कोरोना के दर्द के बावजूद 46 गांवों में खाली पड़े हैं आइसोलेशन सेंटर

कोरोना के दर्द के बावजूद 46 गांवों में खाली पड़े हैं आइसोलेशन सेंटर
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इन सेंटर में संक्रमित व्यक्तियों को स्वास्थ्य लाभ लेना था। ताकि वे अपने परिवार के दूसरे सदस्यों को संक्रमण से बचा सके। लेकिन सेंटरों के हालात ये हैं कि इनमें लोग स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए नहीं आ रहे हैं। प्रशासन की तरफ से इन सेंटर को लेकर जो दैनिक रिपोर्ट सरकार को भेजी जा रही है, वह काफी हैरत में डालने वाली हैं।

अमरजीत एस गिल: रोहतक

कोरोना ने गांवों में हाहाकार मचाया हुआ है। बीते दिनों असामयिक मौतें हुई तो सरकार नींद टूटी और गांवों में कोविड-19 आइसोलेशन सेंटर बनाए। इन सेंटर में संक्रमित व्यक्तियों को स्वास्थ्य लाभ लेना था। ताकि वे अपने परिवार के दूसरे सदस्यों को संक्रमण से बचा सके। लेकिन सेंटरों के हालात ये हैं कि इनमें लोग स्वास्थ्य लाभ लेने के लिए नहीं आ रहे हैं। प्रशासन की तरफ से इन सेंटर को लेकर जो दैनिक रिपोर्ट सरकार को भेजी जा रही है, वह काफी हैरत में डालने वाली हैं।

रिपोर्ट बता रही है कि कोविड सेंटरों में लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए नहीं आ रहे हैं। ऐसे में अब यह अंदेशा यह है कि संक्रमण गांवों में कहीं और ज्यादा पैर न पसार ले। हालांकि गत कुछ दिनों से संक्रमण की रफ्तार कम होने के बारे में सरकार की तरफ से दावे करके नियमित रूप से आंकड़े जारी किए जा रहे हैं। लेकिन आंकड़ों से कोसो दूर गांवों में भयावह स्थिति है। बीमार व्यक्ति अपनों के साथ ही रहना चाहता है। मंगलवार शाम को रोहतक प्रशासन की तरफ से जो रिपोर्ट सरकार को भेजी गई उसमें बताया गया है कि जिले के सभी 46 आईसोलेशन केंद्रों में केवल काहनौर सेंटर पर 18 मई को मंगलवार को दो मरीज पहुंचे हैं।

नहीं करवा रहे टेस्ट

जिले का कोई भी गांव ऐसा नहीं है, जहां मौत का ग्राफ अप्रैल-मई में काफी गति से न बढ़ा हो। गांवों में घर-घर मरीजों की चारपाई बिछी हुई हैं। लेकिन इन मरीजों के काेराेना टेस्ट परिजन नहीं करवा रहे हैं। लोगों का तर्क है कि जिस बीमारी की दवा ही नहीं बनी है तो फिर उसके टेस्ट करवाने का फायदा भी क्या। प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं के क्या हालात ये किसी से छिपे नहीं हैं। यूं कहें कि गांव में तो स्वास्थ्य विभाग के पास इलाज के नाम पर कुछ नहीं है। ऐसे में लोगों के पास एक ही सहारा है कि वे झोला छाप डॉक्टरों के पास इलाज करवाएं। अधिकांश ग्रामीणों की आर्थिक हालत ऐसी नही है कि वे किसी निजी अस्पताल में अपना इलाज करवा सकें। अगर मजबूरी में इलाज करवा लिया तो फिर अस्पताल का बिल अदा करने के लिए सम्पति तक बेचनी पड़ती है। महामारी के इस भयानक दौर में निजी अस्पताल प्रबंधन मजबूर लोगों को लूटने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। बेशक इलाज के लिए प्रशासन ने कुछ रेट तय कर दिए हो। लेकिन अस्पताल प्रबंधन दूसरे गैर जरूरी टेस्ट करके अपनी पांचों उंगली में घी में डाले हुए हैं।

यह हैं 46 सेंटर : जिले में 125 गांव हैं। इनमें से 46 गांव बैंसी,घरौंठी, लाखनमाजरा, नांदल, चिड़ी, टिटौली, खरावड़, पाकस्मां, हसनगढ़, ईस्माइला 9-बी, नौनंद, ईस्माइला 11बी, कारोर, भैसरूकलां, दत्तौड़, भालौठ, समरगोपालपुर कलां, घिलौड़ खुर्द, किलोई खास, किलोई दोपाना, बालंद, करौंथा, बहु अकबरपुर, सिंहपुरा कलां, भैयापुर, हमायूंपुर, रिठाल फोगाट, सांघी, जिंदराण, बसाना, बनियानी, काहनौर, पिलाना, बलभ, सुंडाना,कटेसरा, भाली आनंदपुर, गिरावड़, भैणी भैरो, सैमाण, भैणी चंद्रपाल, फरमाणा, मोखरा, मदीना, निंदाना, बहलबा और खरकड़ा में कोविड केयर सेंटर बनाए गए हैं।

सभी सुविधाएं करवाई उपलब्ध

संक्रमित व्यक्ति के आराम के लिए मूलभूत जरूरतें की चीजें आईसोलेशन सेंटर में उपलब्ध करवाई गई हैं। संक्रमित लोग इन केंद्रों में क्यों नहीं आ रहे हैं, इस बारे में तो वे अच्छे से बता सकते हैं। मेरा मानना है कि संकट की इस घड़ी में अपने दूर नहीं रहना चाहते।- राजपाल चहल, खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी लाखनमाजरा एवं रोहतक।


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