Rohtak PGI में हीमोफीलिया के मरीजों के जल्द शुरू होंगे इन्हिबिटर टेस्ट

Rohtak PGI में हीमोफीलिया के मरीजों के जल्द शुरू होंगे इन्हिबिटर टेस्ट
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निदेशक डॉ एस एस लोहचब ने कहा कि संस्थान का प्रयास रहेगा कि संस्थान में आने वाले हीमोफीलिया के मरीजों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना आने दी जाए। डॉ लोहचब ने कहा कि एक और इन्हिबिटर मशीन खरीदने पर कार्य किया जाएगा।

Rohtak News : पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (PGIMS) के लेक्चर थिएटर 5 में मेडिसिन -क्लिनिकल हैमेटोलॉजी, शिशु रोग विभाग व हीमोफीलिया सोसायटी द्वारा एकदिवसीय हीमोफीलिया जागरूकता, इन्हिबिटर स्क्रीनिंग कैंप व फिजियोथैरेपी कैंप लगाया गया। कैंप में सैकड़ो लोगों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर कुलसचिव डॉ एच के अग्रवाल व निदेशक डॉ एसएस लोहचब व चिकित्सा अधीक्षक डॉ कुंदन मित्तल ने दीप प्रज्वलित करके इस कैंप का शुभारंभ किया।

निदेशक डॉ एस एस लोहचब ने कहा कि संस्थान का प्रयास रहेगा कि संस्थान में आने वाले हीमोफीलिया के मरीजों को किसी प्रकार की कोई परेशानी ना आने दी जाए। डॉ लोहचब ने कहा कि एक और इन्हिबिटर मशीन खरीदने पर कार्य किया जाएगा ताकि मरीज को और अधिक अधिक सहूलियत प्रदान की जा सके। उन्होंने कहा कि संस्थान का प्रयास है कि यहां आने वाले मरीजों को सभी प्रकार की उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। इस मौके पर चिकित्सक मौजूद रहे।

हीमोफीलिया अनुवांशिक बीमारी: चिकित्सा अधीक्षक

कुलसचिव डॉक्टर एच के अग्रवाल ने बताया कि यदि बच्चे के शरीर मे नीले-नीले निशान बनते हैं, नाक से खून बहता है, आंख के अंदर से खून निकलता है या जोड़ों में सूजन की समस्या है और चोट लगने पर खून का रिसाव बंद नहीं होता तो यह हीमोफीलिया के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर अलका यादव हीमोफीलिया के मरीजों के लिए बेहतरीन कार्य कर रही हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर कुंदन मित्तल ने बताया कि उन्होंने बताया कि हिमोफिलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। जिसके बारे में हमें लोगों को जागरूक करना अत्यंत जरुरी है। उन्होंने बताया कि यह सिर्फ लडक़ों में होती है और लड़कियां इसकी कैरियर होती हैं। डॉ सुधीर ने बताया कि जिन मरीजों को फैक्टर 8 व फैक्टर 9 लगता है उनमें इन्हिबिटर बनने के कारण फैक्टर 8 व 9 का असर नहीं आ पाता और बार-बार यें टीके लगने से उनका असर भी खत्म होना शुरू हो जाता है और मरीज को हाईडोज के टीके लगाने पड़ते हैं।

मरीज सामान्य जीवन व्यतीत कर सकते हैं

मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित डॉ नेहा रस्तोगी ने जिन थैरेपी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हीमोफिलिया से पीडित मरीज सामान्य जीवन व्यतीत करते हुए आज काफी अच्छे-अच्छे पदों पर भी कार्य कर रहे हैं। डॉ अल्का ने बताया कि उनके पास करीब 300 हीमोफिलिया के मरीजों का रजिस्ट्रेशन है और प्रतिदिन कार्यदिवस पर पुराने ई-ब्लॉक मेंं सुबह नौ बजे से शाम चार बजे तक हीमोफिलिया के मरीजों को डे-केयर इलाज प्रदान किया जाता है। डॉ. अल्का ने बताया कि यदि जोडों पर सूजन आ जाती है तो किस प्रकार उसका इलाज किया जाए और कैसे बचाव करें।

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