ऋण योजना के नाम पर उपभोक्ता से मजाक, बैंक ने बेच दिया महिला का मंगल सूत्र

ऋण योजना के नाम पर उपभोक्ता से मजाक,  बैंक ने बेच दिया महिला का मंगल सूत्र
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अनुसूचित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले प्रभावित परिवार ने बैंक पर मनमानी का आरोप लगाते हुए प्रदेश मुख्यमंत्री को सीएम पटल के माध्यम से शिकायत भेजी है।

हरिभूमि न्यूज : कलायत

कलायत रेलवे रोड पर एक बैंक शाखा द्वारा आभूषण ऋण के नाम पर महिला के सुहाग की निशानी मंगल सूत्र और अंगूठी बगैर सूचना बेचने का मामला प्रकाश में आया है। अनुसूचित वर्ग से ताल्लुक रखने वाले प्रभावित परिवार ने बैंक पर मनमानी का आरोप लगाते हुए प्रदेश मुख्यमंत्री को सीएम पटल के माध्यम से शिकायत भेजी है।

कलायत वार्ड एक निवासी संजय कुमार ने बताया कि उसने घरेलू मजबूरी के चलते पत्नी के सोने का एक मंगल सूत्र और एक अंगुठी को बैंक में रहन रखते हुए ऋण लिया था। रकम अदा करने की समय सीमा 13 मई 2021 तय थी। जब वह मकर संक्रांति पर्व पर राशि अदा कर आभूषण लेने गया तो बैंक अधिकारी ने आभूषणों को बेच देने का फरमान सुना दिया। उसने 11 हजार 890 रुपए का ऋण लिया था। तय समय सीमा से पहले जिस प्रकार आभूषणों को बगैर उसे सूचना दिए बेचा गया वह गरीब परिवार के साथ भद्दा मजाक है। सरकार के आदेशों के अनुसार रकम अदा करने की निर्धारित तिथि से पहले आभूषणों को बैंक द्वारा किसी भी सूरत में बेचा नहीं जा सकता। इसके लिए उपभोक्ता को पूर्व सूचना देना जरूरी है। बैंक अधिकारी ने सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों को हवा में उड़ाते हुए उनकी गरीबी का मजाक उड़ाया है।

मंगल सूत्र को लेकर सदमे में महिला

बैंक ने जिस महिला के सुहाग की निशानी मंगल सूत्र और दूसरे आभूषण बेचे हैं वह अधिकारियों की कार्यप्रणाली से आहत है। सहमी महिला को विश्वास नहीं हो रहा कि उसके साथ बैंक प्रबंधन ने इस प्रकार का मजाक कर डाला है। उसका कहना है कि यदि उसे आभूषण बेचने ही होते तो वह ऋण क्यों लेती। दिहाड़ी मजदूरी से गुजर बसर करने वाले परिवार ने विपरीत परिस्थितियों से पंजा लड़ाने के लिए आभूषण बैंक में रहन रखे थे। उन्हें नहीं मालूम था कि उनके साथ बैंक इस प्रकार छल करेगा।

एससीएसटी आयोग का दरवाजा खटखटाएगा प्रभावित परिवार

प्रभावित संजय कुमार ने बताया कि बैंक अधिकारियों ने जो अन्याय उसके साथ किया है उसके खिलाफ वह राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और शीर्ष अधिकारियों का दरवाजा खटखटाएगा। उसका संघर्ष बैंक अधिकारियों की मनमानी से शासन-प्रशासन को अवगत करवाना है। ताकि ऋण योजना के नाम पर अधिकारी किसी के साथ अन्याय न कर सकें।

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