कैसे हरा-भरा होगा हरियाणा : साल 1986 में प्रदेश में 1640 थे वनरक्षक, अब 35 साल बाद रह गए 500

हरिभूमि न्यूज : नारनौल
साल 1986 में प्रदेशभर में स्वीकृत 1827 में से 1640 वनरक्षक थे। उस वक्त भी स्वीकृत पद से 187 पद खाली थे। इसके 10 साल बाद 1996 में एक बार जरूर 62 वनरक्षक की संख्या बढ़ी और आंकड़ा 1700 तक पहुंचा। इसके बाद साल 2006 में यह घटकर 1000 और साल 2016 में 847 हो गया। अब मार्च-2021 में पूरे प्रदेश में 1647 में से 500 ही वनरक्षक है। कार्यरत वनरक्षक से दोगुना से ज्यादा 1147 पद रिक्त पड़े है। इस दौरान कई सरकार आई और गई। सभी का ध्यान हरियाणा को हरा भरा करने के लिए पौधरोपण पर रहा। पौध को पेड़ का रूप देने में लगने वाले समय को सिंचित करने वाले वनरक्षक की ओर ध्यान ही नहीं गया। जाहिर है कि वन विभाग में काम करने वाले स्टाफ की संख्या निरंतर न केवल कम हो रही है बल्कि नाम के कर्मचारी है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा घोष्ज्ञित जनहित में योजनाओं को धरातल पर अमलीजामा पहनाना असंभव है।
वन विभाग प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए कार्य करता है। जो मानव जाति के लिए जीवित रहने के लिए जरूरी है। पौधारोपण के साथ-साथ वन्य प्राणियों की रक्षा करता है, पृथ्वी को जिंदा रखने में अहम भूमिका निभाता है। अचानक कोई भी महामारी पृथ्वी पर आती है तो उस महामारी आपदा में उसके लिए कार्य करता है। कोरोना महामारी में ऑक्सीजन की कमी के कारण लाखों लोगों की जान गई है। ऑक्सीजन की कमी कृत्रिम यंत्रों से भी पूरी नहीं हुई। यदि पेड़ पौधे के द्वारा प्राकृतिक ऑक्सीजन उत्पन्न नहीं होती तो काफी लोग हम सबके बीच में से और चले जाते। इस बात को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार ने इस वर्ष जो (वृद्ध) पुराने पेड़ों का संरक्षण व संवर्धन हेतु जो पेंशन स्कीम लागू की है। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने औषधीय वाटिका, हर घर हरियाली, हर व्यक्ति पेड़ की छांव में, हर व्यक्ति को एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित तथा उत्साहित किया है। यह सभी सरकार की जनहित योजनाओं के लिए वन विभाग कार्यान्वित करने के लिए प्रतिबद्ध है परंतु यह सब जनहित कार्य धरातल पर तब संभव होगा, जब विभाग के पास धरातल पर कार्य करने के लिए अग्रिम पंक्ति का स्टाफ उपलब्ध होगा। वर्तमान में विभाग के पास अग्रिम पंक्ति का स्टाफ ना के बराबर है। लगभग 30-35 साल पहले जो धरातल पर कार्य करने वाले अग्रिम पंक्ति के स्टाफ में वनरक्षक पहली पंक्ति होती है। वनरक्षक की सीनियरिटी लिस्ट पूरे स्टेट की एक जनवरी 1986 से लागू की है। जिसके अनुसार वन रक्षकों की संख्या इस प्रकार से थी।
पेड़ बनने में लगते है 20 साल, आउटसोर्सिंग या ठेका पर लगे कर्मचारी कैसे होंगे कामयाब
इस बारे कर्मचारी संघ हरियाणा के राज्य अध्यक्ष कमल सिंह यादव एवं उप महासचिव आनंद शर्मा ने कहा कि वन कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री से वन विभाग में खाली पड़े पदों पर पक्की भर्ती करने की मांग की है। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में बताया कि प्रकृति के संरक्षण व संवर्धन तथा मानव जाति की रक्षा या कोई भी भविष्य में आने वाली महांमारी के लिए पेड़ पौधों का होना जरूरी है। आज के हालात देखते हुए दिन प्रतिदिन सरकारी भूमि का नाजायज कब्जा व पशुओं तथा वन माफियाओं का दबाव दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसलिए विभाग के अग्रिम पंक्ति के सभी रिक्त पदों की स्थाई भर्ती तुरंत प्रभाव से की जाए ताकि सरकार और जनहित कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर लागू किया जा सके। उन्होंने बताया कि विभाग मेंआउटसोर्सिंग या ठेका प्रथा से काम नहीं किया जा सकता, क्योंकि पेड़ पौधों की रक्षा 20 साल के उपरांत एक पौधा वृक्ष बनता है। यदि आउटसोर्सिंग या ठेक्का से लगाए गए कर्मचारी अपने लालच में वृक्षों को काट सकते है तो उसकी पूर्ति नहीं की जा सकती। जबकि अन्य विभागों में इस बात की पूर्ति की जा सकती है क्योंकि अन्य विभाग का ऐसा कोई कार्य नहीं है जिसकी पूर्ति करने के लिए लगभग 20 साल लगेंगे। आउटसोर्सिंग व ठेका प्रथा कर्मचारियों पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की जा सकती और वह कार्य छोड़ कर जा सकता है। उसकी कोई भी भावना अपने पैसों के अलावा पेड़ पौधे पर ध्यान नहीं रहता।
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