गेहूं की पछेती प्रजातियों की बुआई में अनदेखी किसानों को पड़ सकती है भारी, करें ये उपाय

गेहूं की पछेती प्रजातियों की बुआई में अनदेखी किसानों को पड़ सकती है भारी, करें ये उपाय
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देरी से बोई जानी वाली फसलों में अपेक्षाकृत पैदावार कम होती है। तापमान कम हो जाने से गेहूं की फसल का यथोचित विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में कृषि विभाग ने देरी से बोई जाने वाली प्रजातियों की सूची जारी की है।

सूरज सहारण. कैथल

गेहूं की पछेती प्रजातियों की बुआई का समय चल रहा र्है। ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों के लिए विशेष गाइडलाइन जारी की हैं। इनका पालन करने पर ही अच्छी पैदावार ली जा सकती है। देरी से बोई जानी वाली फसलों में अपेक्षाकृत पैदावार कम होती है। तापमान कम हो जाने से गेहूं की फसल का यथोचित विकास नहीं हो पाता है। ऐसे में कृषि विभाग ने देरी से बोई जाने वाली प्रजातियों की सूची जारी की है। यह प्रजातियां देरी से बुआई करने पर भी बेहतर पैदावार देती है।

गेहूं की देरी से होने वाली बोवाई 15 नवंबर से 21 दिसंबर तक ही की जा सकती है। उसके बाद गेहूं की बुआई नहीं करने की सलाह दी जाती है। विशेषज्ञों ने किसानों को जागरूक किया है कि 21 नवंबर से पहले हर हाल में गेहूं की बुआई कर दें। उसके बाद की जाने वाली बुआई से जमाव और पैदावार प्रभावित होती है। इस बार दीपावली पर बरसात होते के चलते किसानों को खेत खाली करने में परेशानी का सामना करना पड़ा था। उसके चलते बड़े क्षेत्रफल पर अभी तक बुआई नहीं हो पाई है।

बीज की मात्रा बढ़ाएं

कृषि विशेषज्ञों ने देरी से गेहूं की बुआई करने पर बीज की ज्यादा मात्रा लगाने की सलाह दी है। तापमान कम हो जाने से बीज का अंकुरण प्रभावित होता है। इससे काफी बीज नहीं जम पाता है। विशेषज्ञों ने किसानों को 25 प्रतिशत ज्यादा बीच लगाने का परामर्श दिया है। अब एक एकड़ में 50 किग्रा गेहूं का बीज प्रयोग करना होगा। इसके साथ ही उर्वरक की मात्रा भी बढ़ाने की सलाह दी गई है। किसानों को अब नोइट्रोजन, फास्फोरस और पोटास 60:24:12 के अनुपात में प्रयोग करने को कहा गया है। इसके लिए एक एकड़ में 50 किग्रा डीएपी और 110 किग्रा यूरिया का प्रयोग करना होगा। इसके साथ ही बायोफटीर्लाइजर का प्रयोग करने की सलाह दी गई है। इसके लिए 250 ग्राम एनोवेक्टर और 25 एमएल पीएसबी का प्रयोग 50 लीटर पानी में मिलाकर करें।

बीज को करें उपचारित

कृषि विशेषज्ञ डा. रमेश वर्मा ने बताया कि पछेती बुआई के लिए खास सावधानी की जरूरत है। इसके लिए बीज को रातभर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह को बुआई से पहले बीज को दो घंटे के लिए छाया में सुखा लें। बीज को 60 एमएल क्लोरोपायरीफॉस और दो एमएल कार्बोक्सिन प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से मिलाकर प्रयोग करें। इससे गेहूं में बीमारी कम लगेंगी। जमाव अच्छा होगा, जिसका लाभ पैदावार में मिलेगा। इसके साथ ही गेहूं की बुआई के तत्काल बाद दो लीटर डीमेथालिन और 60 ग्राम पायरोक्सा सल्फोन को 200 लीटर पानी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर दें।

देरी से बोई जाने वाली गेहूं की प्रजाति

- डब्ल्यूएच 1021

- डब्ल्यूएच 1124

- राज 3665

- डीबीडब्ल्यू 107

- डीबीडब्ल्यू 173

- एसडी 3059

पछेती बुआई में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। ऐसे में विशेषज्ञों द्वारा दिए गए सुझावों का पालन करें और वैज्ञानिक विधि से ही खेती करें। लापरवाही करने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। - डा. कर्मचंद, उप निदेशक कृषि एवं कल्याण विभाग, कैथल।


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