विरासत में मिली चित्रकारी की कला : 27 वर्षों से गणतंत्र दिवस की झांकियों को रंग दे रहे चित्रकार संजय सहगल

विरासत में मिली चित्रकारी की कला : 27 वर्षों से गणतंत्र दिवस की झांकियों को रंग दे रहे चित्रकार संजय सहगल
X
अपनी कला के बलबूते कई बार स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस सहित अन्य कार्यक्रमों में प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। स्वामी ओमानंद सरस्वती जी को संजय सहगल अपना आदर्श और प्रेरणास्रोत मानते है।

तपस्वी शर्मा. झज्जर : मेहनत करना और मेहनत करके आगे बढ़ना अगर सीखना है तो क्षेत्र के गांव दुजाना निवासी चित्रकार संजय सहगल से सीखें। भले ही संजय सहगल को यह कला विरासत में मिली हो, लेकिन इस कला की बदौलत अपने माता-पिता, गांव और जिले का नाम रोशन करने की ललक ने संजय सहगल को इस मुकाम पर पहुंचाया है। सरकारी भवन हो या फिर निजी अपने आसपास ही नहीं दूरदराज क्षेत्रों तक संजय सहगल द्वारा बनाई गई पेटिंग की चरचा है। जिसका एक उदाहरण यह भी है कि लगातार पिछले 27 वर्षो से संजय सहगल गणतंत्र दिवस समारोह के जिलास्तरीय कार्यक्रम में प्रदर्शित की जाने वाली झांकियां बना रहे है।

बकौल संजय सहगल इस वर्ष उन्हें स्वास्थ्य, मछली पालन, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास सहित आठ विभागों की झांकियां बनाने का कार्य मिला है। जिसके लिए स्वयं और उनके साथी जुटे हुए है। उन्होंने बताया कि कला उनके रग-रग में बसी है। पहले दादाजी खान चंद, बाद में पिताजी शिवराज और अब स्वयं चित्रकारी कर रहे है। उनके चाचा खेम चंद, नारायण दास, श्याम सुंदर भी कला से जुड़ हुए है। कुल मिलाकर पूरा परिवार ही कला को समर्पित है। अपनी कला के बलबूते कई बार स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस सहित अन्य कार्यक्रमों में प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। स्वामी ओमानंद सरस्वती जी को संजय सहगल अपना आदर्श और प्रेरणास्रोत मानते है।

150 स्वतंत्रता सेनानियों की बना चुके है पेटिंग: बकौल संजय सहगल वर्ष 1996 से वो गणतंत्र दिवस समारोह की झांकियां बना रहे है। शुरूआती समय में सिर्फ एक या दो ही झांकियां बनाते थे। लेकिन कई बार उन्होंने दस से पद्रंह झांकियां भी बनाई है। इस बार आठ झांकियां बना रहे है। उन्होंने बताया कि गुरूकुल महाविद्यालय झज्जर में भी उन्होंने कार्य किया है। उनके द्वारा बनाई गई पेटिंग बलिदान भवन में लगाई गई है। उन्होंने बताया कि अब तक वो करीब 150 स्वतंत्रता सेनानियों की पेटिंग बना चुके है।

महज 12 वर्ष की उम्र में ही उठा लिया था पेटिंग ब्रुश: गांव दुजाना में जन्मे चित्रकार संजय सहगल आज किसी परिचय के मोेहताज नहीं है। अपनी प्रतिभा के बल पर उन्होंने साबित कर दिया है कि मन में काम करने की इच्छा शक्ति, आत्मविश्वास और मेहनत करने की ललक हो तो कोई भी व्यक्ति अपना लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण आंचल में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। लेकिन कमी है तो उसे तराशने की। बकौल संजय सहगल वह अपने पिता शिवराज जोकि कला अध्यापक को अपना प्रेरणास्रोत मानते है। बचपन में पिताजी को कला कृतियां बनाते देखा करते थे तो मन में स्वयं रूचि पैदा हो गई और 12 वर्ष की उम्र में ही अभ्यास शुरू कर दिया। अब उनकी कलाकृतियां पूरे भारत वर्ष सहित कनाडा, अमेरिका, दुबई में भी मांग है।

ये है उपलिब्धयां:

  • दिल्ली ट्रेड फेयर और सूरज कुंड मेले में कलाकृतियों की रही भारी मांग।
  • खानपुर खुर्द की आंगनवाड़ी में बनाई गई चित्रकला को हरियाणा में सबसे सुंदर चित्रकला का अवार्ड।
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूरे जिले में चित्रकारी की।
  • स्वच्छ भारत मिशन के तहत 550 आंगनवाड़ी मेें हैंडवाश के सुंदर स्लोगन लिखें।
  • हरियाणा के 50 होटलों में चित्रकारी की।
  • सैल्यूट फिल्म के सैट पर चित्रकारी की।
  • मंगल पांडे फिल्म के सैट पर चित्रकारी की।
  • तुर्रमखां फिल्म के सैट पर चित्रकारी की।
  • हरियाणा के 20 खेल स्टेडियमों में चित्रकला बनाई।

Tags

Next Story