अंगीठी जलाकर ना सोएं : हरियाणा में तीसरे दिन घटना, बंद कमरे में दम घुटने से 10 माह की बच्ची और किशोर की मौत

अंगीठी जलाकर ना सोएं : हरियाणा में तीसरे दिन घटना, बंद कमरे में दम घुटने से 10 माह की बच्ची और किशोर की मौत
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बच्ची की मां सीमा ने ठंड से बचने के लिए कमरे में तसले में आग जलाई थी। जिससे दोनों का दम घुट गया। सुबह करीब 8 बजे महिला उठी और चाय बनाकर लेकर आई तो बच्ची और किशोर नहीं उठे।

तरावड़ी ( करनाल ) : करनाल के तरावड़ी शहर में दम घुटने से दस माह की बच्ची समेत 16 साल के नाबालिग की मौत हो गई। बच्ची की मां सीमा ने ठंड से बचने के लिए कमरे में तसले में आग जलाई थी। जिससे दोनों का दम घुट गया। इस घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है। जानकारी के अनुसार यूपी के रहने वाले काम के लिये तरावड़ी के चौधरी मोहल्ले में स्थित एक किराये के मकान में अरूण अपने परिवार के साथ सो रहा था। रात को अरूण की पत्नी ने ठंड से बचने के लिए कमरे में तसले मे आग जला दी। इसके बाद पत्नी, उसकी दस माह की बेटी मुस्कान और उसका 16 साल का साला विपिन एक ही कमरे में सो गए।

सुबह करीब 8 बजे अरुण की पत्नी उठी और चाय बनाकर लेकर आई तो बच्ची और साला नहीं उठे। अरुण की पत्नी ने जब बच्ची और साले को उठाया तो वह बिस्तर से नहीं उठे। इस पर दोनों को तरावड़ी के नागरिक अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मृतक विपिन के जीजा अरूण ने बताया कि वह दिहाड़ी मजदूरी का काम करता है। उसके पास दस माह की बेटी मुस्कान थी और उसका साला 16 साल का विपिन था जो कई सालों से उसके पास ही रह रहा था। यहीं पर पढ़ाई करता था और उनके काम में भी सहयोग करता था। रात को तसले में आग जलाकर सब अच्छे से सोए थे। कमरे की खिडक़ी भी खुली थी, लेकिन दोनों की मौत हो गई।

लोगों ने बताया कि अरुण कस्बे में दिहाड़ी मजदूरी करता करके अपने परिवार का पालन पोषण करता है। बच्ची और साले की मौत से परिवार में मातम पसर गया है। तरावड़ी थाना के एसएचओ संदीप कुमार ने बताया कि पुलिस ने दोनों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम की कार्रवाई शुरू कर दी है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत के सही कारणों का पता लग पाएगा। वहीं उन्होंने अपील करते हुए कहा कि सोते समय कोई भी व्यक्ति अपने कमरे में अंगीठी जलाकर न सोए। सर्दी में अंगीठी के वजह से सबसे ज्यादा हादसे होते हैं।


बंद कमरे में जलाई गई थी आग।

बहादुरगढ़ में दो दिन में चार लोगों की मौत

बता दें कि बहादुरगढ़ में दो दिन में ऐसे ही चार लोगाें की मौत हो चुकी है। ये सभी भी बंद कमरे में आग जलाकर सोए थे। पहली घटना मंगलवार 27 दिसंबर को बहादुरगढ के गांव कसार में हुई, जहां बंद कमरे में दम घुटने से तीन प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई। दो मृतकों की पहचान करीब 41 वर्षीय सैफिजुल मेहना, 42 वर्षीय मुनेश कुमार के रूप में हुई है। सैफिजुल पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले का रहने वाला था। जबकि मुनेश उत्तराखंड का निवासी था। तीनों पेशे से मजदूर थे।

वहीं बुधवार को बहादुरगढ के गांव रोहद में किराये पर रह रहे उत्तर प्रदेश के व्यक्ति का शव बंद कमरे में मिला। इस कमरे में भी अलाव की राख बरामद हुई है। मृतक की पहचान करीब 36 वर्षीय अनुराग निवासी सुलतान पुर यूपी के रूप में हुई है। अनुराग यहां रोहद में किराये पर रह रहा था। इसी गांव में एक कंपनी में काम करता था।

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