किसान आंदोलन : कुंडली बॉर्डर पर किसान संयुक्त मोर्चा की अहम बैठक आज

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत
तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की दहलीज पर 52 दिनों से चल रहे आंदोलन को किसानों ने अब तेज कर दिया है। 26 जनवरी को होने वाली ट्रैक्टर तिरंगा परेड को लेकर रविवार को कुंडली बॉर्डर पर किसान संयुक्त मोर्चा की अहम बैठक बुलाई गई है। संयुक्त मोर्चा की इस बैठक में ट्रैक्टर तिरंगा परेड को लेकर फाइनल रणनीति बनाई जाएगी। हालांकि इस रणनीति का ऐलान 18 जनवरी को देर शाम किया जाएगा। क्योंकि 18 जनवरी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन को लेकर सुनवाई है, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। यही नहीं उसी दिन नवगठित कमेटी की भी बैठक होनी है, जिसका किसान पहले ही बहिष्कार कर चुके हैं। यही कारण है कि इन पहलुओं के सामने आने के बाद ही किसानों ने देर सायं ट्रैक्टर परेड की जानकारी सांझा करने की बात कही है।
तीन कृषि कानूनों को निरस्त करवाने और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर कुंडली बार्डर पर धरनारत किसान 17 जनवरी को अहम बैठक करने जा रहे हैं। बेहद अहम मानी जा रही इस बैठक में सबसे बड़ा मुद्दा 26 जनवरी को निकाले जाने वाली ट्रैक्टर तिरंगा परेड का रहेगा। किसान संयुक्त मोर्चा की इस बैठक में ही तय किया जाएगा कि यह परेड कहां-कहां से निकलेगी। इसके लिए रूट प्लान क्या रहेगा और इसमें कौन-कहां से शामिल होगा। इन सभी मुद्दों पर बैठक में गहन मंथन किया जाएगा। हालांकि किसान पहले ही यह साफ कर चुके हैं उनका इरादा सरकार की परेड को खराब करने या उसमें व्यवधान डालने का नहीं है। ऐसे में देखना यह होगा कि किसानों की ट्रैक्टर तिरंगा परेड कहां से निकलेगी।
संयुक्त मोर्चा की बैठक में लिया जाएगा अंतिम निर्णय
किसान नेताओं का ट्रैक्टर तिरंगा परेड को निकालने का प्रयोजन क्या है? क्या ट्रैक्टर परेड दिल्ली में प्रवेश करेगी या केवल बॉर्डर स्थित इलाकों से ही इसका मार्च निकाला जाएगा? इस प्रकार के कई प्रश्नों को लेकर ही रविवार को कुंडली बॉर्डर संयुक्त मोर्चा की बैठक होगी, जिसमें अंतिम निर्णय लिया जाएगा। किसानों का कहना है कि वे किसी भी सूरत में तीन कृषि कानूनों से कम मानने वाले नहीं है और आंदोलन को तेज करने के लिए अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि 18 जनवरी को किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हुई है। इसमें एक याचिका ट्रैक्टर परेड पर रोक लगाने के लिए भी दाखिल है। इस पर सुप्रीम कोर्ट का क्या रूख रहता है, किसान इस पर निगाह रखे हुए हैं।
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