छात्राओं के साथ नाइंसाफी : पुलिसकर्मी ने बस में चढ़ाया और चालक ने धक्के देकर उतार दिया

हरिभूमि न्यूज : रेवाड़ी
बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ मुहिम को मजबूत बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बेटियों रोडवेज बसों में दी जा रही मुफ्त यात्रा सोसायटी बसों में मान्यता नहीं दी जा रही है। कॉलेज से घर व घर से कॉलेज आते-जाते समय सोसायटी की बसों के चालक-परिचालक बेटियों को धक्के देकर बसों से नीचे उतार देते हैं। शुक्रवार को रेवाड़ी बस स्टैंड पर एक ऐसा ही मामला देखने को मिला।
पटौदी रूट पर जाने वाली छात्राओं को बस स्टैंड पर काफी देर से इंतजार करते देख एक पुलिस कर्मी ने बेटियों को सोसायटी की बस में बिठा दिया। बूथ से निकलने के बाद बस स्टैंड परिसर में बस चालक व मालिक ने बस में सवार सभी छात्राओं को धक्के देकर अपनी बस से नीचे उतार दिया। धक्के देकर उतारने खफा छात्राओं ने बस स्टैंड पुलिस चौकी को शिकायत कर आरोपित बस चालक व मालिक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
रेवाड़ी-पटौदी मार्ग पर स्थित गांवों से राजकीय महिला कॉलेज सेक्टर-18 में पढ़ने वाली छात्रा चंचल, प्रीति, शिवानी, अंजु, हिना, तन्नु व प्रीति ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि शुक्रवार को कॉलेज की छुट्टी के बाद वे बस स्टैंड से पटौदी जाने वाली सोसायटी की बस संख्या एचआर 47सी-5738 में सवार हुई। बस स्टैंड से निकलते ही बस के ड्राइवर व मालिक ने सरकार द्वारा दी गई फ्री सुविधा पर तंज कसते हुए हमें धक्के देकर बस से नीचे उतार दिया। इससे पहले भी कई बार इस प्रकार की घटनाएं हो चुकी हैं। जिसे हम अक्सर अनदेखा करती रही। शुक्रवार को हुई घटना ने हमें शिकायत करने के लिए विवश कर दिया। बस स्टैंड से रूट तक निजी बस संचालकों की मनमानी की शिकायतें इससे पहले भी कई बार आती रही हैं, परंतु रोडवेज अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते अभी तक किसी मामले में सोसायटी बस संचालकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
ऐसे बयां किया दर्द
महिला कॉलेज सेक्टर-18 की गांव नानु खुर्द निवासी छात्रा प्रीति ने बताया कि रेवाड़ी पटौदी मार्ग के गांव डोहकी, जैतपुर, नानु खुर्द, काकोडि़या, दौलताबाद, पहाड़ी, मुडलिया, चिहड़ इत्यादि गांवों से 50 से अधिक छात्राएं कॉलेज में पढ़ने के लिए आती हैं। सरकार की फ्री सुविधा के बावजूद सोसायटी की बसों में या तो उन्हें बैठने ही नहीं दिया जाता। यदि कभी गलती से बैठ भी जाए तो उन्हें बीच रास्ता में उतार दिया जाता है। आधा किराया देने पर भी उन्हें बसों में सफर नहीं करने दिया जाता है। शुक्रवार को हम काफी देर से बस स्टैंड पर इंतजार करती देख एक पुलिस वाले अंकल ने हमें सोसायटी की बस में चढ़ा दिया। जिसके बाद चालक हमें देखकर पहले तो बड़बड़ाता रहा तथा बूथ से निकलने के बाद बस स्टैंड परिसर में ही मालिक के साथ मिलकर धक्के देकर हमें बस से नीचे उतार दिया। जिससे न केवल हमें परेशानी हुई, बल्कि अपमानित भी महसूस किया तथा मामले की लिखित शिकायत पुलिस को दी।
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