हरियाणा में लैंड बैंक की नीति अधिसूचित, अब मजबूरी में नहीं बेचनी पड़ेगी जमीन

हरियाणा में भूमि स्वामियों को अपनी भूमि की मजबूरन बिक्री करने का सहारा लेने से रोकने और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं की स्थापना के लिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को भूमि उपलब्ध करवाने के दोहरे उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हरियाणा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने लैंड बैंक बनाने की नीति को अधिसूचित किया है। नीति के अनुसार, राजस्व विभाग भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 (1894 का केंद्रीय अधिनियम 1) के तहत विभागों द्वारा अधिग्रहित की गई अधिशेष भूमि के ऐसे हिस्सों को समेकित करेगा, जिसकी उन्हें अभी आवश्यकता नहीं है और ऐसी भूमि को उन विभागों को प्रदान करें जिनकी उन्हें आवश्यकता है। इससे राज्य सरकार के लिए भी काम आसान हो जाएगा जिसे विभागों को भूमि उपलब्ध करवाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
वित्तायुक्त राजस्व तथा राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि यह देखा गया है कि कभी-कभी भूमि स्वामियों, विशेष रूप से विदेशों में रहने वाले लोगों को बाजार में मंदी या महामारी, बाजार में बिचौलियों के दबाव या विभिन्न कारणों से अपनी भूमि की बिक्री मजबूरन करनी पड़ती है। लैंड बैंक विभागों, भूमि मालिकों/किसानों और राज्य सरकार के लिए फायदे की स्थिति की पेशकश करेगा। जहां किसान प्रतिस्पर्धी मूल्य पर भूमि बेचने में सक्षम होगा, वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार को भी उस समय परेशानी नहीं होगी जब कोई विभाग सार्वजनिक उपयोगिताओं की स्थापना के लिए भूमि हेतु उसके दरवाजे पर दस्तक देगा।
बैंक विभागों को आवश्यक सेवाओं, जिसमें जलघर, बिजली सब-स्टेशन, कॉलेज और विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, अस्पताल एवं पॉलिटेक्निक आदि उच्चतर शिक्षा के अन्य विशिष्ट संस्थान शामिल हैं, की स्थापना के लिए भूमि प्रदान करेगा। बैंक की स्थापना विकास परियोजनाओं के लिए सरकार को स्वेच्छा से दी जाने वाली भूमि की खरीद, बोर्डों एवं निगमों सहित सरकारी विभागों के लिए भूमि बैंक सृजित करने की नीति के तहत की जाएगी।
ऑफर लेने के लिए ऑनलाइन पोर्टल
बाजार की प्रवृत्तियों सहित किसी भी घटना के कारण मजबूरन बिक्री से बचने के लिए अपनी भूमि बेचने का निर्णय लेने वाले भूस्वामियों को सरकार भूमि बैंक बनाने के लिए भावी परियोजनाओं सहित आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करने की अपनी वर्तमान एवं भावी आवश्यकताओं के लिए प्रतिस्पर्धी मूल्य प्रदान करने की पेशकश कर सकती है। भू-स्वामियों या किसानों को अपनी भूमि की बिक्री की पेशकश करने के लिए निदेशक, भू अभिलेख के ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा जिसमें उन्हें मोलभाव करने लायक मूल्य सहित भूमि का पूरा विवरण देना होगा। निदेशक, भू अभिलेख द्वारा पोर्टल का निर्माण किया जाएगा, ताकि भू-स्वामी/किसान भूमि विवरण का उल्लेख करते हुए किसी भी समय भूमि बेचने का प्रस्ताव देने में सक्षम हो सके। ऑनलाइन आवेदन जमा करते समय आवेदक को संबंधित भूमि अभिलेख संलग्न और उनकी अपेक्षित दर का उल्लेख करना होगा।
राजस्व टीम द्वारा सत्यापन
निदेशालय के अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा वेब-हैलरिस पोर्टल से स्वामित्व, खसरा संख्या सहित संपत्ति का शीर्षक ऑनलाइन सत्यापित किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि जमाबंदी के स्वामित्व कॉलम के अनुसार, भूमि का प्रस्ताव विशिष्ट करुकन (लंबाई और चौड़ाई यानी फील्ड बुक) के साथ पूर्ण खसरा संख्या (ओं) में है और किसी भी तरह से हिस्सेदारी में नहीं है। भू अभिलेख निदेशालय द्वारा विभाग के परिसंपत्ति प्रबंधन प्रकोष्ठ की सहायता से राज्य की सभी राजस्व सम्पदाओं में विभिन्न सरकारी विभागों और उनकी संस्थाओं अर्थात बोर्ड एवं निगम, पंचायत देह और नगर निकायों की भूमि का विवरण अपलोड किया जाएगा ताकि लागू कानूनों, नियमों और नीतियों के अनुसार ऐसी भूमि का इष्टतम उपयोग करने की व्यवहार्यता की जांच की जा सके।
भूमि एवं दर जांच समिति द्वारा जांच
प्रशासनिक सचिव शहरी स्थानीय निकाय की अध्यक्षता में बनी यह समिति निदेशक, भू अभिलेख कार्यालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की जांच करेगी। यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि बेची जा रही भूमि पर कोई अदालती मामला लंबित नहीं है और शीघ्रातिशीघ्र प्रस्तावों को अंतिम रूप देगी ताकि भूमि मालिक/किसान को लिए गए निर्णय के बारे में भूमि पेश करने की तिथि से अधिकतम छ: महीने की अवधि के भीतर सूचित किया जा सके।
लैंड बैंक समिति का सैद्धांतिक निर्णय
वित्तायुक्त राजस्व और अतिरिक्त मुख्य सचिव, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की अध्यक्षता वाली समिति लैंड बैंक बनाने के लिए किसानों द्वारा दिए गए भूमि प्रस्तावों को सैद्धांतिक रूप से अंतिम रूप देगी और मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त लैंड बैंक कमेटी को सिफारिश करेगी।
भूमि की खरीद और उसका निपटान करना
लैंड बैंक समिति से मंजूरी मिलने पर भूमि मालिकों/किसानों द्वारा किए गए प्रस्ताव को उच्चाधिकार प्राप्त लैंड बैंक समिति के समक्ष रखा जाएगा। भूमि क्रय को अंतिम रूप देने के तुरंत बाद संबंधित उपायुक्त द्वारा एक साथ कब्जा लेकर राजस्व विभाग में राज्य सरकार के पक्ष में एक बिक्री विलेख निष्पादित किया जाएगा। यह लैंड बैंक का हिस्सा होगा। यदि निजी व्यक्तियों से खरीदी गई भूमि की लंबे समय तक आवश्यकता नहीं है तो यह समिति बोर्ड और निगमों सहित सरकार के विभिन्न विभागों की वर्तमान और भावी आवश्यकताओं की सभी संभावनाओं का पता लगाने के उपरांत लैंड बैंक समिति की सिफारिश पर पारदर्शी तरीके से ई-नीलामी करने का निर्णय ले सकती है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS