2007 में अनिल विज ने विकास परिषद नाम से बनाया था ख्रुद का राजनीतिक दल, अब होगी भंग

चंडीगढ़। अंबाला छावनी विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार भाजपा से और कुल छठी बार विधायक बने अनिल विज, जो वर्तमान भाजपा-जजपा सरकार में गृह, स्वास्थ्य, शहरी स्थानीय निकाय आदि कुल सात विभागों के कैबिनेट मंत्री हैं, उनके कैंट स्थित निवास स्थान अर्थात- 62-ए, शास्त्री कॉलोनी पर बीते 13 वर्षों से पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल विकास परिषद का शीघ्र ही चुनाव आयोग द्वारा डी-रजिस्ट्रेशन किये जाने की संभावना है।
अम्बाला शहर निवासी एवं हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार, जिन्होंने डेढ़ वर्ष पूर्व यह मामला उठाया था। उन्होंने बताया कि बीते शुक्रवार 21 अगस्त को उन्हें हरियाणा के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) कार्यालय से उनके द्वारा दायर आरटीआई के जवाब में कुछ दस्तावेज भेजे गए हैं जिनमें इसी माह 5 अगस्त को विज द्वारा अम्बाला के उपायुक्त ( डीसी) एवं जिला निर्वाचन अधिकारी को भेजे एक पत्र की कापी भी है, जिसमें विज ने लिखा है कि वर्ष 2009 में उन्होंने विकास परिषद पार्टी को भंग कर दिया था एवं वो भाजपा में शामिल हो गए थे। वर्तमान में विकास परिषद पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं है। डीसी ने 6 अगस्त को इस संबंध में सीईओ, हरियाणा को सूचित कर दिया जहाँ से यह जानकारी आगे भारतीय चुनाव आयोग को भेज दी जायेगी।
लिखने योग्य है कि दो माह पूर्व 17 जून को हेमंत ने भारतीय चुनाव आयोग में इस विषय पर आरटीआई दायर कर अनिल विज के निवास पर रजिस्टर्ड विकास परिषद के डी -रजिस्ट्रेशन से संबंधित पुन: सम्पूर्ण सूचना मांगी थी।
जिस पर आयोग ने बीती 16 जुलाई को जवाब दिया कि आयोग के पास इस सम्बन्ध में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। हालांकि उनकी आरटीआई के दूसरे पॉइंट को आयोग ने सीईओ, हरियाणा को स्थानांतरित कर दिया, जिसमे विकास परिषद् द्वारा अक्टूबर,2007, अर्थात जब वह राजनीतिक दल के रूप में रजिस्टर हुई, से आज तक उसके द्वारा चुनाव आयोग को भेजी रिटर्न्स बारे सूचना मांगी गयी। आयोग ने लिखा कि गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के बारे में ऐसी सूचना, जहाँ ऐसे दल का मुख्यालय होता है, उस राज्य के सीईओ कार्यालय के पास उपलब्ध होती है।
देखने योग्य है की चुनाव आयोग ने हेमंत द्वारा बीते वर्ष सितम्बर में दायर ऐसी ही एक आर.टी.आई. याचिका पर 7 अक्तूबर 2019 को जवाब दिया कि आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड अनुसार विज के निवास पर रजिस्टर्ड विकास परिषद का रजिस्ट्रेशन रद्द करने सम्बन्धी आज तक न तो पार्टी अध्यक्ष और न ही किसी पदाधिकारी द्वारा लिखे गए किसी भी प्रार्थना-पत्र के सम्बन्ध में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। ज्ञात रहे कि गत वर्ष विज ने एक बयान दिया कि वर्ष 2009 में उन्होंने भाजपा पार्टी में शामिल होने पर अपनी विकास परिषद् का भाजपा में विलय होने के संबंध में चुनाव आयोग को सूचित किया था।
लिखने योग्य है कि इससे पहले वर्ष 2019 में पहले अप्रैल और फिर जुलाई में भी हेमंत ने चुनाव आयोग से उक्त विषय पर जानकारी मांगी थी एवं तब भी आयोग ने यही जवाब दिया था कि विकास परिषद पार्टी का रजिस्ट्रेशन रद्द करने बाबत उन्हें किसी से कोई लिखित निवेदन प्राप्त नहीं हुआ।
गत वर्ष मार्च,2019 में चुनाव आयोग द्वारा लोक सभा चुनावों से पहले देश के सभी राजनीतिक दलों के सम्बन्ध में एक मुख्य गजट नोटिफिकेशन जारी की गयी जिसमे गैर-मान्यता रजिस्टर्ड पार्टियों की सूची में 2255 क्रमांक पर विकास परिषद का उल्लेख है एवं इसका मुख्यालय विज का अम्बाला कैंट का निवास स्थान दर्शाया गया है जिसके बाद हेमंत ने इस विषय को उठाया। इसी दौरान ही चुनाव आयोग ने बीते वर्ष 27 नवंबर, 2019 को सीईओ, हरियाणा को एक पत्र लिख हरियाणा में विकास परिषद सहित 6 अन्य गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विषय में जानकारी मांगी जिन्होंने गत दस वर्षो से कोई विधानसभा या लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा. इसके बाद सीईओ, हरियाणा ने अम्बाला सहित भिवानी, सोनीपत, कुरुक्षेत्र और रेवाड़ी के डीसी कम जिला निर्वाचन अधिकारियों को 5 दिसंबर 2019 को अपने अपने ज़िले में रजिस्टर्ड उक्त दलों बारे पूर्ण जानकारी प्राप्त कर देने को कहा।
इसी कड़ी में ही अम्बाला के डीसी ने विज की विकास परिषद के बारे में जानकारी मांगी जिस पर विज ने बीती 5 अगस्त को जवाब दिया. बहरहाल, सवाल यह उठता है कि अगर विज ने वर्ष 2009 में भाजपा में शामिल होते समय ही चुनाव आयोग को विकास परिषद पार्टी के भाजपा में विलय या उसके भंग होने बारे सूचित किया, तो आज तक उनके निवास पर विकास परिषद का मुख्यालय क्यों दर्शाया जाता रहा है ?
हेमंत ने बताया कि वर्ष 2004 में चुनाव आयोग ने प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल और सुरेंद्र सिंह द्वारा 1990 -91 में बनायीं हरियाणा विकास पार्टी (हविपा ) और वर्ष 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल और कुलदीप बिश्नोई द्वारा दिसंबर, 2007 में बनायीं गयी हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजका ) का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था जब इन दोनों पार्टियों ने अपने को कांग्रेस पार्टी में विलय कर दिया गया था। हेमंत ने यह भी बताया कि विज मई,1990 में हुए अम्बाला कैंट उपचुनाव से भाजपा के टिकट पर पहली बार विधायक निर्वाचित हुए।
इसके बाद वर्ष 1991 विधानसभा आम चुनावो में विज ने फिर भाजपा से चुनाव लड़ा परन्तु वह कांग्रेस के बृज आनंद से हार गए. इसके कुछ वर्ष बाद उन्होंने भाजपा छोड़ दी एवं वर्ष 1996 एवं 2000 विधानसभा आम चुनावो में वह निर्दलयी उम्मीदवार के तौर पर अम्बाला कैंट से लगातार दो बार विधायक निर्वाचित हुए हालांकि वर्ष 2005 में विज निर्दलयी के तौर पर कांग्रेस के देवेंदर बंसल से हार गए. इसके बाद अक्टूबर, 2007 में विज ने "विकास परिषद" नाम का राजनीतिक पार्टी रजिस्टर करवाई हालांकि उन्होंने कभी इसके नाम से चुनाव नहीं लड़ा. इसके बाद वर्ष 2009 में विधानसभा आम चुनावो से ठीक पहले वह फिर भाजपा में शामिल हो गए थे एवं तब से आज तक वह भाजपा में ही हैं।
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