करनाल में किसानों पर लाठीचार्ज की जांच शुरू, पहले दिन 6 गवाहों के बयान दर्ज, चढूनी को भी बुलाया जाएगा

हरिभूमि न्यूज : करनाल
बीती 28 अगस्त को बसताड़ा टोल पर किसानों पर हुए लाठीचार्ज की जांच सरकार द्वारा गठित आयोग ने शुरू कर दी है। सोमवार को जांच के पहले चरण की शुरुआत हुई, जिसके अंतर्गत रिटायर्ड जस्टिस एसएन अग्रवाल आयोग की कोर्ट पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में लगी। जांच में शामिल होने के लिए 34 गवाहों को नोटिस भेजा गया था। पहले दिन 7 में से 6 गवाहों ने अपने बयान दिए। यह बयान 25 अक्टूबर से 2 नंवबर के बीच दर्ज किए जाएंगे। इसके अलावा कोई अन्य भी बयान दर्ज करवा सकता है। रिटायर्ड जज सोमनाथ अग्रवाल ने बयान दर्ज होने के बाद कहा कि मूनक गांव के 7 गवाहों को बुलाया था। 6 गवाहों ने बयान दर्ज करवाए हैं। गवाहों को रोज सीमित संख्या में बुलाया जाएगा। इसके बाद अधिकारियों को भी बुलाया जाएगा।
इस दौरान मामले से जुड़े जो नए नाम निकलकर आएंगे, उन्हें भी बुलाया जाएगा। डॉक्टर, तत्कालीन एसडीएम व प्रशासनिक अधिकारियों को बुलाया जाएगा। कुछ को चंडीगढ़ भी बुलाया जा सकता है। किसान नेता गुरनाम चढूनी व अन्य नेता को भी नोटिस दिया गया है। इस मामले की जांच 4 महीने में पूरी कर जी जाएगी। जांच का दूसरा चरण दिवाली के बाद शुरू किया जाएगा। इसमें एसडीम आयुष सिन्हा, डीसी, एसपी व अन्य अधिकारियों को नोटिस देकर जांच में शामिल किया जाएगा। सरकार ने 25 सितंबर को आयोग गठित करके जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए एक माह का वक्त दिया था। परंतु सरकार ने आयोग की सेवा-शर्त 11 अक्टूबर को तय की इसलिए जांच 12 अक्टूबर से शुरू हो पाई, जबकि सरकार 24 अक्टूबर तक एक माह मान रही है। सरकार ने एचसीएस विवेक कालिया को आयोग सचिव लगाया है। आयोग का मुख्यालय पंचकूला तो कोर्ट करनाल में बनाई गई है।
अपने बयान दर्ज कराने आए किसान हरविंदर सिंह ने बताया कि 28 अगस्त को पुलिस का रवैया कैसा रहा। कितनी संख्या में पुलिस वाले थे और कितने किसान मौजूद रहे। पुलिस ने कितनी ज्यादती की। किसानों ने लाठी क्यों उठाई। इसके अलावा बिना पूछे ही आयुष सिन्हा के बारे में बताया। उनके बयान के बारे में अवगत करवाया। साथ ही लाठीचार्ज करने वाले पिहोवा के एसएचओ की बात भी विस्तार से बताई। किसान रघबीर सिंह ने कहा कि हमने अपनी बात को अच्छे से रख दिया है। हमें दोबारा भी बुलाया जा सकता है। ऐसे हमें कहा गया है। किसान अपार सिंह ने बताया कि हमने जज साहब को बयान दिए हैं। हमारी सुनवाई होगी। किसान बलविंद्र सिंह ने बताया कि हरजिंद्र खारा ने मेरी आखों के सामने लाठीचार्ज किया। हम एक किलोमीटर तक भागे। किसान दलेर सिंह ने बताया कि सरकार क्या करेगी। क्या नहीं करेगी। सरकार इसमें क्या हल करती है, यह देखने की बात रहेगी। हमने तो अपने बयान दे दिए। किसान देवेंद्र सिंह ने कहा कि जो भी मेरे सामने वहां पर हुआ। पूरी घटना जज साहब को बताई है। सरकार हमारे साथ ज्यादती की। आयुष सिन्हा, हरजिंद्र खारा व अन्य अधिकारियों का रोल पूरी तरह बताया गया है। हमे जितनी बार भी बुलाया जाएगा, हम जांच में शामिल होंगे।
यह था पूरा मामला
28 अगस्त को करनाल में सीएम मनोहर लाल की अध्यक्षता में भाजपा की समीक्षा बैठक हुई थी। इस दौरान बसताडा टोल पर बैठे किसानों ने प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ को काले झंडे दिखाकर विरोध किया। कुछ समय बाद किसान भाजपा की बैठक का विरोध जताने के लिए शहर की तरफ बढ़ने लगे। इस दौरान पुलिस के साथ उनकी तकरार हो गई। पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज शुरू कर दिया था। इसी दौरान एसडीएम आयुष सिन्हा का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें किसानों के नाका तोड़ने पर सिर फोड़ने के आदेश मिले। अगले दिन 29 अगस्त को एक किसान रायपुर जाटान निवासी सुशील काजल की मौत हो गई। किसानों ने मौत का कारण लाठीचार्ज की चोटों को बताया। किसान 7 सितंबर से सचिवालय का घेराव किया। 11 सितंबर को एसीएस के नेतृत्व में किसानों से बातचीत में समझौता हुआ। मृतक के परिवार से दो सदस्यों को नौकरी दी गई। मामले की जांच रिटायर्ड जज से कराई जा रही है। 22 सितंबर को सुशील काजल के बेटे व पुत्रवधू को नौकरी दी जा चुकी है। 25 सितंबर को रिटायड जज सोमनाथ अग्रवाल की अध्यक्षता आयोग का गठन किया गया, जिसने जांच का काम शुरू कर दिया है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS