पुलिस के लिए चुनौती हैं अवैध हथियार व दूसरे राज्यों के शस्त्र लाइसेंस

हरिभूमि न्यूज : बहादुरगढ़
अवैध हथियारों के अलावा बाहरी राज्यों से बने शस्त्र लाइसेंस पुलिस के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। दिल्ली और आसपास के इलाके में अब हथियारों के लाइसेंस पाना मुश्किल हो गया। इसलिए धन्ना सेठों के अलावा अपराधियों ने वैध लाइसेंस बनाने के लिए दूसरे मार्ग खोजे हैं। पिछले एक दशक के दौरान नगालैंड में हथियारों के लाइसेंस देने का जैसे रिटेल काउंटर खुल गया है। बाहरी राज्यों विशेषकर नागालैंड में बने लाइसेंसों का स्थानीय पुलिस के पास समूचा रिकार्ड नहीं है।
बता दें कि हरियाणा में शस्त्र लाइसेंस कई बिंदुओं पर पुलिस विभाग की जांच रिपोर्ट के बाद ही डीएम कार्यालय से जारी होता है। इन प्रक्रियाओं को पूरा नहीं कर पाने वाले लोग आसानी से नागालैंड, पंजाब, आसाम और जम्मू से शस्त्र लाइसेंस जारी करवा लेते हैं। बाद में एनओसी के आधार पर हरियाणा में ट्रांसफर करवा लेते हैं। एनओसी ट्रांसफर की व्यवस्था सेवारत फौजियों की सहूलियत के लिए बनाई गई थी। लेकिन इस शार्टकट व्यवस्था को आम लोगों ने भी अपना लिया है। स्थानीय प्रक्रिया जटिल होने के कारण दलाल मोटे पैसे लेकर नागालैंड व दूसरे राज्यों से शस्त्र लाइसेंस बनवा रहे हैं। इन राज्यों से शस्त्र लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया आसान है। हालांकि इन राज्यों से लाइसेंस जारी करवाने वालों में फौजियों की संख्या काफी अधिक है। इनमें कई लोगों के एक ही लाइसेंस में तीन तीन हथियार दर्ज हैं। पैसे चुकाने के बाद लाइसेंस, हथियार की मंजूरी व आल इंडिया सेवा एक साथ मिल जाती है।
आल इंडिया की प्रक्रिया जटिल
आल इंडिया शस्त्र लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया काफी जटिल है। किसी भी प्रदेश से बनने वाले शस्त्र लाइसेंस की एक निर्धारित सीमा तय होती है। प्रदेश सरकार अधिकतम अपने पड़ोसी दो राज्यों तक का ही लाइसेंस जारी कर सकती है। बाकी राज्यों (आल इंडिया) के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से ही शस्त्र लाइसेंस की स्वीकृति मिलती है। मगर नागालैंड में धड़ल्ले से आल इंडिया शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए हैं।
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