लॉकडाउन से घरों में कैद, सांस लेने के लायक आबोहवा भी नहीं, प्रदूषण सामान्य से तीन-चार गुना अधिक

अमरजीत एस गिल : रोहतक
कोविड-19 की वजह से देश में इस समय ऑक्सीजन के लिए मारा-मारी मची हुई है। इस अभाव में लोग मर रहे हैं। अब लॉकडाउन होने के बावजूद भी आबोहवा सांस लेने के लायक नहीं है। लोग घरों में कैद हैं और उन्हें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा नहीं मिल रही है। वर्ष 2020 में लगाए लॉकडाउन में हवा का स्तर न केवल सुधरा था। बल्कि हवा की स्वच्छता ने बीते 70-80 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। लेकिन इस बार लॉकडाउन के कष्ट झेलने के बाद भी सांस लेने का स्वच्छ हवा नहीं मिल रही है। बुधवार को लॉकडाउन के दस दिन हो गए। बावजूद इसके लोगों को सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा नहीं मिल रही है। इसकी वजह यह है कि इस बार सरकार ने सम्पूर्ण लॉकडाउन नहीं लगाया। हवा में जहर घाेलने वाले वाले कल-कारखाने ने आबोहवा काे सामान्य स्थिति तक नहीं पहुंचने दे रहे हैं।
कोविड का संक्रमण लगातार बढ़ता गया तो प्रदेश सरकार ने 3 मई 2021 को लाॅकडाउन की घोषणा की। इस दिन रोहतक का एक्यूआई 222 पर था। इसके अगले दिन यह 154 था। कम होने का कारण था कि हवा की रफ्तार तेज थी। जैसे ही वायु की गति कम हुई तो 6 मई को 259 पर जा पहुंचा। 6 को क्षेत्र में बारिश हुई और एक्यूआई 7 को 86 हो गया। इसके अगले ही दिन 8 को 101 हो गया। 9 से लेकर 12 मई तक रोहतक की आबोहवा में पीएम 2.5 की मात्रा कितनी रही है। इसकी अधिकारिक रूप से जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन बीते दस दिन में एक भी दिन ऐसा नहीं है, जब एक्यूआई 50 से नीचे गया हो। एक्यूआई अगर 50 तक है तो वह सांस लेने के लिए बिल्कुल सही है। 51-100 तक संतोषजनक, 201-300 तक अच्छा नहीं। 301-400 तक खराब और 401-500 तक हानिकारक होता है।
वर्ष 2020 का लेखा-जोखा
24 मार्च 2020 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन की घोषणा की थी। घोषणा पर रातोंरात ही अमल करवा दिया गया था। घोषणा के अगले दिन 25 मार्च की सुबह लोग सो कर उठे तो सब कुछ सुनसान था। सड़कों पर वाहन नहीं थे। बाजार खुले होने का तो सवाल ही नही था। इससे पहले केंद्र सरकार ने 22 मार्च 2020 रविवार को जनता कर्फ्यू लगाया था। चूंकि 24-25 मार्च की रात्रि में सभी कल-कारखाने बंद हो गए थे तो इसका असर आबोहवा पर बहुत ही जल्द पड़ने लगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 25 मार्च को रोहतक का एक्यूआई 86 था। इसके बाद यह 26 को इसमें 24 अंकों की गिरावट हुई तो यह 62 पर पहुंच गया। इसके बाद यूं कहें कि आबोहवा में दिन-प्रतिदिन क्या घंटे दर घंटे सुधार होता गया। 27 मार्च को 43 और 28 मार्च को यह 26 तक आ पहुंचा। पर्यावरण विशेषज्ञों का अनुमान है कि 28 मार्च 2020 रोहतक की आबोहवा का यह सूचकांक शायद बीते सात आठ दशक में सबसे कम रहा होगा। रोहतक क्या उत्तर भारत के कई शहरों से 150-200 किलोमीटर दूर शिवालिक रेंज की पहाड़ियां दिखाई देनी लगी थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। हवा में जहर की मात्रा सामान्य दिनों की तरह ही घुल रही है।
वाहन और कल-कारखाने मुख्य कारक
मैं पिछले कई दिन से देख रहा हूं कि लॉकडाउन के बावजूद भी रोहतक का एक्यूआई सामान्य स्थिति में क्यों नहीं हो रहा है। जबकि वर्ष 2020 में जब लॉकडाउन लगाया गया था तो उसके अगले दिन आबोहवा सामान्य होने लगी थी। मेरे हिसाब से वाहन और कल-कारखाने प्रदूषण बढ़ाने के मुख्य कारक हैं। जब तक सरकार ने इनके लिए नियम-कायदे नहीं बनाएगी तब तक लगातार प्रदूषण को नियंत्रित नहीं किया जा सके। - सुनील यादव, सहायक प्रोफेसर पर्यावरण विज्ञान विभाग महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक
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