Jind : 8 माह बाद लिंगानुपात के मामले में पिछड़ा, पहले स्थान पर पलवल

- लिंगानुपात मामले में पंचकूला दूसरे तो जींद को मिला तीसरा स्थान
- स्वास्थ्य विभाग तीसरे स्थान पर रहने के कारणों को जानने में जुटा
Jind : आठ माह बाद लिंगानुपात के मामले में जींद पहली बार तीसरे स्थान पर आया है। 941 लिंगानुपात के साथ पलवल प्रथम, 933 के साथ पंचकूला द्वितीय तथा 929 के साथ जींद तृतीय स्थान पर है। तीसरे स्थान पर रहना भी जींद के लिए गर्व की बात है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने पहले स्थान को फिर से हासिल करने के लिए रिव्यू शुरू कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग उन गांवों पर नजर दौड़ा रहा है जहां लिंगानुपात कम है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग यह भी मान रहा है कि रजिस्ट्रेशन न हो पाने के कारण भी लिंगानुपात में कमी आई हो। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने हर कारण को लेकर रिव्यू करना शुरू कर दिया है।
गौरतलब है कि जनवरी से अगस्त महीने तक जींद जिला लिंगानुपात में के मामले में प्रदेश में लगातार आठ माह तक प्रथम स्थान पर रहा था। वर्ष 2023 में मार्च महीने तक प्रति एक हजार लड़कों पर 996 लड़कियों के जन्म होना रहा। इसके बाद अप्रैल में 982 लिंगानुपात होने के बाद अगस्त माह में 936 आंकड़ा रहने के बावजूद भी जींद हरियाणा प्रदेश में लिंगानुपात के मामले में प्रथम स्थान पर रहा था। स्वास्थ्य विभाग ने सितंबर महीने तक के लिंगानुपात के आंकड़े जारी किए तो इनमें पलवल और पंचकूला के बाद जींद जिला प्रदेश में तीसरे स्थान पर रहा है।
तीसरे स्थान पर रहने के कारणों को जानने में जुटा विभाग
नागरिक अस्पताल के डिप्टी सिविल सर्जन डाॅ. पालेराम कटारिया ने बताया कि पिछले आठ माह से जींद लिंगानुपात के मामले में प्रदेश में अव्वल रहा है। अब नए आंकडों के अनुसार जींद जिला तीसरे स्थान पर आया है। स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा लिंगानुपात को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। बाकायदा स्वास्थ्य विभाग की टीमें अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर भी नजर रखती हैं और छापेमारी करती हैं। वहीं कन्या भ्रूण हत्या को लेकर स्पेशल टीमें काम कर रही हैं। लिंगानुपात में कमी के कारणों का भी पता लगाया जा रहा है।
जिन गांवों का लिंगानुपात कम, उन गांवों पर विशेष नजर
सीएमओ डाॅ. गोपाल गोयल ने बताया कि समय-समय पर पीएनडीटी एक्ट के तहत प्रभावी कदम उठाए जाते हैं। जिन गांवों में लिंगानुपात कम है, वहां तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को नोटिस भी दिए जाते हैं। भ्रूण हत्या ना होने पाए, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क है, यही कारण है कि जींद जिला लिंगानुपात के मामले में अन्य जिलों को शिक्षा देने का काम कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग का हमेशा प्रयास करता रहता है कि लोग बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझें। इसके लिए समय-समय पर जागरूकता शिविर लगाए जाते हैं। शिक्षित लोग बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की सोच में भी बेटा-बेटी में फर्क नहीं समझने को लेकर जागरूक ता आई हैं। पूरे स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में काफी मेहनत की है। जिला प्रशासन का भी इसमें काफी सहयोग मिला है।
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