International Nurses Day : इंटरनेशनल नर्स डे पर नर्सें बोलीं- अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की जांन बचाना ही हमारा धर्म

International Nurses Day : इंटरनेशनल नर्स डे पर नर्सें बोलीं- अपनी जान जोखिम में डालकर मरीजों की जांन बचाना ही हमारा धर्म
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इंटरनेशनल नर्स डे को लेकर नर्सों ने खुलकर अपनी बात रखी। कोरोना के संकट काल के दौरान नर्सों ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। खुद की जान जोखिम में डालकर हर नर्स ने मरीजों को बचाने में कसर नहीं छोड़ी।

अंबाला : एक नर्स में मानवता, करुणा, सहानुभूति की भावना होती है। वह सभी प्रकार के रोगियों की देखभाल करती है। उपचार के दौरान डॉक्टरों की मदद करती है। वह डॉक्टर के निर्देशानुसार वार्ड में विस्तर पर लेटे हुए सभी रोगियों को दवाइयां देती है। समय पर रोगियों के भोजन, पानी और स्वच्छता का ध्यान रखती है। स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में नर्स एवं एएनएम का कार्य अमूमन समान ही माना जाता है। एएनएम के जिम्मे खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने का जिम्मा रहता है। जिनमें बच्चों व गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य जांच/टीकाकरण जैसे कार्यक्रम प्रमुख है। जबकि नर्से अस्पताल में दाखिल मरीजों की देखभाल आदि से सम्बंधित कार्य करती है। कोरोना के संकट काल के दौरान नर्सों ने बेहद अहम भूमिका निभाई थी। खुद की जान जोखिम में डालकर हर नर्स ने मरीजों को बचाने में कसर नहीं छोड़ी। इंटरनेशनल नर्स डे को लेकर नर्सों ने खुलकर अपनी बात रखी। खासकर सीएचसी शहजादपुर की विभिन्न पीएचसी एवं सब सेंटर में कार्यरत नर्सों ने कहा कि मुश्किल हालत में मरीजों की जान बचाना उनकी पहली प्राथमिकता होती है।

नर्स रितु रानी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में नर्सों का कार्य बेहद महत्वपूर्ण है। यह सबने कोरोना के संकट काल में देख भी लिया है। जब सभी लोग अपने स्वास्थ्य एवं जान बचाने की जद्दोजहद कर रहे थे और इस वैश्विक महामारी को लेकर एक डर व्याप्त था उस समय नर्सों ने आगे बढकर किस प्रकार से मरीजों की देखभाल की । आइसोलेशन में रहे मरीजों तक समय पर दवाई पहुंचाना उनका मोरल बूस्ट रखना बेहद कठिन कार्य था। लेकिन फिर भी अपने कर्तव्यपरायणता का ध्यान रखते हुए यह सब किया।

एएनएम निर्मला देवी ने कहा कि कोरोना के संक्रमण के समय और बाद में वैक्सीनेशन अभियान के दौरान उनका अहम रोल रहा है। ऐसे समय में भी नर्सें मरीजों की सेवा में जुटी रही। उन्होंने कहा कि मरीजों की देखभाल करते समय कुछ नर्सें भी कोरोना से ग्रस्त हो गई थी और उन्हें आइसोलेट होना पड़ा था।

एएनएम बबीता ने कहा कि मरीजों के इलाज में मदद के साथ उन्हें मानसिक तौर पर मजबूत करने तथा दृढता देने का काम कर रही हैं। इससे कि रोगी तनाव मुक्त रहे ओर जल्द स्वस्थ हो पाए। एएनएम नीलम ने कहा कि विश्व की पहली नर्स मिस फ्लोरेंस नाइटिंगेल की जयंती को इंटरनेशनल नर्स डे के रूप में मनाया जाता है। गत वर्ष कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौरान कोरोना से न घबरा कर अपनी ड्यूटी को पूरे सम्पूर्ण भाव से करने वाली नर्सों चिकित्सा के क्षेत्र में सेवा भावना से अतुलनीय योगदान दे रही है। डॉक्टर के साथ-साथ वे भी अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना संक्रमित मरीजों की देखभाल करती रही।

एएनएम रीटा ने कहा कि मरीज को सहारा देना और उसका आत्मबल बढ़ाकर उसे स्वस्थ करने में अपनी जी जान लगाना ही हमारा फर्ज है। कोविड काल में अपने फर्ज को सभी नर्सों ने बखूबी निभाया भी है।

एएनएम नरिन्द्र कौर ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दौर में जब न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व गुजर रहा था उस समय में स्वास्थ्य कर्मियों खासकर डॉक्टर, नर्सों एवं एएनएम आदि की जम्मिेवारी काफी बढ गई थी। उन्होंने कहा कि शुरू में जब कोविड-19 का प्रसार हुआ था तब थोड़ा डर अवश्य लगता था, लेकिन सावधानी रख कर डयूटी निभाई और लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ मरीजों की देख भाल की।

एएनएम रितू सैनी ने कहा कि कोरोना के संकट काल के दौरान जब स्वास्थ्य कर्मियों को कोरोना योद्धा की संज्ञा दी गई तो बड़ा अच्छा लगा और जो सम्मान आम जन द्वारा उन्हें दिया गया वह कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनका आम जन से यही अनुरोध है कि कोरोना वैक्सीन की जिन लोगों को बूस्टर डोज लगनी है वे यह डोज अवश्य लगवाएं और स्वस्थ रहे।

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