मेरी फसल-मेरा ब्यौरा के नाम पर हिसार के राइस मिलर ने किया ऐसा बड़ा फर्जीवाड़ा, सीएम फ्लाइंग भी रह गई हैरान

मेरी फसल-मेरा ब्यौरा के नाम पर हिसार के राइस मिलर ने किया ऐसा बड़ा फर्जीवाड़ा, सीएम फ्लाइंग भी रह गई हैरान
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बड़े स्तर पर धांधली की शिकायत मिलने पर प्रदेश सरकार ने इस मामले की सिरे से जांच करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने राइस मिलर से मिले किसानों के ब्यौरे की संघन पड़ताल शुरू कर दी है।

हरिभूमि न्यूज. कलायत/कैथल

हरियाणा राज्य में मेरी फसल-मेरा ब्यौरा ( meri fasal mera byora ) के नाम पर हिसार स्थित एक राइस मिलर द्वारा हाई-प्रोफाइल फर्जीवाड़ा ( forgery ) करने का मामला सामने आया है। मुनाफाखोरी के लिए मिलर ने जो जाल बुना है उसमें राज्य के विभिन्न जिलों के किसानों के नामों का इस्तेमाल किया गया है। बड़े स्तर पर धांधली की शिकायत मिलने पर प्रदेश सरकार ने इस मामले की सिरे से जांच करने के आदेश दिए हैं। इसके तहत मुख्यमंत्री उड़नदस्ते ने राइस मिलर से मिले किसानों के ब्यौरे की संघन पड़ताल शुरू कर दी है।

इसके लिए मुख्यमंत्री उड़न दस्ते की विभिन्न टीमों को राज्य के विभिन्न जिलों में गतिशील किया गया है। इसके तहत एक टीम जिला कैथल से संबंधित दर्शाए गए किसानों के नामों की ग्राउंड पर जांच करने के लिए कलायत पहुंची। सब इंस्पेक्टर ईश्वर सिंह की निगरानी में कई घंटों कलायत में की गई जांच कार्रवाई के दौरान टीम मीडिया से दूरी बनाए रही। वेे अपने संसाधनों के जरिये मेरी फसल मेरा ब्यौरा में दर्शाए गए नामाें की छानबीन में लगे रहे।

एक ही नाम के किसान का अनगिनत बार इस्तेमाल

मुख्यमंत्री उड़नदस्ते को मेरी फसल मेरा ब्यौरा का जो रिकार्ड मिला है उसमें हैरान करने वाले पहलू हैं। ऐसी फेहरिस्त लंबी है जिसमें एक ही नाम को अनगिनत बार इस्तेमाल किया गया है। इसके साथ ही नाम वही और गच्चा देने के लिए पिता का नाम भी बदला गया है। इतना ही नहीं जो किसान धान की उपज ही नहीं कर रहे उनके नाम बड़ा उत्पादन दर्शाया गया है। जिन किसानों के पास एक एकड़ से भी कम भूमि है उनके नाम कई-कई एकड़ भूमि इंद्राज की गई है।

कहां से जुटाया गया है किसानों का ब्यौरा

मुख्यमंत्री उड़नदस्ता टीम जिस मामले की जांच की जा रही है उसमें वर्ष 2020 की खरीफ फसल के ब्यौरा शामिल है। बताया जा रहा है कि राइस मिलर ने सरकार को गुमराह करने के लिए खरीदी गई धान का फर्जी रिकार्ड तैयार किया है। ऐसे किसानों की सूची लंबी है जिन्होंने कभी संबंधित मिलर को धान नहीं बेचा। हर कोई यह देखकर हैरान है कि जब संबंधित किसानों ने मिलर के साथ किसी तरह का लेनदेन नहीं किया तो इतने बड़े पैमाने पर किसानों का ब्यौरा कहां से लीक हुआ?

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