Indian Railways : अब बधिरों को भी रेलवे टिकट आरक्षण में छूट मिलेगी

नरेश पंवार: कैथल। अब रेलवे (Indian Railways) में मूक बधिरों की तर्ज पर केवल बधिरों (Badhir) को भी रेलवे टिकट आरक्षण (Railway Ticket Reservation) में छूट मिलेगी। यह आदेश दिव्यांग जन आयुक्त राजकुमार मक्कड़ ने रेलवे विभाग को जारी किए हैं। इसे लेकर करनाल के राजकीय आईटीआई में कार्यरत उप अधीक्षक सोनू वर्मा ने रेलवे विभाग के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। केस की कार्यवाही में करीब एक वर्ष का समय लगा लेकिन जब फैसला आया तो वह सोनू वर्मा के पक्ष में था।
दिव्यांग जन आयुक्त ने सभी नियमों को देखते हुए हुए सोनू वर्मा की याचिका पर रेलवे विभाग को मूक बधिरों की तर्ज बधिरों को भी रेलवे टिकट में आरक्षण का लाभ देने के आदेश दिए। इन आदेशों से देश भर के लाखों बधिरों को फायदा होगा। सोनू वर्मा ने बताया कि एक बधिर को रेलवे टिकट में आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया।
अब तक ये नीति थी
इस पर उसने रेलवे बोर्ड की उस नीति को चैलेंज किया जिसमे रेलवे अपने किराये में ब्लांइड, ऑर्थोपेडिक तथा मेंटली चैलेंज्ड को 75% की छूट तथा राजधानी और शताब्दी ट्रेन में 25% की छुट देता है लेकिन मूक बधिर दिव्यांग को 50% तथा राजधानी शताब्दी ट्रेन में कुछ नहीं तथा रेलवे पूर्ण रूप से मूक बधिर को ही यह सुविधा देता है लेकिन बधिर को नहीं। रेलवे की इस नीति सोनू वर्मा ने आरपीडब्ल्यू एक्ट 2016 के खिलाफ बताया और भेदभाव के खिलाफ स्टेट डिसेबिलिटी कोर्ट मे याचिका डाली।
एक साल चली सुनवाई
कोर्ट मे सुनवाई करीब एक वर्ष चली। 25 जून 2023 को कोर्ट मे सुनवाई और बहस के बाद बाद न्यायाधीश ने फैसला सुरक्षित रख लिया और 28 जून 2023 को कोर्ट ने सोनू वर्मा के हक मे फैसला दिया। न्यायालय ने रेलवे को आदेश दिए कि सोनू वर्मा को भी रेलवे अन्य दिव्यांग की तरह समान सुविधा दे। यह आदेश 3 महीने के अंदर किए जाएं। सोनू वर्मा की याचिका से पूरे देश के बधिर दिव्यांग को लाभ मिलेगा।
प्रशासन करे दिव्यांगों की पहचान : पंवार
विकलांग संघ उमंग के जिला प्रधान रोशन लाल पंवार ने बताया कि प्रदेश में जितने भी दिव्यांग जन है। प्रशासन द्वारा उनकी पहचान की जानी चाहिए और उनको सरकार द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की जानकारी देते हुए उनका लाभ दिलाया जाए। बधिरों के प्रति इस फैसले का पंवार ने स्वागत किया तथा राजकुमार मक्कड़ का आभार जताया।
देशभर के दिव्यांगाें को होगा फायदा
सोनू वर्मा ने बताया कि वे शुरू से ही दिव्यांग के हितों को लेकर लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें अपनी पदोन्नति की लड़ाई भी लड़ी तथा जीत भी हुई। उनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने सरकार को कर्मचारी की खुद की शादी पर ऋण की संभावनाएं को तलाशने बारे आदेश जारी किए थे। यही नहीं जब सोनू ने अमृतसर की मूक बधिर मीनाक्षी को जब अपना जीवनसाथी बनाया तो करीब तीन दर्जन मूक बधिरों को ही अपना बाराती बनाया था।
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