सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर : खोरी मामले में मानवता के आधार पर पुनर्विचार किया जाए

चंडीगढ़। फरीदाबाद के खोरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद निर्माण हटाने को लेकर प्रशासन जहां सतर्क हो गया है वहीं नेशनल लॉयर कंपेन फॉर ज्यूडिशल ट्रांसपरेंसी एंड रिफॉम्र्स के अध्यक्ष एवं सुप्रीम कोर्ट के वकील मैथ्यू जे नेदुम्परा व एडवोकेट मारिया ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में इंटरवीन (हस्तक्षेप) आवेदन करते हुए मानवता के आधार पर कार्रवाई करने की अपील की है।
शनिवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में मैथ्यू जे नेदुंपरा ने कहा कि महज पांच लोगों द्वारा दायर पीआईएल के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा हजारों लोगों के खिलाफ फैसला दे दिया गया है। यह लोग पिछले कई दशकों से खोरी में रह रहे हैं। इनमें से अधिकतर की वोट बनी हुई है और यहीं पर वोट के अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लोगों में दहशत का माहौल है। पुलिस तथा सिविल प्रशासन का अमला वहां रोजाना आकर लोगों पर दबाव बनाते हुए उन्हें मानसिक रूप से प्रताडि़त कर रहा है। इस फैसले के बाद बहुत से लोग परेशान हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को हजारों लोगों का आशियाना उजाडऩे के आदेश देने से पहले ग्रांउड जीरो की वास्तविक स्थिति को भी देखना चाहिए। मैथ्यू ने बताया कि लोगों ने अपने जीवन भर की पूंजी मकान निर्माण में लगाई है। अब उन्हें वहां से उठाया जा रहा है।
इस मामले में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इंटरवीन आवेदन करते हुए मानवीय पहलूओं को ध्यान में रखकर फैसला करने की अपील करते हुए कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने पिछले दिनों खोरी के लोगों को पुनर्वास का आश्वासन दिया था लेकिन प्रदेश सरकार भी भेदभाव पूर्ण नीति अपनाकर कुछेक लोगों को ही वैकल्पिक आवास सुविधा प्रदान कर रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस मामले को गंभीरता से लेने की मांग करते हुए कहा कि वह सरकारी वकीलों के पैनल को सुप्रीम कोर्ट में इंटरवीन आवेदन के माध्यम से हस्तक्षेप की मांग करवाएं तथा सरकार द्वारा यहां रहने वाले सभी लोगों के लिए वैकल्पिक आवास सुविधा का प्रबंध करे।
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