Jal Shakti Abhiyan : केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों की सराहना, जानें क्यों

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल (Jal Shakti Abhiyan) की जल संरक्षण को लेकर दूरदर्शी सोच के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे अथक प्रयासों को एक बार पुन: केंद्र सरकार ने सराहा है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने (Gajendra Singh Shekhawat) जल शक्ति अभियान के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व वाली राज्य सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि हरियाणा ने इस अभियान के तहत जल सरक्षण और प्रबंधन के लिए विभिन्न पहल की है। इस अभियान में सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए भिवानी, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, अंबाला और कुरुक्षेत्र जिला विशेष सराहना के पात्र है।
इस संबंध में गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा मुख्यमंत्री मनोहर लाल को लिखे गए पत्र के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री का आभार व्यक्त किया और ''जल शक्ति अभियानः कैच द रेन''-2022 अभियान को बढ़ावा देने के लिए हरियाणा की ओर से सहयोग देने का आश्वासन दिया है।
पत्र में हरियाणा के योगदान की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 1 मार्च 2022 तक हरियाणा राज्य ने 89,918 जल संबंधी कार्य पूरे किए, जिनमें 49,136 जल संरक्षण और आरडब्ल्यूएच संरचनाओं का निर्माण/रखरखाव, 8623 पारंपरिक जल निकायों का नवीनीकरण, 25,921 पुनः उपयोग और पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण/रखरखाव, और 6238 वाटरशेड विकास संबंधी कार्यों के साथ- साथ लगभग 1.42 करोड़ वृक्ष लगाने का कार्य भी किए गए थे। उपरोक्त पूर्ण किए गए कार्यों के अलावा, जल से संबंधित कई अन्य कार्य भी किए जा रहे हैं। पत्र में यह भी बताया गया है कि राज्य में 22 जल शक्ति केंद्र स्थापित किए गए हैं। बारिश के मौसम को देखते हुए इस वर्ष में ''जल शक्ति अभियान: कैच द रेन''-2022 शुरू करने की योजना हैं। इसे मार्च 2022 के अंत में शुरू किया जाएगा। यह अभियान देश के सभी जिलों (ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों) में मार्च 2022 के अंत से 30 नवंबर, 2022 तक, मानसून पूर्व और मानसून अवधि तक चलाया जाएगा।
केंद्रित कार्य कार्यकलापों में निम्नलिखित कार्य किए जाएंगे, जिसमें गहन वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण जिसमें भवनों पर रूफ-टॉप वर्षा जल संचयन संरचनाएं (आरडब्ल्यूएचएस) बनाना और परिसरों में जल संचयन गड्ढे खोदना शामिल हैं। मौजूदा आरडब्ल्यूएचएस का रखरखाव और नए चेक डैम/तालाबों का निर्माण, पारंपरिक जल संचयन संरचनाएं का नवीनीकरण, तालाबों /झीलों और उनके कैचमेंट चैनलों से अतिक्रमण हटाना, टैंकों की गाद निकालना, बोरवेल का पुनः उपयोग और पुनर्भरण, वाटरशेड विकास, छोटी नदियों और नालों का संरक्षण, आर्द्रभूमियों का पुनरुद्धार और बाढ़- बैंकों का संरक्षण, झरनों का विकास, वाटर कैचमेंट क्षेत्रों की सुरक्षा के अलावा, सभी जल निकायों की गणना, भू-टैगिंग और उनकी सूची बनाना, इसके आधार पर जल संरक्षण के लिए वैज्ञानिक योजना तैयार करना, सभी जिलों में जल शक्ति केंद्रों की स्थापना, गहन वनरोपण और जन जागरूकता लाना भी शामिल है।
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