मैं हूं जसलीन! पटियाले वाली... सरकार से हमें पेंशन रूपी दया नहीं, नौकरी चाहिए

मैं हूं जसलीन! पटियाले वाली... सरकार से हमें पेंशन रूपी दया नहीं, नौकरी चाहिए
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जिस तरह से आम लड़के-लड़कियां पढ़ाई पूरी करने के बाद पुलिस, बैंक, स्कूल या फिर अन्य विभागों में नौकरी कर रहे हैं, उसी तरह सरकार किन्नर समाज के शिक्षित युवाओं को भी नौकरी के अवसर मिलने चाहिएं।

डॉ. अनिल असीजा. हिसार

अग्रसेन भवन में 25 जुलाई से जारी राष्ट्रीय मंगलमुखी सम्मेलन में पहुंची जसलीन अपने मुखर और क्रांतिकारी विचारों की वजह से सबका ध्यान अपनी ओर खींच रही है। सम्मेलन में आए करीब 250 किन्नरों की चल रही सामूहिक चर्चा के बीच जब हरिभूमि ने दस्तक दी तो वहां 5 फुट 7 इंच लम्बे कद वाली युवती पास आकर बोली, मैं हूं जसलीन, जसलीन पटियाले वाली, पंजाब से आई हूं, मेरा इंटरव्यू लो।

औपचारिक परिचय के बाद जसलीन ने बताया कि वह माइक्रो बायोलॉजी से एमएससी और जीएनएम (नर्सिंग कोर्स) तक शिक्षित है। उसे अपने पटियाला शहर से इतना लगाव है कि वह खुद के नाम के साथ पटियाला वाली कहना और कहलाना गर्व से भर देता है।

जसलीन को यह बात खासी परेशान करती है कि सरकार ने ट्रांसजेंडरों को तो मान्यता तो दे दी है मगर उन्हें अभी भी दया का पात्र मानती है। सरकार किन्नरों को पेंशन राशि के तौर पर दया नहीं बरते बल्कि रोजगार के समान अवसर दे। जिस तरह से आम लड़के-लड़कियां पढ़ाई पूरी करने के बाद पुलिस, बैंक, स्कूल या फिर अन्य विभागों में नौकरी कर रहे हैं, उसी तरह सरकार किन्नर समाज के शिक्षित युवाओं को भी नौकरी के अवसर मिलने चाहिएं।

वह बताती है कि अपने शहर में वह रोजमर्रा के जीवन में भी आमजन के मुद्दों को लेकर वह किसी न किसी मंच या अन्य माध्यम से वह अपनी बात जरूर रखती है। जसलीन सिंघु बार्डर पर कृषि आंदोलनकारियों को समर्थन देने के साथ बढ़ते पेट्रो दामों के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में भाग ले चुकी है।

खुशमिजाज जसलीन मंगलमुखी होने की वजह से समाज के खुद के तिरस्कार की बात का स्वयं ही जिक्र कर दुखी भी दिखाई दी। हंसते हुए एकदम गंभीर होकर बोली, मेरे घर में मां-पिता के अलावा भाई बहन भी हैं। बाकी समाज का तो जो भी नजरिया मेरे मंगलमुखी होने पर हो, कुछ रिश्तेदार भी शर्मिंदगी महसूस करते हैं। एक मां ही है जिसके लिए उसका बच्चा हमेशा बच्चा ही रहता है। कभी घर मिलने जाउं तो वह मुझे कभी मेरा जेंडर महसूस नहीं होने देती। अचानक आवाज में आई भावुकता को छुपाते हुए बोली, अब तो समाज के सभी युवा मेरे भाई-बहन है। हम तो सबकी खैर मांगते हैं। सम्मेलन में कोरोना महामारी खत्म होने की कामना भी की है। बेऔलाद को संतानसुख मिले, बेरोजगार के हिस्से खुशहाली आए। मुझे किसी से कोई गिला-शिकवा नहीं है, आखिर हूं तो पटियाले वाली ही।

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