जिग-जैग से नहीं थमा प्रदूषण, ईंट-भट्टे चलाने के लिए अब करना होगा यह काम

योगेंद्र शर्मा. चंडीगढ़
हरियाणा के एनसीआर क्षेत्र में आने वाले जिलों के ईंट-भट्टा संचालकों को आने वाले दिनों में अब जिग जैग तकनीक से भट्टे चलाने की अनुमति नहीं होगी क्योंकि इससे भी वायु प्रदूषण पर विराम नहीं लग सका है। हरियाणा के एनसीआर वाले जिलों मे ईंट-भट्टा चलाने के लिए आने वाले दिनों में पीएनजी का इस्तेमाल करना होगा। एनजीटी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जारी फरमान के बाद एक बार फिर से ईंट भट्ठा संचालकों की मुसीबतें बढ़ गई हैं।
जानकारी अनुसार इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से पिछले माह फरवरी में आदेश जारी किया गया है। ट्रिब्यूनल की ओर से साफ कर दिया गया है कि एनसीआर के जिलों में खराब हवा की क्वालिटी और लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए यह आदेश दिया गया है। इनसे निकलने वाले प्रदूषण के कारण सांस लेने में दिक्कत और फेफड़ों संबंधी बीमारियां छोटे बच्चों ह्रदय रोगियों के लिए कई तरह के खतरे पैदा हो रहे हैं । पहले जहां कोयले और अन्य पदार्थों से चलने वाले चिमनी के भक्तों को जिग-जैग तकनीक लगाने के लिए कहा गया था। वहीं अब इस तकनीक से भी वायु प्रदूषण पर रोक लगती नहीं दिखाई दे रही है। जिसके कारण ईंट-भट्ठा मालिकों को पीएनजी गैस का इस्तेमाल करना होगा, अगर ईंट भट्ठा संचालकों ने आदेश का पालन नहीं किया तो यह बंद रहेंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने चुनौतीपूर्ण वायु प्रदूषण और कोयले के इस्तेमाल से होने वाले प्रदूषण को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए जिग जैग से भी नियंत्रण नहीं होने की बात कही थी। इस संबंध में 5 जनवरी इसी वर्ष 2021मे सुप्रीम कोर्ट की ओर से भी दिशा-निर्देश जारी किए गए थे। सर्वोच्च अदालत में साफ कर दिया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों को मानना होगा । एनजीटी की ओर से विशेषज्ञों की कमेटी भी साफ कर चुकी है कि वायु प्रदूषण और चुनौतीपूर्ण माहौल के लिए ईंट भट्ठा भी जिम्मेदार हैं।भले ही उनमें जिग जैग तकनीक लगी है। हालांकि ट्रिब्यूनल की ओर से गुजरात मोरबी इंडस्ट्रियल एरिया का उदाहरण देते हुए पीएनजी के इस्तेमाल का सुझाव दिया है। जहां पर ईंट भट्ठा का संचालन पीएनजी गैस के इस्तेमाल से किया जा रहा है। कुल मिलाकर नए फरमान के बाद व्यापारियों और इन में काम करने वाले लोगों में खलबली मची हुई है।
ईंट-भट्ठा संचालकों का दर्द
फिलहाल एनसीआर में आने वाले ईंट भट्ठा संचालक इन आदेशों को लेकर विचार मंथन और लीगल राय लेने में जुटे हुए हैं। एसोसिएशन के अधिकांश पदाधिकारी धर्म संकट में है उनका कहना है कि पहले उन्होंने लाखों रुपया जिग जैग तकनीक लगाने पर खर्च किया। इसको लेकर भी एनजीटी और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से निर्देश दिए गए थे। अब नए फरमान में पीएनजी गैस लगाने के लिए कहा जा रहा है। ईट भट्ठा संचालकों का कहना है कि जिन स्थानों पर ईंट भट्ठे स्थित है वहां तक पीएनजी की पाइपलाइन ले जाना बेहद जोखिम भरा और भारी खर्चे का काम होगा। दूसरा हरियाणा के आधे से ज्यादा जिले दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में डाल दिए गए हैं। इस मामले में पड़ोसी राज्य राजस्थान के चंद जिले ही एनसीआर में शामिल किए गए हैं। इस तकनीकी समस्या के कारण भी काफी ईंट भट्ठा संचालकों और यहां काम करने वाले मजदूरों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जाएगा।
ट्रब्यिूनल के आदेश की होगी पालना
हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जारी आदेशों का 100 फ़ीसदी पालन करना होगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में ईंट भट्ठा संचालकों को दिशा निर्देशों के बारे में अवगत करा दिया गया है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS