कितलाना टोल पर किसान महापंचायत में किसानों ने लिए ये निर्णय

हरिभूमि न्यूज : चरखी दादरी
कितलाना टोल पर आयोजित किसान महापंचायत (Kisan Mahapanchayat) में संयुक्त किसान मोर्चा के नेता गुरनाम सिंह चढूनी और गौरव टिकैत ने संबोधित किया। संयुक्त अध्यक्ष मंडल की अगुवाई में सम्पन्न हुई महापंचायत में निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने आंदोलन के संदर्भ में लिए गए 8 निर्णय सुनाए। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडु ने भी अपने विचार रखे।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि आज कॉरपोरेट जगत और जनता के बीच जंग है और इसके लिए शोषित व पीड़ित वर्गों को एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि आज सरकार, मीडिया और अर्थव्यवस्था पर बड़े घरानों का कब्जा है। नीति निर्धारण करने वाली राज्यसभा में अरबपतियों का बोलबाला है जो अपने माफिक कानून बनवाते हैं। ये तीनों काले कानून इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है हैं। संयुक्त किसान मोर्चा के युवा नेता गौरव टिकैत ने कहा कि भाजपा भाईचारे को तोड़ना चाहती है, लेकिन 36 बिरादरी इस जनांदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष कर रही है और सरकार के इस मंसूबे को सफल नहीं होने देगी। उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाताओं ने अंग्रेजों के समय भी अपने हकों को नहीं छोड़ा था और आज भी अपनी मांगों को पूरा करवाकर रहेंगे।
हर गांव से 11.11 सदस्यों की बनाई जाएगी कमेटी
महापंचायत के मुख्य वक्ता व दादरी से निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने महापंचायत में लिए गए निर्णय सुनाते हुए कहा कि हर गांव में 36 बिरादरी के सहयोग से 11- 11 महिलाओं और पुरुषों की कमेटी बनाई जाएगी, हर घर और गाड़ी पर संयुक्त किसान मोर्चा का झंडा और स्टीकर लगाया जाएगा। संसद कूच की अभी से तैयारी की जाएगी। भाजपा और जजपा नेताओं के हर गांव में नो एंट्री के बोर्ड लगाए जाएंगे और उसके बावजूद आने पर शांतिपूर्ण ढंग से काले झंडे दिखाकर विरोध किया जाएगा। राज्यपाल सत्यदेव शास्त्री, सतपाल मलिक, जगदीप धनखड़ और कप्तान अभिमन्यु को किसान आंदोलन के संदर्भ में पत्र लिखा जाएगा। जब तक आंदोलन चलेगा सभी बार्डरों पर सभी खापें हर रोज खाद्य सामग्री भेजेंगे और हाजिरी बढ़ाएंगी। इसका पंचायत में हाजिर सभी लोगों ने हाथ उठाकर समर्थन किया।
सरकार पर लगाया आंदेालन दबाने का आरोप
महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कहा कि सरकार आंदोलन को दबाने और कुचलने का प्रयास कर रही है, लेकिन कामयाब नहीं होगी। उन्होंने कहा कि किसान व मजदूरों का यह आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक चर्चा का विषय बना हुआ है। जल्द ही सरकार को झुकना पड़ेगा। महापंचायत में 54 खाप, किसान, मजदूर, सामाजिक, व्यापारी और कर्मचारी संगठन शामिल हुए।
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