आदेश : किसी भी स्कूल में एक बैंच पर दो से अधिक विद्यार्थी नहीं बैठेंगे

आदेश : किसी भी स्कूल में एक बैंच पर दो से अधिक विद्यार्थी नहीं बैठेंगे
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कैथल के डीसी ने कहा कि छात्रों के पढ़ने और लिखने के कौशल में सीखने की खाई को पाटने के लिए जिला में 5 सप्ताह का एक गहन अभियान चलाया है, जिसमें विशेष रूप से डिजाइन किए गए मॉड्यूल को कक्षाओं में लागू किया जा रहा है।

कैथल : डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि गर्मी के मौसम को देखते हुए जिला के किसी भी स्कूल में एक बैंच पर दो से अधिक विद्यार्थी नहीं बैठने चाहिए। स्कूलों में सफाई व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षकों को चाहिए कि वे स्कूलों में उपरोक्त कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर अमलीजामा पहनाएं। डीसी प्रदीप दहिया ने गांव नैना में मेरी कापी-मेरी किताब परियोजना के तहत राजकीय स्कूलों में निरीक्षण करने पहुंचे थे।

डीसी प्रदीप दहिया ने कहा कि प्राथमिक कक्षाएं छात्रों को सबसे बुनियादी और मूलभूत शिक्षा प्रदान करती हैं। वे बुनियादी वर्णमाला के साथ अपने पठन की यात्रा शुरू करते हैं और आगे की पढ़ाई के लिए उनका आधार मजबूत होता है। लेकिन अगर प्राथमिक चरण में बच्चों को ठीक प्रकार से शिक्षा नहीं दी जाती तो भविष्य में बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में दिक्कत होगी। इसलिए उनके पढ़ने के साथ-साथ लेखन ज्ञान को भी बढ़ाने की आवश्यकता है।

डीसी ने कहा कि छात्रों के पढ़ने और लिखने के कौशल में सीखने की खाई को पाटने के लिए जिला में 5 सप्ताह का एक गहन अभियान चलाया है, जिसमें विशेष रूप से डिजाइन किए गए मॉड्यूल को कक्षाओं में लागू किया जा रहा है। मेरी कापी-मेरी किताब परियोजना का उद्देश्य कोरोना काल में बच्चों के पठन और लिखने की कला में जो अंतर आया है उसे दुरूस्त करना है, ताकि सभी बच्चों की लिखाई व पढ़ाई में सुधार हो सके। कैथल ब्लॉक में कक्षा 3 से 8 में पढ़ने वाले सभी छात्रों को इसमें शामिल किया गया है। इस परियोजना में ज्ञान देने के लिए बच्चों की रूचि अनुसार विशेष पाठय क्रम तैयार किया गया है, जिससे उनकी रचनात्मक सोच और लेखन ज्ञान में वृद्धि होगी।

सीएमजीजीए कुनाल चौहान ने कहा कि मेरी कापी-मेरी किताब परियोजना को उपायुक्त प्रदीप दहिया के मार्ग दर्शन में चलाया गया है। इसके पाठयक्रम को डाइट प्रिंसीपल डॉ. सुदेश सिवाच की देखरेख में तैयार किया गया है, जिसमें बलबीर कश्यप ने सहयोग दिया है। राम निवास शर्मा और नरेंद्र बाल्यान के नेतृत्व में मेंटर्स के सर्वेक्षण और अवलोकन यात्राओं के माध्यम से पूरी परियोजना की निगरानी की गई है। जिला के 161 स्कूलों में इसे लागू किया गया है और इन स्कूलों के बच्चों के पढ़ने और लिखने के कौशल में निश्चित तौर पर सुधार होगा।

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