हरियाणा विजिलेंस ने दो लाख की रिश्वत लेता पकड़ा गुजरात पुलिस का इंस्पेक्टर, भेजा जेल

हरिभूमि न्यूज : गुरुग्राम
स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की रोहतक की टीम ने गुजरात पुलिस के इंस्पेक्टर जगदीश चौधरी को दो लाख की रिश्वत लेते हुए सेक्टर-49 के गेस्ट हाउस से गिरफ्तार किया। आरोपी इंस्पेक्टर फर्जी डिग्री के मामले में गिरफ्तार युवक के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश नहीं करने और केस को कमजोर करने के लिए रिश्वत ले रहा था। आरोपी इंस्पेक्टर गुजरात से रिश्वत लेने के लिए हवाई जहाज से दिल्ली पहुंचा था। जबकि वह इससे पहले भी 12 अप्रैल को एक लाख रुपये की रिश्वत ले चुका है। आरोपित गुजरात पुलिस के इंस्पेक्टर जगदीश चौधरी को पुलिस ने अदालत में पेश किया। जहां से आरोपित को जेल भेज दिया गया।
फर्जी डिग्री मामले में जांच कर रहा था इंस्पेक्टर
विजिलेंस डीएसपी सुमित कुमार ने बताया कि गुजरात की बिरसा मुंडा यूनिवर्सिटी के नाम पर फर्जी डिग्री बनाने के मामले का भंडाफोड़ कुछ माह पहले गुजरात पुलिस ने किया था। इस मामले में नर्मदा जिले के राजपिपला थाना पुलिस ने 10 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में फरीदाबाद के अमर नगर निवासी अमरिंदर पुरी की भी भूमिका सामने आई थी। गुजरात पुलिस ने उसे 24 फरवरी को गिरफ्तार कर लिया। वह फिलहाल गुजरात की जेल में बंद है।
उसके खिलाफ चार्जशीट भी पेश की जा चुकी है। आरोप है कि राजपिपला थाना प्रभारी जगदीश चौधरी ने अमरिंदर पुरी के मामा संदीप पुरी से तीन लाख की रिश्वत मांगी। उसने बोला कि वह उसके भांजे के खिलाफ सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश नहीं करेगा और केस को कमजोर भी करेगा। बात होने के बाद संदीप पुरी ने गुजरात में इंस्पेक्टर जगदीश के घर पर एक लाख की रिश्वत देने गया था। उसके बाद से वह लगातार दो लाख रुपये लेने के लिए दबाव बना रहा था। ऐसे में परेशान होकर इंस्पेक्टर के खिलाफ विजिलेंस में शिकायत दी। रविवार देर रात को दो लाख की रिश्वत लेते हुए इंस्पेक्टर को गिरफ्तार किया।
फर्जी डिग्री से भेजा गया विदेश
डीएसपी सुमित कुमार ने बताया कि गुजरात में स्थित बिरसा मुंडा यूनिवर्सिटी के नाम फर्जी डिग्री बनाई गई थी। उन डिग्री के आधार पर कई लोग वर्क वीजा और पीआर लेकर विदेश गए थे। विदेश से जब डिग्री का सत्यापन के लिए आया,तो आरोपियों ने फर्जी वेबसाइट बनाकर उन फर्जी डिग्री का सत्यापन भी कर दिया गया था। बिरसा मुंडा यूनिवर्सिटी में बीए, बीकॉम और बीएसई के कोर्स होते है। जबकि जो डिग्री बनी हुई थी,वह पीजी और पीएचडी की थी। जबकि यह कोर्स यूनिवर्सिटी में होते ही नहीं थे।
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