कुमारी सैलजा का तंज : हरियाणा में बढ़ी बेरोजगारी, कहां गए भाजपा-जजपा के वादे

चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार वायदे करके मुकरने वाली सरकार बनकर रह गई है। इनके पास सरकार चलाने का अनुभव कतई नहीं था और वायदों के दम पर सरकार बनाकर अब सभी वायदे भुला चुकी है।नीति आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों से सरकार के खोखले दावों की सच्चाई अब जगजाहिर हो चुकी है।
सैलजा ने कहा कि प्रदेश में जब भाजपा-जजपा सरकार का गठन हुआ तो यह बहुत से वायदे लेकर प्रदेश की जनता के सामने आए थे। जिसमें मुख्य रूप से शिक्षा, उद्योग, बेरोजगारी, लोगों को स्वच्छ पानी मुहैया करवाना, स्वच्छता व अपराधों पर नकेल कसना शामिल था। लेकिन इन सभी मुद्दों पर गठबंधन सरकार पूरी तरह से फेल होकर रह गई है। नीति आयोग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में सभी को स्वच्छ पानी मुहैया नहीं कराया जा सका है। अपराध में बढ़ोतरी हुई है। इंडस्ट्री, इनोवेशन व इंफ्रास्ट्रक्चर में भी प्रदेश नीचे खिसक गया है। बेरोजगारी बढऩे से आर्थिक वृद्धि कमजोर पड़ी है। शिक्षा का स्तर भी गिर गया है।
सैलजा ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में रोजगार घट गया है। यह वर्ष 2019 में जहां 19.5 प्रतिशत था, वह वर्ष 2020 में 17.60 प्रतिशत रह गया है। वहीं प्रदेश में बेरोजगारी दर वर्ष 2019 के मुकाबले बढ़ गई है। आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में जहां बेरोजगारी की दर 8.4 प्रतिशत थी, वहीं 2020 में यह 9.81 प्रतिशत हो गई है। बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने में सरकार विफल रही है और प्रदेश में बच्चों का ड्रापआऊट बढ़ गया है और 12.16 प्रतिशत से बढ़कर 14.39 प्रतिशत हो गया है। नए स्कूल बनाने की बजाए सरकार पुराने स्कूलों को बंद करने पर तुली है। स्कूलों में अध्यापकों की कमी साफ देखी जा सकती है। हरियाणा में क्राइम तो इतना बढ़ गया है कि आज व्यापारी, महिला व आम आदमी घर से निकलने से भी डरता है। प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी।
सैलजा ने कहा कि बेरोजगारी के मामले में तो सरकार ने प्रदेश को बहुत पीछे धकेल दिया है। प्रदेश के लाखों युवा बेरोजगार बैठे हैं और उनको सरकार की ओर से कोई भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार के कार्यकाल में नए उद्योग धंधे आना तो दूर कांग्रेस सरकार के राज में स्थापित हुए उद्योग-धंधे इस सरकार की नाकामियों के कारण बंद हो रहे हैं सैलजा ने कहा कि पहले सरकार ने किसानों को अपने हाल पर छोड़ दिया और किसानों ने अपनी सरसों की फसल निजी हाथों में बेच दी। किसान पिछले छह महीने से अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं, उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। गेहूं की खरीद बंद होने से किसान परेशान हैं। किसानों की अनाज मंडी में पड़ी गेहूं की फसल की खरीद नहीं हो रही है। सरकार का फसल का एक-एक दाना खरीदने का दावा झूठा साबित हुआ है।
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