कुरुक्षेत्र : 48 कोस के 164 तीर्थों की माटी से तैयार होगी भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा

Kurukshetra News : कुरुक्षेत्र में 48 कोस के 164 तीर्थों की माटी से भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा तैयार की जाएगी। इस मिट्टी को 164 तीर्थ समितियों के प्रतिनिधि 23 दिसंबर को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव-2023 में लेकर आएंगे। यह मिट्टी कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 23 दिसंबर को होने वाले तीर्थ सम्मेलन में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को सौंपी जाएगी। इस योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बोर्ड सदस्यों को कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे।
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन 7 से 24 दिसंबर तक कुरुक्षेत्र ब्रह्मसरोवर पर किया जा रहा है। इस महोत्सव के मुख्य कार्यक्रम 17 से 24 दिसंबर तक चलेंगे और इन मुख्य कार्यक्रमों में 164 तीर्थों की समितियों को लेकर 23 दिसंबर को होने वाला तीर्थ सम्मेलन विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगा। इस तीर्थ सम्मेलन को यादगार और ऐतिहासिक बनाने के लिए सभी 164 तीर्थों से समितियों के सदस्यों से मिट्टी लाने के लिए अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चाहा है कि सभी तीर्थों से मिट्टी लाकर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बनाई जाए और इस प्रतिमा को कुरुक्षेत्र में स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र 48 कोस में कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद और पानीपत जिला शामिल है, इन जिलों में 164 तीर्थों को कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड द्वारा चिन्हित कर लिया गया है और इन तीर्थों को विकसित करने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। इन 48 कोस के तीर्थों की यादों को हमेशा संजोने के उद्देश्य से सभी तीर्थों से मिट्टी मंगवा कर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करने की योजना पर काम शुरू किया गया है।
इस योजना के अनुसार कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के दौरान 23 दिसंबर को होने वाले तीर्थ सम्मेलन में मिट्टी को एकत्रित किया जाएगा और इसके बाद निकट भविष्य में मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशानुसार निर्धारित जगह पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मानद सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से गीता महोत्सव को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक मुकाम मिला और वर्ष 2016 से लगातार महोत्सव का आयोजन बड़े स्तर पर किया जा रहा है। इस महोत्सव में जहां मुख्य कार्यक्रम आकर्षण का केंद्र रहते है, वहीं 18 दिन तक चलने वाला सरस और शिल्प मेला हरियाणा ही नहीं आसपास के राज्यों के लाखों पर्यटकों व श्रद्धालुओं को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यह महोत्सव आमजन का महोत्सव बन चुका है।
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