Kaithal : अधिकारियों व राइस मिल मालिकों ने मिलीभगत कर सील हुए राइस मिलरों को दे दिया करोड़ों का धान

Kaithal : अधिकारियों व राइस मिल मालिकों ने मिलीभगत कर सील हुए राइस मिलरों को दे दिया करोड़ों का धान
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  • प्रदूषण विभाग द्वारा सील किए गए थे करीब आधा दर्जन राइस मिल
  • भ्रष्टाचार के इस मामले में एजेंसी अधिकारियों ने साधी चुप्पी

Kaithal : धान के कटोरे के नाम से विख्यात एशिया की प्रमुख अनाज मंडी चीका में प्रदूषण विभाग द्वारा सील किए गए करीब आधा दर्जन राइस मिलों को हरियाणा सरकार की दो खरीद एजेंसियों खाद्य एवं आपूर्ति विभाग व स्टेट वेयर हाउस द्वारा करोड़ों रुपयों का धान मिलिंग पर देने के सनसनीखेज घोटाले का भंडाफोड़ हुआ है। इस घोटाले को अधिकारियों व राइस मिल मालिकों ने मिलकर अंजाम दिया है। यही नहीं, यदि भरोसेमंद सूत्रों की मानें तो उक्त घोटाले में राइस मिलों के साथ-साथ सम्बन्धित विभागों के कई बड़े अधिकारी भी कथित रूप से मिले हुए हैं, जिसके चलते सूत्र इशारा कर रहे हैं कि यदि हरियाणा सरकार द्वारा उक्त घोटाले की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए, तो जहां बड़े घोटाले का तो पदार्फाश होगा ही अलबत्ता वहीं कई अधिकारियों के चेहरे भी बेनकाब होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।

देश भर में प्रदूषण को लेकर भारत सरकार सहित कई राज्यों की सरकारों को चिन्ताएं बढ़ रही हैं और सरकारों द्वारा बढ़ते प्रदूषण पर कड़ी नजर रखते हुए कई प्रकार की रोक लगाने की घोषणाएं की जा रही हैं परंतु चीका मंडी में प्रदूषण विभाग ने उन राइस मिलों को सील तो कर दिया, जो सरकार मानकों पर खरा नहीं उतर रहे थे। सूत्र बताते हैं कि जिन राइस मिलों को प्रदूषण विभाग ने सील किया है तो उन्हें सरकार की कोई भी एजेंसी मिलिंग के लिए धान नहीं दे सकती और नियम तो यह भी है कि धान देने से पहले राइस मिलों की विभाग द्वारा जो रजिस्ट्रेशन की जाती है, कानूनन वह भी नहीं की जा सकती। परंतु यहां सरकार की खरीद एजेंसियों ने ऐसे राइस मिलों की रजिस्ट्रेशन करने व खरीद एजेंसियों द्वारा मिलिंग के लिए बड़ी मात्रा में धान देकर कानून की सरेआम धज्जियां तो उड़ाई ही हैं। अलबत्ता इसकी आड़ में बड़े स्तर पर कथित रूप से पैसे का लेनदेन भी हुआ है।

कथित राइस मिलों में मशीनरी ही नहीं लगी परंतु उक्त घोटाले का एक रोचक पहलू यह भी है कि घोटाले की जद में आने वाले कुछ राइस मिलों में तो अभी मशीनरी भी नहीं लगी और वे या तो बंद पड़े हैं और या फिर उनमें निर्माण कार्य चल रहा है परंतु उक्त राइस मिलों को कागजों में चलते हुए दिखाकर अधिकारियों ने मिलिंग के लिए धान दे दिया। नतीजतन अब वह धान कहां है, इसके बारे में तो किसी को नहीं पता परंतु बड़ा सवाल यह है कि उक्त राइस मिल मालिक बिना मशीनरी के धान कूटेंगे तो कैसे? दूसरा सवाल यह भी है कि सम्बन्धित अधिकारियों ने ऐसे राइस मिलों को सरकारी धान देने से पहले सम्बन्धित राइस मिल का दौरा क्यों नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि यह सवाल ही असलियत में घोटाले की जड़ भी हैं।

खुद लगाई थी मिलों पर सील : सतीश कुमार

इस संबंध में जब प्रदूषण विभाग के एस.डी.ओ. सतीश कुमार ने बताया कि चीका शहर के चार राइस मिलों को तो उन्होंने प्रदूषण के मानक पूरे ना करने पर स्वयं सील किया है, जबकि एक या दो राइस मिल उनसे पहले सील किए जा चुके हैं। उक्त अधिकारी ने सील किए गए सभी राइस मिलों के नाम भी उजागर किए और कहा कि उक्त सम्बन्ध में जब तक जांच पूरी नहीं होती, लगाई गई सीलें नहीं खोली जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि जांच के दौरान सील खोलने या न खोलने की प्रक्रिया लम्बी भी चल सकती है। उन्होंने कहा कि जब तक सील किए गए राइस मिल मालिक प्रदूषण विभाग की गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरते तक तक सील नहीं खुलेगी और इसमें कम से कम 6 महीने की प्रक्रिया भी लग सकती है।

अधिकारियों ने साधी चुप्पी

उक्त घोटाले में तथ्य जुटाने व अधिकारियों पर कथित घोटाले के आरोपों के चलते हरियाणा सरकार की खरीद एजेंसियों व कुछ अन्य बड़े अधिकारियों को भी रिकार्डिंग फोन मिलाए गए, जिस पर कई कनिष्ठ अधिकारियों ने तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि इस मामले में बड़े अधिकारी ही कुछ बता सकते हैं। इससे बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।

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