मिसाल : सुरक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा ये थानेदार, जानें इनके बारे में सब कुछ

मिसाल : सुरक्षा के साथ पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा ये थानेदार, जानें इनके बारे में सब कुछ
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ऐसी ही शख्सियत के धनी है दुजाना थाना प्रभारी विजय कुमार। जी हां 24 घंटे की भागदौड़ भरी ड्यूटी में भी वो समय के साथ तालमेल बैठाते हुए जहां वह अपनी नौकरी को पूर्णतया निष्ठा के साथ निभा रहे हैं, वहीं समाज सेवा भी कर रहे है। जिस थाने में उनकी ड्यूटी होती है वे वहां वह पेड़-पौधे लगाना नहीं भूलते।

झज्जर : पुलिस की वर्दी, लाल बत्ती वाली गाड़ी का अपना अलग ही रूतबा होता है। आमतौर पर भी यह देखा जाता है कि लोग पुलिस को एक रौबदार, गुस्सैल और हमेशा स्वाभाव में चिड़चिड़ापन रहने वाले की दृष्टि से देखते है, लेकिन प्रत्येक विभाग में काम करने का अलग तरीका होता है और प्रत्येक व्यक्ति का स्वाभाव भी अलग होता है। पुलिस विभाग में भी ऐसे बहुत से अपवाद है, जो आमजन से बिल्कुल हटकर है। उनकी दिनचर्या, कार्य करने का तरीका संत-महात्माओं और समाज-सुधारकों जैसा ही होता है।

ऐसी ही शख्सियत के धनी है दुजाना थाना प्रभारी विजय कुमार। जी हां 24 घंटे की भागदौड़ भरी ड्यूटी में भी वो समय के साथ तालमेल बैठाते हुए जहां वह अपनी नौकरी को पूर्णतया निष्ठा के साथ निभा रहे हैं, वहीं समाज सेवा भी कर रहे है। जिस थाने में उनकी ड्यूटी होती है वे वहां वह पेड़-पौधे लगाना नहीं भूलते। बेसहारा गौंवंशों की सेवा करना, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना उनकी दिनचर्या में शामिल है। जिसके चलते वह स्टाफ सदस्यों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन रहे हैं। इनसे मिलने वाले लोगों का यहां तक भी कहना है कि लगता नहीं है विजय कुमार पुलिस की नौकरी कर रहे हैं, इन्हें तो पुलिस की जगह मोटीवेटर के तौर पर कार्य करना चाहिए।

मां के चरण स्पर्श कर करते है दिन की शुरुआत

बकौल इंस्पेक्टर विजय कुमार वह अपने दिन की शुरूआत अपने माता-पिता के चरण स्पर्श करने के बाद करते है। जिससे मन में जहां पॉजीटिव एनर्जी मिलती है, वहीं काम करने में भी मन लगता है। उन्होंने कहा कि अब उनके पिताजी इस दुनिया में नहीं रहे, फिर भी उनके आदर्शो पर चलते हुए नौकरी के साथ-साथ जब भी समय लगता है, समाज सेवा करते है। उनकी पोस्टिंग जहां भी होती है, वे वहां पौधारोपण करते हुए अन्य लोगों को भी पौधारोपण करने के लिए प्रेरित करते है। इसके साथ-साथ बेसहारा पशुओं के लिए पानी की व्यवस्था करना, बीमार पशुओं का ईलाज करवाना और पक्षियों के लिए दाना-पानी का प्रबंध करने का भी प्रयास किया जाता है।

माता-पिता से मिली प्रेरणा : बकौल इंस्पेक्टर विजय कुमार जब वह छोटे थे तो अपने पिता जी के साथ पक्षियों को दाना डालने के लिए जाते थे। तभी से यह दिनचर्या का हिस्सा बन गया। जब भी समय लगता है या समय निकालकर उनका प्रयास यहीं रहता है कि जरूरतमंद की मदद की जाए। इंस्पेक्टर विजय कुमार जिम्नास्टिक के भी अच्छे खिलाड़ी हैं। पिछले करीब 15 वर्षो से जिम्नास्टिक खेल रहे है। जोकि उनकी फिटनेस का राज भी है। इसके साथ-साथ जब भी उन्हें समय मिलता है, वह स्टेडियम में खिलाड़ियों को जिम्नास्टिक के गुर भी सिखाते हैं।

युवाओं को संदेश परिस्थितियों से हार न मानें

युवाओं को संदेश देते हुए इंस्पेक्टर विजय कुमार ने कहा परिस्थितयां कैसी भी हों, हार नहीं माननी चाहिए। एक समय ऐसा भी था जब समय उनके अनुकूल नहीं था और उन्होंने बहुत संघर्ष किया। आखिर में मेहनत की जीत हुई और वो आज इस पद पर पहुंच कर लोगों की सेवा कर रहे हैं।

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