जन्माष्टमी : कान्हा के श्रृंगार ने फिर से फूंकी विलुप्त होती पेंटिंग कला में जान

जन्माष्टमी : कान्हा के श्रृंगार ने फिर से फूंकी विलुप्त होती पेंटिंग कला में जान
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कृष्ण जन्माष्टमी के चलते पेंटरों के पास पहुंच रहे घरों में रखे लड्डू गोपाल, जन्माष्टमी व्रत शुरू करने वालों के लिए इस बार रहेगा विशेष लाभदायक ।

भिवानी।

बाल गोपाल, माखन चोर, लड्डू गोपाल, कान्हा सहित अनेक नामों से पुकारे जाने वाले श्रीकृष्ण भगवान एक तरफ जहां लोगों के दुख,दर्द और तकलीफ को दूर करते हैं तो वहीं इन्हीं लड्डू गोपाल ने विलुप्त होती पेंटिंग कला में दोबारा से जान फूंक दी है। आधुनिकता की दौर में जहां दुकानों व शोरूमों के बाहर लिखे जाने वाले नाम आजकर फ्लैक्स पर कंप्यूटर राइज बनवाए जा रहे हैं तो वहीं स्कूल, कॉलेजों व दीवार पर पहले जो विज्ञापन पेंटिंग का स्थान भी अब कंप्यूटर राइज फ्लैक्स ने ले लिया है।

कृष्ण जन्माष्टमी आने से पहले जो पेंटर आए दिन काम की राह निहारते रहते थे वो पिछले एक पखवाड़े से इन दिनों बाल गोपाल के श्रृंगार में व्यस्त हो रहे हैं। घरों में रखे हुए बाल गोपाल पेंटरों की दुकान में पहुंच रहे हैं तथा महिलाओं द्वारा बताए गए श्रृंगार के अनुसार उन्हें सजाया जा रहा है। पेंटरों ने बताया कि प्रतिमा के साइज के अनुसार 150 रुपये से लेकर 500 रुपये तक रेट फिक्स कर रखे हैं। पेंटर शिव कुमार ने बताया कि पिछले एक पखवाड़े से वो बाल गोपाल की प्रमिताओं का श्रृंगार कर रहे हैं। इनमें दुकानदारों के साथ साथ घरेलू महिलाएं शामिल है जो अपने बाल गोपाल का अपनी पसंद के अनुसार श्रृंगार करवा रही है।

रोहिणी नक्षण में होगा बाल गोपाल का जन्म

श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। पंडित कृष्ण कुमार बहल वाले ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि जन्माष्टमी पर छह तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। ये छह तत्व हैं भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। इस बार ऐसा संयोग बना है कि ये सभी तत्व 30 अगस्त यानि सोमवार को मौजूद रहेंगे। निर्णय सिंधु ग्रंथ के अनुसार जन्माष्टमी पर दुर्लभ संयोग में व्रत करने से मनुष्य तीन जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है।

उन्होंने बताया कि निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर आता है तो इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मनुष्य मुक्त हो जाता है। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से प्रेत योनी में भटक रहे पूर्वजों को भी मनुष्य व्रत के प्रभाव से मुक्त करवा लेता है। जन्माष्टमी व्रतियों के लिए खास बात: जो लोग जन्माष्टमी व्रत आरंभ करना चाह रहे हैं, उनके लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना उत्तम रहेगा। जो पहले से जन्माष्टमी व्रत कर रहे हैं, उनके लिए इस बार जन्माष्टमी का व्रत अतिउत्तम रहेगा। दूसरी ओर लड्डू गोपाल के शृंगार के लिए आकर्षक और नई डिजाइन की पोशाक बाजार में उपलब्ध हैं।

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