कहीं आप त्योहारों में नकली घी तो नहीं खरीद रहे, मिनटों में ऐसे करें शुद्ध और मिलावटी घी की जांच

कहीं आप त्योहारों में नकली घी तो नहीं खरीद रहे, मिनटों में ऐसे करें शुद्ध और मिलावटी घी की जांच
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बाजार से आप जिसे देसी घी ( Desi Ghee ) समझकर रुपये खर्च करके घर ले आते हैं वह असल में रिफाइंड ऑयल ( Refined Oil ) और वनस्पति घी ( Vegetable Ghee ) का प्योर मिश्रण है। अनजाने में कई लोग इसी घी का दीया दिवाली और अन्य मौकों पर अपने आराध्य देवी-देवता के समक्ष जलाते हैं।

Difference Between Fake Ghee and Pure Ghee

त्योहारी सीजन में मिठाइयों में मिलावट का धंधा जोरों पर जारी है। ऐसे में घी भी मिलावटी बेचा रहा जा रहा है। बाजार से आप जिसे देसी घी ( Desi Ghee ) समझकर रुपये खर्च करके घर ले आते हैं वह असल में रिफाइंड ऑयल ( Refined Oil ) और वनस्पति घी ( Vegetable Ghee ) का प्योर मिश्रण है। अनजाने में कई लोग इसी घी का दीया दिवाली और अन्य मौकों पर अपने आराध्य देवी-देवता के समक्ष जलाते हैं। उस डिब्बे पर गौर करेंगे तो अंग्रेजी के साफ अक्षरों में एडबल ऑयल ( खाद्य योग्य तेल ) अंकित होता है। यह बात न तो आपको दुकानदार ही बताता है और ना ही आपका दिमाग इस ओर सोचता है। यह पता लगने पर आप अगली बार इस शुद्ध देसी घी को समझे जाने वाले मिश्रण को खाना तो दूर, उसे छूने से पहले भी कई बार सोचेंगे। त्योहारी सीजन में इसी एडिबल ऑयल को देसी घी की मिठाइयों के नाम से बेचा जाता है क्योंकि खास तरीके से उबाले गए इस मिक्सचर के साथ इम्पोर्टेड सेंट से इसकी खूश्बू हू-ब-हू देसी घी जैसी ही हो जाती है।

जानिए कैसे बनाया जाता है मिलावटी घी

आपको बता दें कि मिलावटी घी बनाने के लिए सबसे पहले वनस्पति घी को धीमी आंच पर पकाया जाता है। इसके करीब एक घंटे तक भूनने पर इससे सोंधी-सोंधी खुशबू आने लगती है। इसके बाद करीब 40 प्रतिशत रिफाइंड के साथ उसी वनस्पति घी को करीब 3-4 घंटे तक पकाया जाता है। इस दौरान इस मिश्रण को लगातार कड़छी से घोटते रहते हैं। कुछ फैक्टरी संचालक एक बर्तन में पानी और सोडे में जानवरों की चर्बी वाले मिश्रण को छानने के बाद रिफाइंड व वनस्पति को इसमें मिलाते हैं। जब तक इसका रंग कुछ पीला न हो जाए, इसे ठंडा होने दिया जाता है। देसी घी की तरह दिखने वाली यही चीज असल में जानवरों की चर्बी का तेल होती है। फिर, अन्य सामग्रियों को मिलाकर तैयार किए जाने वाले नकली घी को शुद्ध देसी घी के नाम पर पैक करके खुले बाजार में बेच दिया जाता है। नकली देसी घी को तैयार करने के लिए हानिकारक इम्पोर्टेड सेंट का भी प्रयोग किया जाता है। जिससे लोग इसे शुद्ध घी समझकर खरीद लेते हैं।

उबले हुए आलू और कोलतार डाई का भी होता है प्रयोग

एक साथ मिलाने के बाद इसमें उबले हुआ आलू और कोलतार डाई का भी प्रयोग किया जाता है। मिलावटी घी वनस्पति से इसलिए तैयार किया जाता है क्योंकि यह दानेदार होता है। घी की क्वालिटी को अच्छा करने के लिए इसमें 5 से 10 प्रतिशत असली देसी घी भी मिला दिया जाता है। देशी घी स्वाद के साथ कड़कपन लाता है। फिर इसमें खुशबू के लिए पांच से 6 हजार रुपये प्रति लीटर वाला इम्पोर्टेड सेंट भी मिलाया जाता है। यह इम्पोर्टेड सेंट सेहत के लिए बेहद घातक होता है, फिर भी यह चोरी-छुपे बाजार में आसानी से बिकता है। एक क्विंटल तैयार मिलावटी माल तैयार करने में मात्र 30 एमएल ही इम्पोर्टेड सेंट मिलाया जाता है। इससे तैयार माल में नकली घी में भी असली घी जैसी ही महक आती है। तैयार मिलावटी घी की बाद में मशीन से पैकिंग की जाती है।

रिफाइंड व वनस्पति घी में रंग और खुशबू से हो रहा मिलावटी धंधा

असली घी में मिलावट करने के लिए मिलवाटखोर अधिकतर वनस्पति घी में हल्का बटर येलो, इम्पोर्टेड सेंट, वजन बढ़ाने के लिए उबले आलू का स्टार्च व प्रिजरवेटिव का प्रयोग कर रहे हैं। जिसके बाद घी में मिलावट का पता चलना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह घी अधिकतर बिना लेबलिंग के खुला या पैकेट में मिलता है।

आप ऐसे कर सकते हैं घी की जांच

- घी शुद्ध है या नहीं, यह पता लगाने के लिए घी में 4 से 5 बूंदे आयोडीन की मिलाएं। घी का रंग नीला हो जाए तो इसका मतलब है कि घी में मिलावट की गई है। नीले घी का मतलब है कि इसमें आलू मिलाया गया है।

- एक बर्तन में एक चम्मच घी डालें, इसमें थोड़ी चीनी और थोड़ा सा हाइड्रोक्लोरिक एसिड डालकर मिक्स करें। अगर घी में मिलावट की गई है तो इसका रंग बदलकर लाल हो जाएगा।

- एक बर्तन में दो चम्मच घी और आधा चम्मच नमक के साथ एक चुटकी हाइड्रोक्लोरिक एसिड मिलाकर तैयार किए गए मिश्रण को 20 मिनट के लिए अलग रखकर छोड़ दें। अगर घी ने कोई रंग नहीं छोड़ा तो यह असली घी है लेकिन अगर घी लाल या फिर किसी अन्य रंग का दिखाई दे रहा है तो समझ जाएं कि इसमें मिलावट है।

- घी की शुद्धता पता लगाने का सबसे साधारण तरीका है कि थोड़ा सा घी दोनों हथेलियों में लेकर इसे रब करें और फिर स्मेल करें। अगर थोड़ी देर बाद घी में से खुशबू आनी बंद हो जाए तो इसका मतलब है कि घी शुद्ध नहीं है और इसमें मिलावट की गई है।

- एक बर्तन में एक चम्मच घी गर्म कर लें। अगर घी तुरंत पिघल जाता है और गहरे भूरे रंग में बदल जाता है, तो यह शुद्ध है और अगर घी के पिघलने में ज्यादा समय लगता है और यह हल्के पीले रंग में बदल जाता है, तो यह मिलावटी है।

- घी में मिलावट का पता लगाने के लिए नारियल के तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। डबल-बॉयलर तरीके का इस्तेमाल कर एक जार में कुछ घी पिघलाएं और दूसरे जार में डालें और जार को फ्रिज में रख दें। अगर घी और नारियल का तेल अलग-अलग परतों में जम जाए तो यह घी मिलावटी है और जो घी आप इस्तेमाल कर रहे हैं, वह शुद्ध है।

- मिलावटी घी की खास पहचान यह भी है कि लगभग दो सप्ताह बाद इसकी खुशबू कम होने के साथ-साथ इसके स्वाद में भी बदलाव आ जाता है।

इन बातों की रखें सावधानी

- घी के डिब्बे की पूरी लेबलिंग देखें। उस पर छपे एफएसएसआई लाइसेंस नंबर को जरूर चेक कर लें। पैकिंग पर लिखे कंटेंट को भी चेक करें और खुला घी खरीदने से बचें।

-घी खरीदते समय दुकानदार से बिल जरूर लें।

यहां कर सकते हैं शिकायत

- घी में मिलावट का अंदेशा होने पर आप फूड सेफ्टी विभाग को शिकायत दे सकते हैं।

- आईजीआरएस पोर्टल पर भी ऑनलाइन शिकायत की जा सकती है।

- जिलाधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट के कार्यालय में सीधी शिकायत की जा सकती है।

- सीधे सीएम विंडो में शिकायत करें जो संबंधित अधिकारी तक पहुंच जाएगी।

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