गोशाला में मौत का ग्रास बन रहे गोवंश, खुले में फेंके शव, अवशेषों को नोच रहे कुत्ते

गोशाला में मौत का ग्रास बन रहे गोवंश, खुले में फेंके शव, अवशेषों को नोच रहे कुत्ते
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जींद के बीड़ बड़ा वन के पास बनी गोशाला में गोवंश के हालात बदतर हो गए हैं। यहां प्रतिदिन गोवंश मौत का ग्रास बन रहे हैं। गोवंशों को दफनाने के बजाय खुले में फेंका जा रहा है।

हरिभूमि न्यूज. जींद: बीड़ बड़ा वन के पास बनी गोशाला में गोवंश के हालात बदतर बने हुए हैं। प्रतिदिन गोवंश मौत का ग्रास बन रहे हैं, जिनको दफनाया भी नहीं बल्कि खुले में फेंका जा रहा है। ऐसे में गौशाला के पास बदबूदार वातावरण बना हुआ है। कुत्ते मरे हुए गोवंश के अवशेषों को उठाकर सड़कों तक ला रहे हैं। हालांकि बीड़ बड़ा वन के पास बनी गौशाला का डीसी और नगराधीश भी दौरा कर चुके हैं। उन्होंने दौरा कर गौशाला की व्यवस्थाओं को सही बताया था। वहां के कर्मचारियों को दिशा-निर्देश भी दिए थे। इसके अलावा बीमार गोवंश को बचाने के लिए भी पशुपालन विभाग से एक चिकित्सक की प्रतिदिन ड्यूटी लगाई गई थी। अब गोवंश भूख और बीमारियों के कारण दम तोड़ रहे हैं।

नंदीशाला में पिछले महीने जहां 800 के लगभग गोवंश थे, वह अब घटकर 750 रह गए हैं। इस गौशाला में गोवंश का पेट ही नहीं भर पा रहा है, क्योंकि वहां पर न तो कोई शहरवासी चारा डालने के लिए जा रहा है और न ही गौशाला कमेटी के पास इतनी राशि नहीं है कि वह चारा खरीदकर गोवंश का पेट भर सके। ऐसे में हर रोज गोवंश की मौत हो रही है। हालांकि नगराधीश अमित कुमार ने बीड़ बड़ा वन की नंदी गोशाला का दौरा किया था। उन्होंने वहां जाकर गोवंश के हालात देखे थे वहीं गोवंश के लिए बचे हुए चारे बारे भी प्रबंधन सदस्यों से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि वह गोवंश का पेट भरने के लिए शहरवासियों से अपील करेंगे कि वह गोवंश की सेवा के लिए आगे आएं, लेकिन प्रशासन की अपील का शहरवासियों पर कुछ असर नहीं हुआ। अब गोवंश भूखा मरने पर मजबूर है। इसके अलावा गत दिनों डीसी डा. मनोज ने भी गोशालाओं का दौरा कर वहां की व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। डीसी ने गौशाला की व्यवस्थाओं को सही बताया था लेकिन बीमारी और भूख से हर रोज कई-कई गोवंश दम तोड़ रहे हैं।

कर्मचारियों पर 830 गोवंश का जिम्मा

गोशाला में लगभग 750 गोवंश हैं। इनका जिम्मा चार कर्मचारियों पर है। ऐसे में गोवंश का रखरखाव सही तरीके से नहीं हो पा रहा। इसको प्रशासन ने भी माना था। गोवंश के चारे की उचित व्यवस्था नहीं बन पाती और न ही बीमार गोवंश का अच्छे ढंग से ध्यान रखा जाता। बीमार गोवंश को चारा खिलाने और पानी पिलाने की व्यवस्था नहीं बनती। ऐसे में बीमार गोवंश भूख और प्यास से ही दम तोड़ देता है। स्वामी राघवानंद ने बताया कि बीड़ बड़ा वन में दूसरी गोशालाओं से भी मृत गायों को दफनाया जाता है। शनिवार को नंदी गोशाला में भी कई गोवंश की मौत हो गई थी। जेसीबी खराब होने से सभी गोवंश के ऊपर मिट्टी नहीं डल पाई थी।

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