RTI से खुलासा : नौकरी में सिलेक्शन पहले, आवेदन बाद में, सहकारी समितियों की भर्तियों में बड़ा गड़बड़झाला

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी
बेराजगार युवक नौकरी पाने के लिए जगह-जगह आवेदन करने के बाद धक्के खाते हैं। प्रदेश का सहकारिता विभाग ऐसा है, जो पहले नौकरी देता है और आवेदन बाद में भी स्वीकार कर लिया जाता है। सहकारिता विभाग में अगस्त 2021 में हुई आउटसोर्सिंग पर लिपिकों की नियुक्तियों के मामले में इस तरह का खेल हो चुका है। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी से इस बात का खुलासा हुआ है कि इन नियुक्तियों में नियमों को पूरी तरह ताक पर रखा गया है।
नियमानुसार नियुक्तियों के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित करने के बाद टेस्ट की प्रक्रिया पूरी की जाती है। 5 अगस्त 2021 को रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां कार्यालय की ओर से जारी पत्र क्रमांक प्रशा. 11(1) /10246 के माध्यम से पानीपत की नरवाल सुपर सिक्योरिटी एजेंसी को पत्र भेजकर यह सूचित किया गया कि उसकी ओर से भेजे गए 42 उम्मीदवारों में से 28 का चयन इस विभाग में लिपिक के पद हेतु किया गया है। इस पत्र में चयनित उम्मीदवारों की सूची भी दर्शाई गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि सूची में एक ऐसा कंडीडेट भी शामिल है, जिसने नौकरी के लिए आवेदन ही एजेंसी के इस पत्र के 14 दिन बाद किया था।
सहकारी समितियों के लिए लिपिकों की यह भर्ती प्रक्रिया पूरी तरह सवालों के घेरे में नजर आ रही है। जिस युवक ने नरवाल सुपर सिक्योरिटी एजेंसी को नौकरी के लिए आवेदन 19 अगस्त 2021 को किया था, सहकारिता विभाग की ओर से उसका चयन दो सप्ताह पूर्व ही 5 अगस्त को किया हुआ दिखा दिया था। पानीपत की जिस एजेंसी से आउटसोर्सिंग के आधार पर सहकारिता विभाग में जो लिपिक लगाए गए थे, उन 26 में से 12 अकेले रेवाड़ी जिले के हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर विभाग की ओर से किसी एक एजेंसी को ही लिपिकों के पद भरने के लिए माध्यम कैसे बनाया गया।
अन्य नियुक्तिओं में भी बड़ा घालमेल
आरटीआई से हासिल की गई सूचनाओं में इस बात का खुलासा हुआ है कि पैक्स शाखाओं में भी क्लर्क कम कैशियर से लेकर दूसरे पदों पर महज प्रस्ताव पास करके नियुक्तियां की गई हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइंस के अनुसार कम से कम बैंकिंग कार्य में मैनजर और कैशियर दोनों पदों पर आउटसोर्सिंग के आधार पर नियुक्तियां नहीं की जा सकतीं। इसके बावजूद कई पैक्स शाखाओं में नौकरियों की बंदरबांट का खेल चलता है। अगर इस मामले की जांच की जाए, तो इसमें बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। इस संबंध में प्रदेश के सहकारिता मंत्री डा. बनवारील से संपर्क करने का प्रयास किया, परंतु व्यस्त होने के कारण उनसे बात नहीं हो सकी।
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