Neuro रोग बिना इलाज छोड़ा तो खतरे में पड़ सकती है जिंदगी, यह लक्षण दिखे तो हो जाएं सावधान

न्यूरो ( neuro ) यानी दिमाग और इससे संबंधित बीमारी किसी के भी जीवन को खतरे में डाल सकती है। इसलिए इस प्रकार की बीमारी को अनदेखा नहीं करना चाहिए वरना परिणाम गंभीर हो सकते हैं। समय-समय पर मेडिकल टेस्ट ( medical test ) होना चाहिए और स्वास्थ्य का खास तौर पर ध्यान रखना चाहिए क्योंकि आज की जीवन शैली में सबसे अधिक दबाव एक ऐसी चीज है जो बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक पर हावी रहती है। यही दबाव दिमाग से संबंधी बीमारी ( brain disease ) का सबसे बड़ा कारण है। इस दबाव को दूर करने के लिए व्यक्ति को हंसते खेलते और हमेशा खुश रहना चाहिए। व्यायाम और योगा ( Yoga ) इसे फिट रखने की सबसे बड़ी औषधि है। यह कहना है ग्रेशियन अस्पताल मोहाली की न्यूरोलॉजी की सीनियर कंस्लटेंट डा. हीना कथूरिया का जो शुक्रवार को करनाल में जागरूकता कार्यक्रम के तहत लोगों को संबोधित कर रही थी। कथूरिया ने कहा कि यदि समय पर जांच करवा ली जाए तो एक लक्षण से बीमारी की असली स्थिति का पता लग जाता है।
डा. हीना कथूरिया ने बताया कि कई बार लोग सिर्फ बाहरी शारीरिक लक्षणों को देखते हैं वह मानसिक ( Mental ) या दिमागी लक्ष्णों की तरफ ध्यान नहीं देते। न्यूरो से संबंधित बीमारी के भावुक लक्षण भी हो सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति का व्यवहार एकदम बदलता है, क्रोधित होता है, या तनाव में आता है, यह भी न्यूरो के ही लक्षण हैं। ऐसे लक्षणों की सूरत में तुरंत न्यूरो माहिर के पास दिखाने की जरूरत होती है। इन लक्ष्णों को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। सिर दर्द माइग्रेन ( migraine ) के कारण भी हो सकता है। पैरों तथा हाथों में जलन महसूस होना भी स्ट्रोक के लक्षण हो सकते हैं। चलते समय संतुलन बिगडऩा, चलने के समय टांगों का थिरकना तथा बोलने के समय जीभ का लडख़ड़ाना भी एक लक्षणों है। अब न्यूरो से संबंधित इन सभी रोगों का इलाज अब संभव है तथा इलाज से लोगों की जानें बचाई जा सकती हैं तथा इलाज के बाद मरीज रोजाना की तरह जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं।
यह लक्षण दिखे तो हो जाएं सावधान
न्यूरो से संबंधित बीमारियों के लक्ष्ण दिमागी हालत से जुड़े होते हैं, जिनमें भूल जाना, चेतना की कमी तथा अन्य कई आदतें शामिल हैं। यदि मरीज के गुर्दों के नाड़ीतंत्र में विकार, किसी चीज की खुशबू या स्वाद का पता न लगना, धुंदला दिखना या दो आकृतियां दिखाई दें आदि ऐसे लक्षण हैं, तो मरीज दिमागी दौरे (स्ट्रोक) से पीड़ित हो सकता है। इसके अलावा चेहरे का टेड़ा होना, बोलापन महसूस होना या कानों में टीं-टीं की आवाज आनी, चक्कर आने या आवाज बदले जाना भी स्ट्रोक के लक्षण हैं। अन्य लक्षणों में हाथ-पैरों में कमजोरी आना, शरीर के दूसरी तरफ सुन्न जैसा महसूस होना, दोनों टांगों या दोनों बाजूओं में कमजोरी महसूस होना, सिर दर्द, बिजली के झटकों की तरह झटके महसूस होना, गर्दन तथा कमर में दर्द भी शामिल है।
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