावधान है। साथ ही बस मालिक को छह माह की सजा भी हो सकती है। इसके बावजूद इन बसों का धड़ल्ले से संचालन हो रहा है। परिवहन मंत्री और सरकार की आंखों में धूल झोंकने के लिए विभाग के अधिकारी चंद बसों तक अपनी कार्रवाई सीमित रखते हैं। चंद बसों पर जुमार्ना करने के बाद वाहवाही लूटने का प्रयास करते हैं। जिसमें मोटा लेन-देन होने की आशंकाएं जताई जा रही हैं।
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