International Gita Mahotsav : ब्रह्मसरोवर पर 13 राज्यों की लोक संस्कृति ने मचाया धमाल

- कच्ची घोड़ी और बाजीगर भी कर रहे पर्यटकों का मनोरंजन
- ग्रीन गोल्ड के दीवाने हुए पर्यटक, असम के केन व बंबू कला के मोहपाश में बधें
Kurukshetra : अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 2023 में ब्रह्मसरोवर के घाटों पर 13 राज्यों की लोक संस्कृतियों ने धमाल मचाया है। इन राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की लोक संस्कृति की छटा बिखेर कर पर्यटकों का मन मोह लिया है। इस लोक संस्कृति से ब्रह्मसरोवर की फिजा विभिन्न प्रदेशों की संस्कृति से रंग गई है। इन तमाम प्रस्तुतियों को उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र पटियाला की तरफ से प्रस्तुत किया जा रहा है।
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र के अधिकारी भूपेंद्र सिंह व राजेश बस्सी ने कहा कि एनजेडसीसी की तरफ से आमंत्रित किए कलाकारों में हिमाचल प्रदेश के कलाकार पूजा और घट नृत्य, जम्मू कश्मीर के कलाकार धमाली नृत्य व देकू भद्रवाही कुड व रुमाल नृत्य, पंजाब का झूमर व मालवाई गिद्दा, राजस्थान का चारी, उतराखंड के कलाकार पांडव नृत्य, मृध्य प्रदेश का गणगौर व पंथी नृत्य, झारखंड का पायका नृत्य, उड़ीसा का संबलपुरी नृत्य सहित राजस्थान के कच्ची घोड़ी नृत्य, डेरु गाथा गायन आदि की प्रस्तुति दी जा रही है। इन सभी लोकनृत्यों में कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति, लोक गायन कला और अपने रीति-रिवाजों को दशार्ने का अनोखा प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि एनजेडसीसी की तरफ से आमंत्रित किए गए यह कलाकार 19 दिसंबर तक अपनी प्रस्तुति देंगे और इसके बाद 20 दिसंबर से 13 राज्यों के 187 कलाकारों का नया ग्रुप महोत्सव में पहुंचेगा और 24 दिसंबर तक यह कलाकार अपने-अपने नृत्यों की महोत्सव में प्रस्तुति देंगे। इन कलाकारों में जम्मू कश्मीर का कुड व रउफ नृत्य, पंजाब का भांगड़ा व जिंदवा, हिमाचल प्रदेश का सिरमौरी नाटी, उत्तराखंड का छपेली/घसियारी नृत्य, राजस्थान का सांवरिया सवांग, गुजरात का सिद्दी धमाल, उत्तर प्रदेश के बरसाना की होली, छतीशगढ़ का पांडवानी गायन, मणिपुर का लाई हरोबा व मणिपुरी रास, झारखंड का पुरुलिया छाऊ, उड़ीसा का गोटीपुआ नृत्य के साथ-साथ राजस्थान के कच्ची घोड़ी, बाजीगर, बहरुपिए आदि नृत्यों की प्रस्तुति 20 दिसंबर से महोत्सव में देखने को नजर आएगी। इस महोत्सव को विभिन्न प्रदेशों की लोक कला से रंगने का काम इन कलाकारों द्वारा किया जा रहा है।
पोर्ट्रेट बनवाने के लिए पहुंचे पर्यटक।
ग्रीन गोल्ड के दीवाने हुए, असम के केन और बंबू कला के मोहपाश में बधें पर्यटक
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिल्पकार अली असम राज्य की प्रसिद्ध केन और बंबू की पारंपरिक शिल्पकला को लेकर पहुंचे है। गांव भालुकी जिला बरपेटा असम से ग्रीन गोल्ड केन एंड बंबू से बने फूलदान, टे्र, पेन स्टैंड, इजी चेयर, मूढ़ा, पर्स, बाल्टी, मैगजीन होल्डर, मग जैसी लुभावनी चीजें लेकर आए है। उनके इस स्टॉल पर पर्यटक बिना रुके आगे ही नहीं बढ़ते है। शिल्पकार का कहना है कि उनके उत्पादों को पर्यटक हाथों-हाथ खरीद रहें है और उनकी शिल्पकला का जादू पर्यटकों पर चढ़ चुका है। ग्राहकों की भारी भीड़ देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि पर्यटक उनकी शिल्पकला के मुरीद बन चुके है। उनके स्टॉल पर 50 से 2 हजार रुपए तक के मूल्य के उत्पाद मौजूद है। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव में वह पिछले 15 सालों से लगातार आ रहे है। उन्होंने यह शिल्पकला विरासत में मिली है। गीता महोत्सव के अलावा वे चंडीगढ़ के कलाग्राम, दिल्ली के प्रगति मैदान इत्यादि जगहों पर अपनी छाप छोड़ चुके है।
महोत्सव में प्रस्तुति देते कलाकार।
पोर्ट्रेट बनवाने के लिए हरियाणा पवेलियन में लगी लोगों की भीड़
महोत्सव में ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा लगाई गई हरियाणा पवेलियन में ललित कला विभाग के छात्रों द्वारा लगाया गया। स्टॉल सबके आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। भारी संख्या में लोग छात्रों के पास अपने पोर्ट्रेट बनवाने के लिए आ रहे हैं। विभाग के बीएफए तृतीय वर्ष के छात्र देवेंद्र ने बताया कि वह स्कूल के समय से ही इस कार्य में लगा है और 10वीं के बाद तो उसने निर्णय कर लिया था कि वह ललित कला के क्षेत्र में आगे जाएगा और यह सोच कर उसने 12वीं के बाद ललित कला विभाग में दाखिला ले लिया था। पहली बार वे इस प्रकार अपनी प्रस्तुति दे रहे हैं और भारी संख्या में लोग अपने पोर्ट्रेट बनवाने के लिए पहले ही दिन कई लोगों ने उन्हें ऑर्डर दिए। बीएफए तृतीय वर्ष की छात्रा नीतू व पिंकी भी अपनी कला का प्रदर्शन हरियाणा पवेलियन में कर रही है। नीतू व पिंकी ने बताया कि बचपन से उनकी इस कार्य में रूचि थी और वह पेंटिंग शिक्षण के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं।
महोत्सव में प्रस्तुति देते कलाकार।
रानीहार व कंठी को लेकर महिलाओं में उत्साह
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा पवेलियन में लगा हरियाणावीं आभूषणों और परिधानों का स्टॉल सबको अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पवेलियन में आने वाली महिलाएं व लड़कियां इस स्टॉल पर रुक कर रानीहार, कंठी, मटरमाला, छालरा सहित अन्य आभूषणों को देखने के साथ-साथ खरीद भी रही हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं रानीहार व मटरमाला को खरीद रही हैं। युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. महा सिंह पुनिया ने बताया कि हरियाणा पवेलियन में हरियाणा की लोक संस्कृति को दिखाया गया है। गुरुग्राम से खासतौर अंजू दहिया को बुलाया गया है, जो परम्परागत हरियाणा के आभूषणों और परिधानों को बनाने के लिए पूरे देश व विदेश में प्रसिद्ध है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इस बार आत्मनिर्भर और स्वावलंबी भारत के सपने को साकार करने पर कार्य कर रहा है। इसलिए इस बार जो कलाकार अपनी कला को ही लेकर आगे बढ़ रहा है, उसे मंच प्रदान किया गया है।
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