Kurukshetra : धड़ल्ले से प्रयोग हो रहा पॉलीथिन, प्रशासन ने साध रखी चुप्पी

- पशुओं पर भी पड़ रहा पॉलीथिन का खतरनाक असर
- मंडियों में पॉलीथिन का जमकर हो रहा प्रयोग
Kurukshetra : शहर में धड़ल्ले से पॉलीथिन बैग का इस्तेमाल किया जा रहा है। रोजमर्रा में शहर के सभी वर्ग के लोग पॉलीथिन इस्तेमाल कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। उन्हें न ही लोगों की परवाह है, न हाईकोर्ट के निदेर्शों की और ना ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों की। रेहड़ी-फड़ी, मंडी से लेकर दुकानदारों तक लगातार सामान की पैकिंग से लेकर पॉली बैग तक पॉलीथिन का इस्तेमाल कर रहे है।
शहर में लगने वाली मंडी में पॉलीथिन का धड़ल्ले से पॉलीथिन का प्रयोग किया जा रहा है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही हैं। लोगों की माने तो पॉलीथिन से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा प्रशसन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि लोग पॉलीथिन यूज न करें। इंसान के साथ-साथ पॉलीथिन पशुओं को भी बीमार कर रहा है। कूड़ा-कचरा में फेंके गए पॉलीथिन को खाने से पशुओं की पाचन क्रिया धीरे- धीरे बंद हो जाने से पशुओं की मौत हो जाती है। पशु विशेषज्ञों का कहना है कि पॉलीथिन दुधारू पशुओं के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक है। पॉलीथिन की वजह से भू -जल का स्तर गिरने के साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है। पर्यावरणविद् नरेश भारद्वाज के अनुसार पॉलीथिन एक ऐसा वेस्ट है जिसके गलने में सैकड़ों साल लग जाते हैं। यह जिस जमीन पर डाल दिया जाता है, वह बंजर हो जाती है। बारिश का पानी वहां पर जाना पूरी तरह से बंद हो जाता है, जिसके कारण उस इलाके की हरियाली भी धीरे- धीरे खत्म होने लगती है।
मंडियों में जमकर प्रयोग किया जा रहा पॉलीथिन
पॉलीथिन और प्लास्टिक गांव से लेकर शहर तक लोगों की सेहत बिगाड़ रहे हैं। शहर का ड्रेनेज सिस्टम अक्सर पॉलीथिन से भरा मिलता है। इसके चलते ही नालियां और नाले जाम हो जाते हैं। इसका यूज भी तेजी से बढ़ा है। प्लास्टिक के गिलासों में चाय या फिर गर्म दूध पीने से उसका केमिकल लोगों के पेट में चला जाता है। डायरिया के साथ ओर भी कई गंभीर बीमारियां होती हैं। ऐसे में प्लास्टिक के गिलासों का यूज नहीं किया जाना चाहिए।
जुर्माना वसूलने का है प्रावधान
शहर में 40 माइक्रोन से कम मोटाई की पॉलिथीन बैग के निर्माण व उपयोग पर प्रतिबंध है। नियम का पालन न करने वालों को सजा मिल सकती है। इसके अलावा नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ जुर्माना वसूलने का प्रावधान है। शहर के कचरा डंपिंग स्थल में यूज किए पॉलीथिन की भरमार है। इससे पता चलता है कि लोग घर के कचरे इसमें भर कर सड़क किनारे या नालियों में फेंक देते हैं, जिसके कारण एक ओर जहां नाली जाम हो जाती है। वहीं इसके कारण बारिश होते ही नालियों का पानी सड़क पर बहने लगता है। इससे नगर परिषद के साथ आम लोगों को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
नगर परिषद चलाएगा अभियान
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी देवेंद्र नरवाल का कहना है कि 40 माइक्रोन से कम के पॉलीथिन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है। अभियान चलाकर कार्रवाई करेंगे। आम लोगों को भी पॉलीथिन के प्रयोग से बचना चाहिए।
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