रंग-बिरंगी मोमबत्तियों पर महंगाई की मार : पेट्रोलियम पदार्थ की दरों में हो रही बढ़ोतरी का मोम कारोबार पर भी असर

रंग-बिरंगी मोमबत्तियों पर महंगाई की मार : पेट्रोलियम पदार्थ की दरों में हो रही बढ़ोतरी का मोम कारोबार पर भी असर
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लंबे समय के बाद इस बार कारोबार पर भी महंगाई की आग बरसी है। इससे बाजार में मोमबत्ती की मांग घटने से कारोबार प्रभावित हुआ है।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

दिवाली से कई दिन पहले से बाजारों में रंग बिरंगी मोमबत्तियां भी रौनक बढ़ाती थी। लेकिन, इस बार महंगाई से रंग-बिरंगी मोमबत्तियां भी गायब नजर आ रही हैं। दरअसल, इस बार मोम महंगा है। लागत अधिक हो गई है। माल लाने का किराया भी बढ़ा है। इसलिए व्यापारियों ने हाथ खींच लिए हैं। ऐसी स्थिति में मोमबत्ती बेचने वालों को इस बार बेहतर कारोबार की उम्मीद नहीं है।

दिवाली के मौके पर दीयों और झालरों की चकाचौंध में अगर किसी तीसरी चीज की पूछ होती है, तो वह है मोमबत्ती। हकीकत यह भी कि पहले शहर व गांवों के अंधेरे घरों को रोशन करने वाली मोमबत्तियों की मांग अब केवल फेस्टिव सीजन में ही होती है। वहीं दूसरी ओर पेट्रोलियम पदार्थ की दरों में हो रही बढ़ोत्तरी का सीधा असर मोम के कारोबार पर पड़ रहा है। लंबे समय के बाद इस बार कारोबार पर भी महंगाई की आग बरसी है। इससे बाजार में मोमबत्ती की मांग घटने से कारोबार प्रभावित हुआ है। बता दें कि दिवाली पर रोशनी के लिए लोग घरों में मोम के दीए, मोमबत्ती आदि जलाते हैं। पहले दीपावली पर लाखों रुपए का कारोबार हो जाता था। लेकिन, इस बार महंगाई ने न सिर्फ मोम को पिघलाया है, बल्कि कारोबारियों को भी रुलाया है।

आशंका है कि इस बार आधा ही कारोबार होगा। जो, मोम पिछले साल 85 से 95 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलता था। वो इस बार 150 रुपए से अधिक हो गया है। इस कारण यह बाजार में 170 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है। यही वजह है कि पिछले सालों के मुकाबले इस बार माल भी अधिक मात्रा में तैयार नहीं हुआ। दुकानदारों ने भी बीते सालों के मुकाबले आधा ही स्टॉक मंगवाया है।

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