करनाल लाठीचार्ज मामला : आयुष सिन्हा के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर याचिका पर हरियाणा सरकार ने दिया जवाब

करनाल में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों के सिर फोड़ने के पुलिस को आदेश देने वाले करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा के मामले में हरियाणा सरकार ने अपना जवाब दायर कर हाईकोर्ट को बताया है कि विरोध करने के अधिकार के तहत किसी को भी सड़कों को बंद कर आम लोगों को परेशान करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
हरियाणा सरकार की ओर से करनाल रेंज की आईजी ममता सिंह ने हाईकोर्ट में अपना जवाब दायर कर कहा कि यह आरोप कि आयुष सिन्हा के इशारे पर ही किसानों पर पुलिस ने वार किए थे पूरी तरह से गलत है क्योंकि आयुष सिन्हा घटना स्थल से 13 किलोमीटर दूर थे और जिन पुलिस कर्मियों वो निर्देश दे रहे थे उनमें से कोई भी घटनास्थल पर नहीं था दूसरा यह कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन का आश्वाशन दिए जाने के बाद भी लगातार प्रदर्शनकारी कानून व्यवस्था को हाथ में लेते रहे हैं। उस दिन भी ऐसा ही हुआ था याचिकाकर्ता ने खुद पहले पुलिस पर कस्सी से वार किया था और जब वह इस दौरान गिर गया तो गिरने से उसके सर पर चोट लग गई और जिस पुलिस कर्मी पर उसने कस्सी से वार किया था उसी पुलिस कर्मी ने उसे वहीं पर प्राथमिक चिकित्सा सहायता दी थी ऐसे में यह कहना कि पुलिस की लाठी से उसके सर पर चोट लगाई है गलत है इस घटना में कई पुलिस कर्मी भी जख्मी हुए थे।
अपने हलफनामे में आईजी ने विरोध प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के कई आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि सर्वोच्च अदालत भी यह कह चुकी है कि विरोध प्रदर्शन प्रत्येक का अधिकार है लेकिन यह भी साफ़ किया जा चूका है कि इस विरोध प्रदर्शन से आम लोगों को नुकसान नहीं होना चाहिए और सड़कें नहीं रोकी जाए चाहिए लेकिन पिछले कई महीनों से सड़कें रोकी हुई है। साफ़ है कि यह सीधे तौर पर सर्वोच्च अदालत के आदेशों का ही उल्लघंन है। यह भी नहीं देखा जा रहा कि इनके द्वारा बंद की गई सड़कों पर कितने लोग अपने परिवारों के साथ फंस गए थे और उन्हें कितनी परेशानी का सामना करना पड़ा है। यह जवाब शुक्रवार को हाई कोर्ट में दायर कर दिया गया है जिस पर हाई कोर्ट अब 24 सितंबर को सुनवाई करेगा।
बता दें कि करनाल के मुनीश लाठर सहित 5 लोगों ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में बताया है कि करनाल के तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा ने प्रदर्शनकारियों के सर फोड़ने के पुलिस को आदेश दिए थे, वह आदेश सीधे तौर पर इन किसानों के संवैधानिक और मौलिक अधिकारों का हनन है। एसडीएम के इन्ही आदेशों के बाद किसानों पर लाठीचार्ज किया गया। जिसमे कई किसानों को गंभीर चोटें आई थी। ऐसे में इसके दोषी अधिकारी आयुष सिन्हा, डीएसपी वरिंदर सैनी और इंस्पेक्टर हरजिंदर सिंह के खिलाफ हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज द्वारा जांच करवाई जाए और इन दोषी अधिकारीयों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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