करनाल : घर में बने पटाखों के अवैध गोदाम में लगी आग, सब कुछ जलकर राख, दमकल की 3 गाडिय़ों ने पाया काबू

करनाल : घर में बने पटाखों के अवैध गोदाम में लगी आग, सब कुछ जलकर राख, दमकल की 3 गाडिय़ों ने पाया काबू
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आग लगने के बाद छत पर रखा समान और कच्चे शेड टूट कर बिखर गए। आग लगने से मकान में लगी लडक़ी की चोखट भी पूरी तरह जल गई।

हरिभूमि न्यूज : करनाल

करनाल के सदर बाजार स्थित एक घर में बने पटाखा गोदाम में अचानक आग लग गई। जिससे वहां रखा सारा सामान जल कर राख हो गया। हालांकि अभी आग लगने के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया। आग लगने के बाद छत पर रखा समान और कच्चे शेड टूट कर बिखर गए। आग लगने से मकान में लगी लडक़ी की चोखट भी पूरी तरह जल गई। वहीं आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग की 3 गाड़ियां मौके पर पहुंची, जिन्हाेंने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। लेकिन जब तक आग बुझ पाती तब तक सब कुछ जल कर राख हो चुका था।

कोचिंग सेंटर की आड़ में चल रहा था पटाखों का कारोबार

सदर बाजार स्थित एक मकान में कोचिंग सेंटर चलता था, वहीं उसी मकान में पटाखों का जखीरा रखा था। जिसमें आग लग गई और काफी सामान चल गया। आसपास के लोगों ने बताया कि जिस मकान में आग लगी, वहां पर एक कोचिंग सेंटर चलाया जा रहा था। उसकी आड़ में ही पटाखों का कारोबार चल रहा था। लोगों का आरोप है कि यह कारोबार गैर कानूनी तरीके से चल रहा था। लोगों का कहना है कि आस पड़ोस में छोटे बच्चें भी रहते हैं। पटाखों में आग से बड़ा हादसा भी हो सकता था। रिहायशी इलाके में इस तरह की बड़ी लापरवाही से लोगों में गुस्सा है। वहीं आगजनी के बाद युवक मौके से फरार हो गया।

कई व्यापारियों के पास नहीं लाइसेंस

दीपावली के नजदीक आते ही पटाखा कारोबारी पटाखों से पैसों का खेल खेलते हैं। पटाखों के इस खेल में कई मजदूरों की जान जाती है, कई मजदूर अपनी जान का ताक पर रख कर काम करते है। हर वर्ष प्रशासन सख्त कार्रवाई की बात करता है, लेकिन आज तक प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई पटाखा कारोबारियों पर नहीं की गई। कहने को तो पटाखा या वस्फिोटक सामग्री का कार्य करने के लिए नियम व कानून है, लेकिन यह कारोबारी सरेआम इन नियमों को ताक पर रख कर पैसे कमाने में लगे हुए है। शहर में ज्यादातर पटाखा कारोबारी ऐसे है, जिनके पास न तो लाईसेंस है और न ही वह नियमों की कसौटी पर खरे उतर पाते है। कई जगहों पर तो पटाखा फैक्ट्री ऐसी जगह पर है, जहा रास्ता बेहद तंग है। जहां पर दमकल की गाड़ी तो दूर की बात बाईक भी बड़ी मुश्किल से निकल पाती है। ऐसी जगहों पर पैसे के लालच में मजदूर कार्य करते है, तो अपनी जान को जोखिम में डालते हैं।

बीते वर्ष भी पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से हुई थी 3 मजदूरों की मौत

बीते वर्ष भी घोघड़ीपुर रोड स्थित एक पटाखा फैक्ट्री में आग लग गई थी, जिससे झुलस कर 3 मजदूरों की मौत हो गई थी। लेकिन उसके बावजूद भी लोग रिहायशी इलाकों में पटाखों का कारोबार चल रहे है। शहर में ज्यादातर पटाखा फैक्ट्री में नियमों का ताक पर रख कर काम किया जाता है। लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई ठोष कार्रवाई नहीं होती। नगला मेघा में भी पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से एक मजदूर झुलस गया था। जिसकी स्थिति बेहद गंभीर थी।

सरेआम बिकता है मौत का सामान

पटाखों में इस्तेमाल होने वाला पोटासियम व गंधक का इस्तेमाल कर धड़ी चलाई जाती है, जिससे जोरदार धमाका होता है। कुछ वर्ष पहले शिव कॉलोनी में बच्चों द्वारा पोटासियम को पिसते हुए जोरदार धमाका हुआ था, जिसमे एक बच्चें के हाथ उड़ गए थे, जबकि कई बच्चें घायल हो गए थे। बच्चों के पास भारी मात्रा में पोटासियम पहुंचना भी अपने आप में सवाल खड़े करता है

पटाखों की दुकान के लिए लाइसेंस जरूरी

दीपावली का त्योहार जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे ही पटाखा कारोबारियों ने भी तेजी से पटाखों को मार्किट में उतारे की तैयारी कर ली है। लेकिन पटाखों की दुकान के लिए लाईसेंस लेना अनिवार्य है। उपमंडल कार्यालय से लाइसेंस लेना पड़ेगा।

कैसे लें लाइसेंस

लाइसेंस पाने के लिए आवेदक को सबसे पहले सरकार के शीर्ष हेड के खाता में छह सौ रुपए का चालान जमा करना होगा, जिसके बाद उपमंडल कार्यालय में दुकानदार अपने नाम से आवेदन देगा। सी.ओ के स्तर पर दुकान खोले जाने का भौतिक सत्यापन होगा। फिर लाइसेंस मिल जाएगा।

क्या हैं नियम

भारत सरकार के विस्फोटक अधिनियम 1984 और वस्फिोटक विनियम 2008 के अध्याय सात में आतिशबाजी की स्थायी व अस्थायी दुकानों के लिए नियम हैं। होलसेल लाइसेंस धारक इनका पालन करने के लिए बाध्य हैं। भले ही उन्होंने स्थायी या अस्थायी लाइसेंस लिया है। नियम 83 के अनुसार पटाखा बक्रिी की स्थायी दुकान कांक्रीट से बनी हुई हो। आकार 9 वर्गमीटर से ज्यादा और 25 वर्गमीटर से कम होनी चाहिए। दुकान में कोई बिजली उपकरण, लैंप, बैटरी या चिंगारी पैदा करने वाला सामान नहीं होना चाहिए। जगह ऐसी हो, जहां अग्निशमन वाहन तत्काल पहुंच सके।

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