कांग्रेस द्वारा सभी पदों से हटाने के बाद भी सदन में पार्टी व्हिप मानने को बाध्य हैं कुलदीप बिश्नोई, जानें वजह

कांग्रेस द्वारा सभी पदों से हटाने के बाद भी सदन में पार्टी व्हिप मानने को बाध्य हैं कुलदीप बिश्नोई, जानें वजह
X
अगर हरियाणा विधानसभा सदन की नियमित कार्यवाही में कुलदीप बिश्नोई पार्टी द्वारा किसी विधायी मुद्दे पर जारी व्हिप का उल्लंघन करते हैं अर्थात उसके विरूद्ध सदन में वोट करते हैं या सदन से अनुपस्थित रहते हैं तो दलबदल विरोधी कानून में उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है।

चंडीगढ़। 10 जून को हरियाणा से राज्यसभा की दो सीटों के निर्वाचन हेतु करवाए गए मतदान में भाजपा उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार और निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा की जीत हुई।कार्तिक को सत्तारूढ़ भाजपा- जजपा, 6 निर्दलीय विधायकों, हलोपा और इनेलो के एक-एक विधायक और कांग्रेस के बाग़ी विधायक कुलदीप बिश्नोई का भी दूसरा या संभवत: पहला प्राथमिकता ( वरीयता ) वोट प्राप्त हुआ।

हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस के 31 सदस्य होने के बावजूद अगर पार्टी प्रत्याशी अजय माकन चुनाव नहीं जीत पाए, तो इसके लिए न केवल एक पार्टी विधायक द्वारा मतदान में गलत ढंग से वोट डालना, जिस विधायक का नाम हालांकि अब तक आधिकारिक तौर पर चुनावों में पार्टी के अधिकृत एजेंट और हरियाणा कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल द्वारा सार्वजनिक नहीं किया गया है, एवं कुलदीप बिश्नोई द्वारा पार्टी से खुली बगावत अर्थात उनके द्वारा मतदान में माकन की बजाए सत्तारूढ़ भाजपा-जजपा गठबंधन के उम्मीदवार को वोट डालना, उक्त दोनों कारण ही कांग्रेस उम्मीदवार की पराजय का कारण बने। इसी बीच कांग्रेस हाईकमान द्वारा कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस कार्यसमिति के विशेष आमंत्रित सदस्य सहित सभी पदों से हटा दिया गया। हालांकि अब तक उन्हें कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निष्काषित नहीं किया गया है। कुलदीप के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर अब भी राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की फोटो है जिससे स्पष्ट होता है कि बेशक गत कुछ दिनों से वह पार्टी लीडरशिप पर तीखे कमेंट्स और तंज कस रहे हैं परंतु उन्होंने अब तक कांग्रेस को पूर्णतया अलविदा नहीं कहा है।

राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार के विरूद्ध वोट कर सकते हैं कुलदीप

इस विषय पर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि कांग्रेस बेशक कुलदीप बिश्नोई को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित या पूर्णतया निष्काषित भी कर देती है परंतु इससे कुलदीप की हरियाणा विधानसभा की सदस्यता पर कोई असर नहीं पड़ेगा। बेशक भूपेंद्र हुड्डा या कोई अन्य विधायक उनके विरूद्ध विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता को दल-बदल विरोधी कानून और हरियाणा विधानसभा द्वारा उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में याचिका भी सौंपता है। इसका कारण हेमंत ने बताया कि राज्यसभा चुनावों में पार्टी के आदेश/निर्देश से बाहर जाकर अगर कोई विधायक वोट करता है, तो ऐसा करना दल-बदल विरोधी कानून के दायरे में नहीं आता क्योंकि राज्यसभा चुनाव सदन की कार्यवाही नहीं है। उन्होंने इस सम्बन्ध में वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट के कुलदीप नैयर निर्णय का हवाला भी दिया। इसी कारण राज्यसभा चुनावों में पार्टी लीडरशिप द्वारा उसके विधायकों को पार्टी व्हिप नहीं जारी किया जाता है और अगर ऐसा किया भी जाता है, तो उनकी कोई कानूनी मान्यता नहीं होती अर्थात उस व्हिप को मानने के लिए पार्टी विधायक बाध्य नहीं होता। हेमंत ने यह भी बताया की जिस प्रकार राज्य सभा चुनाव में विधायकों पर पार्टी व्हिप लागू नहीं होता, ठीक उसी प्रकार भारत के राष्ट्रपति चुनाव में भी ऐसा व्हिप लागू नहीं लागू होता। सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय में ऐसा स्पष्ट भी किया गया है। इसी कारण 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव हेतु होने वाले मतदान में कुलदीप कांग्रेस एवं सहयोगी दलों द्वारा उतारे गए उम्मीदवार के विरूद्ध भी वोट कर सकते हैं। कांग्रेस प्रत्याशी विरूद्ध मतदान करने से उनकी विधानसभा सदस्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा बेशक कांग्रेस पार्टी इस सम्बन्ध में व्हिप भी जारी करती है।

व्हिप का उल्लंघन करने पर जा सकती है विधानसभा सदस्यता

हालांकि अगर हरियाणा विधानसभा सदन की नियमित कार्यवाही में कुलदीप बिश्नोई पार्टी द्वारा किसी विधायी मुद्दे पर जारी व्हिप का उल्लंघन करते हैं अर्थात उसके विरूद्ध सदन में वोट करते हैं या सदन से अनुपस्थित रहते हैं तो दलबदल विरोधी कानून में उनकी विधानसभा सदस्यता जा सकती है। इसी प्रकार अगर वह विधायक पद से त्यागपत्र दिए बगैर भाजपा में शामिल होते हैं या कोई क्षेत्रीय दल बनाते हैं, तब भी वह सदन की सदस्यता से अयोग्य हो जाएंगे जैसे वर्ष 2008 में कांग्रेस में रहते हरियाणा जनहित कांग्रेस ( हजकां ) नाम का अलग दल बनाने कारण उनके पिता और तत्कालीन विधायक भजन लाल और उनके साथी विधायकों धर्मपाल मालिक और राकेश कम्बोज को तत्कालीन स्पीकर रघुवीर सिंह कादयान द्वारा हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

Tags

Next Story