शराब चाहिए तो ना जाए ठेका पर, अवैध रूप से घर-घर हो रही होम डिलीवरी, लेकिन पुलिस...

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
शहर में इन दिनों अवैघ रूप से शराब की होम डिलीवरी का खेल चल रहा है। नेटवर्क इतना बड़ा है कि पुलिस उसे तोड़ नहीं पा रही। कम दाम और बाइक से घर-घर शराब होम डिलीवरी के माध्यम से पहुंच रही है। शराब ठेका पर ग्राहकों की पहले के मुकाबले कम संख्या ही पहुंच पा रही है। होम डिलीवरी करने के लिए गिरोह के लोग बेरोजगार युवकों को अपने चंगुल में फंसाते है और मासिक वेतन देने की बात कहकर उसने शराब होम डिलीवरी का धंधा करवा रहे है। इससे शराब ठेकेदार को तो नुकसान हो ही रहा है, साथ ही सरकार को भी राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
शहर में ऐसे कई बार केस सामने आ चुके है। कहीं ना कहीं पुलिस विभाग के कुछ लोग इन लोगों से मिलीभगत में रहते है ताकि पुलिस की गतिविधियों का पता चलता रहे। यहीं कारण है कि होम डिलीवरी के इस धंधे को जड़ से पुलिस खत्म नहीं कर पा रही है। इसी तरह का नजारा शहर में देखने को मिला। हुआं यूं कि महावीर पुलिस चौकी से एएसआई विजेंद्र कुमार अपनी टीम के साथ गश्त पर बस स्टैंड मौजूद थे। मुखबर खास से पता चला शराब बाइक पर रखकर होम डिलीवरी के लिए जा रही है। नाकाबंदी की तो महावीर चौक से बस स्टैंड साइड एक संदिग्ध बाइक आती दिखाई दी। उसे रूकवाया तो उसने अपना नाम विशाल वासी पुरानी सराय बताया। बाइक को चैक किया तो थैले में शराब की बोतलें रखी थी। जिसको बाहर निकालकर देख तो उसमें दो बोतल रॉयल ग्रीन, तीन बोतल व्हाईट ब्ल्यू, दो बोतल रॉयल चैलेज और तीन बोतल रॉयल स्टैग व्हीस्की थी। परमिट व लाइसेंस मांगा तो कुछ नहीं था।
पूछताछ में आरोपित विशाल ने बताया कि नौकरी नहीं मिलने के कारण वह मासिक आठ हजार वेतन में राहुल वासी पुरानी सराय के पास शराब बेचने का काम करता है। राहुल उसे शराब लाकर देता है और वह बाइक पर रखकर होम डिलीवरी कर देता है। पुलिस ने एएसआई की शिकायत पर विशाल व राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, शराब अधिनियम-61 के तहत केस दर्ज किया है।
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