Justice for Dr Abhishek Bhayana: 26 साल के कोरोना योद्धा डॉक्टर अभिषेक की मौत पर इंसाफ मांग रहे डॉक्टर, क्या आप इनका साथ देंगे?

हरिभूमि न्यूज। रोहतक
रोहतक के एक युवा डॉक्टर अभिषेक भ्याना की मौत के बाद दिल्ली सरकार पर लगातार कोरोना योद्धा की मौत के बाद दी जाने वाली आर्थिक सहायता के नियम बदलने का दबाव है। पूरे देश के डॉक्टर और गणमान्य लोगों ने दस जुलाई को अपने घर के आगे एक दीया जलाने की अपील की है ताकि डॉक्टर अभिषेक के परिवार को आर्थिक सहायता दिलवाई जा सके। ये पूरा मसला कोविड और नॉन कोविड के बीच का है। इसके लिए सोशल मीडिया पर #JusticeforDrAbhishek अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा एक पीटिशन भी फाइल की गई है और लोग इसको समर्थन दे रहे हैं।
Letter to the Delhi Chief Minister @ArvindKejriwal demanding that the young dental surgeon Dr Abhishek Bhayana of the Maulana Azad Institute of Dental Sciences, who passed away on account of COVID be accorded the status and benefits due to the family of #CoronaWarrior pic.twitter.com/BcQK5uVGdb
— Harjit Singh Bhatti (@DrHarjitBhatti) July 7, 2020
रोहतक निवासी अभिषेक भयाना दिल्ली के मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट फॉर डेंटल साइंसेज (MAIDS) में एक जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर के रूप में काम करते थे। वो मात्र 26 साल के थे। उनके शरीर में कोरोना के लक्षण थे लेकिन दोनों ही जांच रिपोर्ट निगेटिव आई थी।
दिल्ली सरकार उनकी मौत को कोविड से हुई नहीं मानकर आर्थिक सहायता नहीं दे रही है जबकि डॉक्टर्स का कहना है कि ये नियम गलत है। जो डॉक्टर कोविड के दौरान ड्यूटी दे रहा था और पूरी तरह स्वस्था उसकी मौत के पीछे और क्या कारण हो सकता है। नेशनल मेडिको ऑर्गेनाइशेन ने भी इस संबंध में एक वीडियो ब्लॉग जारी करके 10 जुलाई को शाम को सात बजे अपने घरों के आगे दीया या केंडल जलाकर दिल्ली सरकार का ध्यान इस संबंध में आकर्षित करने और उन्हें नियम बदलने के लिए मजबूर करें ताकि हमारे लिए ड्यूटी देने वाले डॉक्टर को इंसाफ मिल सके।
डा अभिषेक भ्याना के भाई अमन भ्याना ने इसको लेकर पूरी जानकारी दी है। अमन भ्याना का कहना है कि डॉ। अभिषेक भयाना दिल्ली के मौलाना आजाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज में जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर थे।
उनका निधन फेफड़ों की विफलता के कारण हृदय गति रुकने से हुआ। फेफड़े में भारी बलगम के कारण फेफड़ों का फेल्योर हो गया था। सभी लक्षण एसएआरएस- सीओवी -2 (कोरोनावायरस) के समान थे। सभी समान लक्षणों के बावजूद, कोविद -19 के लिए 2 परीक्षण रिपोर्ट नकारात्मक निकले। कोरोना-योद्धा डॉ. अभिषेक भयाना (26) की मृत्यु के बारे में निम्नलिखित समय और तथ्य हैं।
26 जून: दिल्ली से अपने घर रोहतक लौटे।
28 जून: हल्का खांसी
30 जून: मामूली कफ के साथ खांसी। चेस्ट स्पेशलिस्ट से सलाह ली। एक्सरे ने बलगम के साथ फेफड़ों को भीड़ का सुझाव दिया। उसी हिसाब से दवा दी। डॉक्टर ने पूरे परिवार के लिए COVID के लिए सावधानी बरतने का सुझाव दिया।
पहली जुलाई: कोविड परीक्षण के लिए नमूना (पीजीआई रोहतक, हरियाणा में परीक्षण)
2 जुलाई: लगभग 12:30 बजे। सांस की तकलीफ के कारण स्वास्थ्य में गिरावट। तुरंत होली हार्ट अस्पताल ले जाया गया। उन्होंने अपनी अंतिम सांस 2:30 बजे ली।
अस्पताल में डॉक्टरों ने हृदय गति रुकने के कारण मृत्यु की सूचना दी जो फेफड़ों में भारी जमाव के कारण थी जो फेफड़ों के कार्य करने में अक्षमता का कारण बनी। जटिल प्रबंधन और प्रणाली की अक्षमता ने उनके अंतिम लड़ाई के मौके को छीन लिया।
3 जुलाई- कोविड परीक्षणों के लिए नमूना फिर से एकत्र किया गया।
रैपिड टेस्ट में एक नकारात्मक रिपोर्ट सामने आई और कई मामलों में देखा गया है कि नकारात्मक रिपोर्ट कोविद संक्रमण को नियंत्रित नहीं कर सकती है। इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।
कई अन्य मामलों में देखी गई नकारात्मक रिपोर्ट SARS-coV-2 की उपस्थिति की संभावना को खारिज नहीं करती है।
डॉ. अभिषेक ने अपने अंतिम दिनों को कोरोनोवायरस महामारी में सबसे आगे राष्ट्र की सेवा करने वाले योद्धा के रूप में समर्पित किया था। उनका कोई पूर्व चिकित्सा इतिहास नहीं था, और इसलिए परिवार के पास यह मानने के सभी कारण हैं कि उनकी मृत्यु कोविड -19 के कारण हुई। हमारे ज्ञान के अनुसार वह सेवा के लिए बलिदान देने वाले सबसे कम उम्र के डॉक्टर हैं।
उनके समर्थन में ट्वीटर पर #JusticeforDrAbhishek #CoronaWarrior अभियान चलाया जा रहा है और दस जुलाई को शाम सात बजे उनको इंसाफ दिलाने के लिए घर के बाहर एक एक कैँडल या दीया जलाने की अपील की गई है।
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