राहत देने की बजाय स्वयं आफत बन गई 'वेस्ट जुआं ड्रेन'

रवींद्र राठी : बहादुरगढ़
पहली झमाझम बरसात में शहर के ड्रीम प्रोजेक्ट 'वेस्ट जुआं ड्रेन' की रिमॉडलिंग भी डूब गई। विदित है कि नगर परिषद द्वारा सांखोल गांव से लेकर विवेकानंद नगर तक वेस्ट जुआं ड्रेन की रिमॉडलिंग की गई है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत करीब 67 करोड़ रुपये है। लेकिन इस काम के शुरू होते ही गुणवत्ता को लेकर सवाल उठने शुरू हो गए थे। हालांकि एक बार फिर बरसात में इस ड्रेन की असलियत शहर के सामने आ गई और नगर परिषद की अनदेखी का खामियाजा आम जनता भुगत रही है।
बता दें कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार ने वेस्ट जुआं ड्रेन के प्रोजेक्ट के लिए 58.29 करोड़ रुपये की तकनीकी स्वीकृति दी थी। टेंडर के दौरान एक भाजपा नेता के रिश्तेदार की एजेंसी द्वारा अबॉव रेट भरने की वजह से इसकी लागत बढ़कर 66 करोड़ हो गई थी। इस काम का टेंडर पीआरएल प्रोजेक्ट कंपनी को अलॉट किया गया था। करीब 110 फुट चौड़ी ड्रेन को प्रोजेक्ट को पहले 80 फुट करवा दिया गया। इस प्रोजेक्ट की चौड़ाई कम करने की वजह से दो-तीन पूर्व पार्षदों समेत करीब 283 कब्जाधारियों को काफी राहत मिली, लेकिन अधिकांश नगरवासी अब इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।
निर्माण के दौरान इसके स्टील (सरिया) की जांच श्रीराम इंस्ट्टियूट ऑफ इंडस्ट्रियल रिसर्च लैब से करवाई गई तो रिपोर्ट में सैंपल निर्धारित मानकों पर खरा नहीं उतरा था। लेकिन इसके बाद यह रिपोर्ट नगर परिषद के सभी कंप्यूटराें से डिलीट कर, कंस्ट्रक्शन कंपनी पर कार्रवाई करने की बजाय उसे करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। डिजाइन और ड्राइंग की अवहेलना कर इसका लेवल मनमर्जी से ऊंचा-नीचा किए जाने से भी लोगों में आक्रोश व्याप्त है। यहां आए दिन हादसे होने की आशंका बढ़ गई है। जलनिकासी के लिए बनाई गई ड्रेन और सड़क पर ही भारी जलभराव से लोगों को राहत मिलने की बजाय आफत हो गई है। नगर परिषद द्वारा जिस हल्के तरीके से इस बड़े प्रोजेक्ट को हैंडल किया गया है, वह भी सवालों के घेरे में है। गुस्साए लोगों ने पूरे मामले में बरती गई लापरवाही की जांच करवाने की मांग की है।
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