ब्रांडेड रेडीमेड कपड़ों को टक्कर देगा खादी ग्रामोद्योग

तरुण वधवा : कुरुक्षेत्र
मल्टी नेशनल ब्रांडेड रेडीमेड कपड़ों को टक्कर देने के लिए खादी ग्रामोद्योग ने तैयारी शुरु कर दी है। त्योहारों के आगमन से पूर्व खादी ग्रामोद्योग संघ नरड़ मिजार्पुर के कारीगर नई-नई वेरायटी के कपड़े तैयार कर रहे है। उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए खादी ग्रामोद्योग संघ नरड़ मिजार्पुर में सर्दी को देखते अधिक क्वालिटी और अधिक डिजाइन वाले कपड़े तैयार किए जा रहे है। खादी ग्रामोद्योग अब कपड़ा बाजार में स्थापित होने के लिए बाजार में आने वाले नये डिजाइनदार कपड़ों पर भी विशेष ध्यान दे रहा है और उसी लिहाज से कपड़े लाने की कोशिश कर रहा है। खादी ग्रामोद्योग संघ नरड़ मिजार्पुर के मुख्य व्यवस्थापक एवं सचिव सतपाल सैनी ने बताया कि गांधी जयंती खादी कपड़ों पर विशेष रियायत देने के साथ अब सर्दी के मौसम को देखते हुए त्योहारों पर खादी की नई रेंज बिक्री के लिए जारी की है। उन्होंने बताया कि मार्केट में ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों की रेंज को देखते हुए राष्ट्रीय डिजाइनरों द्वारा तैयार खादी के नए डिजाइन हर वर्ग के लोगों के लिए खादी बिक्री केन्द्र तथा शोरुम में उपलब्ध हैं। खादी के नए डिजाइन के परिधान आम आदमी के बजट के अनुसार ही बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।
खादी कपड़े स्वास्थ्य तथा शरीर की रक्षा करने में बेहतर
सतपाल सैनी ने बताया कि त्योहारों तथा सर्दियों को भी ध्यान में रखते हुए खादी के रंग, डिजाइन एवं त्योहारों पर भारतीय संस्कृति के परिधानों का भी खास ध्यान दिया गया है। सैनी ने कहाकि ब्रांडिड रेडीमेट कपड़े कई बार सर्दी के मौसम में त्वचा रोगों का कारण बन जाते हैं लेकिन खादी कपड़े स्वास्थ्य तथा शरीर की रक्षा के मामले में अन्य कपड़ों के मुकाबले में कहीं बेहतर हैं। इन कपड़ों से आदमी के शरीर को किसी भी स्थिति में नुकसान नहीं पहुंचाते हैं।
खादी की नई रेंज ब्रांडिड कपड़ों को देगी टक्कर : सतपाल सैनी
सचिव सतपाल सैनी ने कहा कि आने वाले सर्दी के मौसम को देखते हुए उनकी खादी के कपड़ों को लेकर पूरी तैयारी है। सर्दी के कोट, बास्केट, गाउन, शाल, चादर, कुर्ता, पजामा, महिलाओं के सूट इत्यादि की नई रेंज तैयार की है जो मार्किट में अन्य ब्रांडिड कपड़ों को भी चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो रहा है और खादी कारीगरों को भी काफी काम मिल रहा है। पिछले दो सालों से खादी केंद्रों को गीता जयंती महोत्सव आयोजित न होने के कारण भारी नुकसान हुआ है लेकिन इस बार की गीता जयंती के लिए खादी के रेडीमेट कपड़ों की काफी अच्छी रेंज तैयार की है। कोरोना के बाद अब खादी की बिक्री भी बहुत बढ़ी है। खादी पर अब आधुनिक एवं कुशल डिजाइनर काम कर रहे है। मार्किट की डिमाण्ड के अनुसार पहले रेडीमेट कपड़ों के मुकाबले खादी के कपड़ों की गुणवत्ता अब अच्छी है। सैनी ने बताया कि जैसे जैसे खादी में डिजाइनिंग और क्वालिटी में सुधार आता जा रहा है, इसकी डिमाण्ड भी बढ़ती जा रही है।
खादी से बने बास्केट दिखाते सचिव सतपाल सैनी।
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